ETV Bharat / state

Bikaner foundation day : ऊंट की खाल से बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग, कला-संस्कृति की अद्भुत मिसाल है बीकानेर

वैशाख शुक्ल द्वितीया यानि अक्षय द्वितीया को बीकानेर का स्थापना दिवस होता है. इस बार ये दिन 22 अप्रैल को पड़ रहा है. अक्षय द्वितीया, अक्षय तृतीया दो दिन तक स्थापना दिवस को लेकर विभिन्न आयोजन भी किए जाते हैं. विक्रम संवत 1545 में राव बीका का बसाया बीकानेर 535 साल का हो गया.

Bikaner Foundation Day
बीकानेर स्थापना दिवस
author img

By

Published : Apr 20, 2023, 12:44 PM IST

Updated : Apr 20, 2023, 5:10 PM IST

बीकानेर स्थापना दिवस जानिए क्या है विशेष

बीकानेर. देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपने रसगुल्ला और नमकीन के चलते खट्टी-मीठी पहचान रखने वाला बीकानेर 22 अप्रैल को 535 साल का सफर पूरा कर रहा है. विक्रम संवत 1545 में राव बीका द्वारा बसाया बीकानेर आज विश्वभर में अपनी खास पहचान बना चुका है. पनरे सौ पैंतालवे सुद बैसाख सुमेर, थावर बीच थरपियों बीको बीकानेर की स्थापना की यह पंक्तियां आज भी लोगों की जुबान पर है. राव बीका के शहर रंगत धीरे-धीरे न सिर्फ यहां के लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रही है बल्कि देश और दुनिया से आने वाले मेहमानों को भी यहां की बीकानेरियत रास आती है.

खानपान के साथ संस्कृति भी : अपनी सबसे अलग जीवनशैली के लिए मशहूर बीकानेर केवल अपने खान-पान, भुजिया-रसगुल्ला और पापड़ के लिए ही फेमस नहीं है, बल्कि यहां त्योहारों को लोग अपनी परंपराओं के साथ मनाते हैं. अपनी संस्कृति से प्रेम करने वाला यह शहर आज भी उसी शिद्दत के साथ जाना जाता है. मशहूर शायर अजीज आजाद बीकानेर की खासियत को अपनी चंद पंक्तियों में जो बयां करते हैं.

तुम हो खंजर भी तो सीने में समा लेंगे!
तुम जरा प्यार से बाहों में तो भर कर देखो!!
मेरा दावा है सब जहर उतर जाएगा!
तुम मेरे शहर में दो दिन तो ठहर कर देखो!!

उस्ता कला की पहचान : बीकानेर स्थापना दिवस के मौके पर उस्ता कला का जिक्र होना जरूरी है. अपनी हवेलियों, विरासतों, कला-संस्कृति, रसगुल्लों की मिठास और नमकीन भुजिया के चटपटे स्वाद के अलावा उस्ता कला भी पूरे विश्व को आकर्षित करती है. ऊंट के चमड़े और शुतुरमुर्ग के अंडे पर उकेरी जाने वाली यह स्वर्णकारी और मीनाकारी की कला देश के राष्ट्रपति भवन से लेकर प्रधानमंत्री निवास और राज्यपाल और मुख्यमंत्री निवास तक की शोभा बढ़ा रही है.

art culture of bikaner
पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड स्वर्ण नक्काशी

बदलते समय में अब नवाचार : बदलते समय के साथ अब उस्ता कला में भी नवाचार होते नजर आ रहा है. उस्ता कला से जुड़े चित्रकारों ने अब ट्रेडिशनल तरीके से उस्ता आर्ट को अब मॉडर्न आर्ट की तरफ ले जाने का काम शुरू कर दिया है, जिसके चलते अब आने वाले समय में उस्ता कला का भविष्य सुनहरा होता नजर आ रहा है. कलाकार रामकुमार भदानी उस्ता कला को नया रूप देने की जरूरत और इसके संरक्षण की पैरवी करते हुए कहते हैं कि आने वाली पीढ़ी के पास यह विरासत के रूप में कला पहुंचे. इसलिए इसमें नवाचार भी जरूरी है.

बनाया चरखा : चित्रकार कलाकार रामकुमार भदानी ने उस्ता कला से एक चरखा बनाते हुए इसे राष्ट्र प्रेम के भावों से जोड़ते हुए समर्पित करने की बात कही. वे कहते हैं कि चरखे का निर्माण इसी उद्देश्य के साथ किया गया और इसमें अशोक चक्र को आधार बनाकर इसका निर्माण किया गया. इसकी सतह में राष्ट्रीय पक्षी राष्ट्रीय पशु मुद्रा का चिन्ह महात्मा गांधी के अहिंसा के संदेश और अशोक चक्र की सभी तीलियों का महत्व का समावेश किया गया है. इसके अलावा राम कुमार भदानी ने बैंगल बॉक्स, गोल्डन फ्रेम आर्ट सहित अन्य उस्ता कला की कलाकृतियों का भी निर्माण किया है.

art culture of bikaner
उस्ता कला से एक चरखा

पढ़ें : Special : बीकानेर है पान के शौकीनों का शहर, हर रोज खाए जाते हैं 1 लाख पान

विश्व की सबसे छोटी पतंग भी : नगर स्थापना दिवस के मौके पर यहां के उस्ता कलाकार शौकत अली उस्ता ने ऊंट की खाल पर बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग का निर्माण किया है. इसका आकार मात्र एक एमएम है. इस पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड स्वर्ण नक्काशी उस्ता कार्य किया गया है. उस्ता कला को आगे बढ़ाने और कुछ नया कर दिखाने के लिए शौकत उस्ता ने इस बार एक नया कीर्तिमान बनाया. ऊंट की खाल पर दुनिया की सबसे छोटी बनी पतंग के दोनों तरफ सुनहरी नक्काशी की है.

art culture of bikaner
विक्रम संवत 1545 में राव बीका का बसाया बीकानेर

पतंग के एक तरफ 22 कैरेट गोल्ड से बीकानेर का नक्शा बनाया है, तो दूसरी तरफ उस्ताकला से तैयार स्थापना दिवस लिखा है जो लेंस के जरिए ही देखा जा सकता है. इसके अलावा दूसरी पतंग 21 X 21 सेंटीमीटर की बनी हुई है जिसमें दोनों तरफ उस्ता कला नक्काशी 22 कैरेट गोल्ड से तैयार की है. जिसके एक तरफ देशनोक करणीमाता का चित्र और जूनागढ़ किला बनाया गया है. यह दोनों चित्र एक तरफ ही है. जिसमें करणी माता को बीकानेर पर आशीर्वाद देते हुए दिखाया गया है. पतंग के दूसरी तरफ उस्ता कला नक्काशी के साथ राजस्थान के जहाज ऊंट को दर्शाया है.

बीकानेर स्थापना दिवस जानिए क्या है विशेष

बीकानेर. देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपने रसगुल्ला और नमकीन के चलते खट्टी-मीठी पहचान रखने वाला बीकानेर 22 अप्रैल को 535 साल का सफर पूरा कर रहा है. विक्रम संवत 1545 में राव बीका द्वारा बसाया बीकानेर आज विश्वभर में अपनी खास पहचान बना चुका है. पनरे सौ पैंतालवे सुद बैसाख सुमेर, थावर बीच थरपियों बीको बीकानेर की स्थापना की यह पंक्तियां आज भी लोगों की जुबान पर है. राव बीका के शहर रंगत धीरे-धीरे न सिर्फ यहां के लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रही है बल्कि देश और दुनिया से आने वाले मेहमानों को भी यहां की बीकानेरियत रास आती है.

खानपान के साथ संस्कृति भी : अपनी सबसे अलग जीवनशैली के लिए मशहूर बीकानेर केवल अपने खान-पान, भुजिया-रसगुल्ला और पापड़ के लिए ही फेमस नहीं है, बल्कि यहां त्योहारों को लोग अपनी परंपराओं के साथ मनाते हैं. अपनी संस्कृति से प्रेम करने वाला यह शहर आज भी उसी शिद्दत के साथ जाना जाता है. मशहूर शायर अजीज आजाद बीकानेर की खासियत को अपनी चंद पंक्तियों में जो बयां करते हैं.

तुम हो खंजर भी तो सीने में समा लेंगे!
तुम जरा प्यार से बाहों में तो भर कर देखो!!
मेरा दावा है सब जहर उतर जाएगा!
तुम मेरे शहर में दो दिन तो ठहर कर देखो!!

उस्ता कला की पहचान : बीकानेर स्थापना दिवस के मौके पर उस्ता कला का जिक्र होना जरूरी है. अपनी हवेलियों, विरासतों, कला-संस्कृति, रसगुल्लों की मिठास और नमकीन भुजिया के चटपटे स्वाद के अलावा उस्ता कला भी पूरे विश्व को आकर्षित करती है. ऊंट के चमड़े और शुतुरमुर्ग के अंडे पर उकेरी जाने वाली यह स्वर्णकारी और मीनाकारी की कला देश के राष्ट्रपति भवन से लेकर प्रधानमंत्री निवास और राज्यपाल और मुख्यमंत्री निवास तक की शोभा बढ़ा रही है.

art culture of bikaner
पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड स्वर्ण नक्काशी

बदलते समय में अब नवाचार : बदलते समय के साथ अब उस्ता कला में भी नवाचार होते नजर आ रहा है. उस्ता कला से जुड़े चित्रकारों ने अब ट्रेडिशनल तरीके से उस्ता आर्ट को अब मॉडर्न आर्ट की तरफ ले जाने का काम शुरू कर दिया है, जिसके चलते अब आने वाले समय में उस्ता कला का भविष्य सुनहरा होता नजर आ रहा है. कलाकार रामकुमार भदानी उस्ता कला को नया रूप देने की जरूरत और इसके संरक्षण की पैरवी करते हुए कहते हैं कि आने वाली पीढ़ी के पास यह विरासत के रूप में कला पहुंचे. इसलिए इसमें नवाचार भी जरूरी है.

बनाया चरखा : चित्रकार कलाकार रामकुमार भदानी ने उस्ता कला से एक चरखा बनाते हुए इसे राष्ट्र प्रेम के भावों से जोड़ते हुए समर्पित करने की बात कही. वे कहते हैं कि चरखे का निर्माण इसी उद्देश्य के साथ किया गया और इसमें अशोक चक्र को आधार बनाकर इसका निर्माण किया गया. इसकी सतह में राष्ट्रीय पक्षी राष्ट्रीय पशु मुद्रा का चिन्ह महात्मा गांधी के अहिंसा के संदेश और अशोक चक्र की सभी तीलियों का महत्व का समावेश किया गया है. इसके अलावा राम कुमार भदानी ने बैंगल बॉक्स, गोल्डन फ्रेम आर्ट सहित अन्य उस्ता कला की कलाकृतियों का भी निर्माण किया है.

art culture of bikaner
उस्ता कला से एक चरखा

पढ़ें : Special : बीकानेर है पान के शौकीनों का शहर, हर रोज खाए जाते हैं 1 लाख पान

विश्व की सबसे छोटी पतंग भी : नगर स्थापना दिवस के मौके पर यहां के उस्ता कलाकार शौकत अली उस्ता ने ऊंट की खाल पर बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग का निर्माण किया है. इसका आकार मात्र एक एमएम है. इस पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड स्वर्ण नक्काशी उस्ता कार्य किया गया है. उस्ता कला को आगे बढ़ाने और कुछ नया कर दिखाने के लिए शौकत उस्ता ने इस बार एक नया कीर्तिमान बनाया. ऊंट की खाल पर दुनिया की सबसे छोटी बनी पतंग के दोनों तरफ सुनहरी नक्काशी की है.

art culture of bikaner
विक्रम संवत 1545 में राव बीका का बसाया बीकानेर

पतंग के एक तरफ 22 कैरेट गोल्ड से बीकानेर का नक्शा बनाया है, तो दूसरी तरफ उस्ताकला से तैयार स्थापना दिवस लिखा है जो लेंस के जरिए ही देखा जा सकता है. इसके अलावा दूसरी पतंग 21 X 21 सेंटीमीटर की बनी हुई है जिसमें दोनों तरफ उस्ता कला नक्काशी 22 कैरेट गोल्ड से तैयार की है. जिसके एक तरफ देशनोक करणीमाता का चित्र और जूनागढ़ किला बनाया गया है. यह दोनों चित्र एक तरफ ही है. जिसमें करणी माता को बीकानेर पर आशीर्वाद देते हुए दिखाया गया है. पतंग के दूसरी तरफ उस्ता कला नक्काशी के साथ राजस्थान के जहाज ऊंट को दर्शाया है.

Last Updated : Apr 20, 2023, 5:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.