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राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ कल्पना शर्मा से ईटीवी भारत की खास बातचीत...कहा- छात्र देश के भावी कर्णधार

हाल ही में दिल्ली में शिक्षक दिवस पर राजस्थान की एकमात्र महिला प्रिसिंपल डॉ कल्पना शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था. सम्मान मिलने के बाद भीलवाड़ा पहुंचने पर शिक्षक जगत ने कल्पना शर्मा का भव्य स्वागत किया.

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Published : Sep 12, 2019, 5:46 PM IST

भीलवाड़ा. 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजस्थान की एकमात्र महिला प्रिंसिपल डॉक्टर कल्पना शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था. डॉ कल्पना शर्मा ने भीलवाड़ा पहुंचने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की और शुभकामना देने पर शुक्रिया भी अदा किया.

राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित डॉ कल्पना शर्मा से खास बातचीत

बातचीत में कलपना शर्मा ने अपने शैक्षणिक सफर के बारे में बताते हुए कहा कि वह विद्यार्थी जीवन में शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं. विद्यालय स्तर पर भी हमेशा अव्वल रही. उन्हें स्नातकोत्तर में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ. उसके बाद दक्षिण पूर्वी राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों पर पाई जाने वाली घास की प्रजाति की सात ऊप प्रजातियों पर उन्होंने अध्ययन किया और यह पाया कि घास के बीजों को घर में स्टोर करते हैं और अकाल के समय लोग उनका सेवन करते हैं.

जिसके बाद उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग में स्कूल लेक्चरर का एग्जाम दिया. जिसमें पूरे राजस्थान में जनरल की दो पोस्ट थी. उसमें उन्होंने द्वितीय स्थान प्राप्त किया और उदयपुर संभाग में पहला स्थान प्राप्त कर जीव विज्ञान की व्याख्याता से उनकी शिक्षा जगत मे शुरुआत हुई.

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विद्यालय में कुछ नया करने की होती रहनी चाहिए कोशिश

शिक्षा के क्षेत्र में क्या-क्या नवाचार के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि उन्होंने विद्यालय में शैक्षिक नवाचार को तरह-तरह की तहजीद दी है. और विद्यालय में कुछ नया करने की कोशिश करती रहती हैं. वहीं डॉ कल्पना शर्मा के पति ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनकी पत्नी ने परिवार और देश का नाम रोशन किया है. उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इसी प्रकार वह हमेशा ही आगे बढ़ते रहें.

विद्यालय के विकास के लिए ग्रामीणों की भागीदारी आवश्यक

विद्यालय में गांव वालों से समन्वय के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि विद्यालय के विकास के लिए ग्रामीणों की भागीदारी आवश्यक है. हमारा चिंतन इस प्रकार होना चाहिए कि विद्यालय को किस प्रकार ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके. समाज के हर व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को पहचान कर विद्यालय के चहुंमुखी विकास के लिए प्रेरित करना चाहिए.

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छात्रों को कुछ नया करने के लिए करना चाहिए मोटिवेट

शिक्षक और बालकों को क्या प्रेरणा देने के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा का कहना है कि विद्यालय में विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार हैं. उनके विकास के लिए पूरी ऊर्जा बालकों की प्रकृति के लिए जुड़ जाए. छात्रों को नए छोटे-छोटे नवाचार के माध्यम से मोटिवेट करने का काम होना चाहिए. विद्यालय का माहौल शिक्षक को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह बालक केंद्रित हो, सृजनशीलता का माहौल हो.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हमारे देश में बालकों में बहुत ऊर्जा है. सिर्फ उसे तलाशने की आवश्यकता है. बालक कोरे कागज के टुकड़े के समान हैं. वे प्रतिदिन हमारे पास ज्ञान की पिपासा के लिए आते हैं. उन्हें ऐसा ज्ञान दें कि वह एक जिम्मेदार नागरिक बन सके. अब देखना यह होगा कि डॉ कल्पना शर्मा की सीख को राजस्थान और भीलवाड़ा जिले के अध्यापक और अध्यापिकाएं अपना पाते हैं.

भीलवाड़ा. 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजस्थान की एकमात्र महिला प्रिंसिपल डॉक्टर कल्पना शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था. डॉ कल्पना शर्मा ने भीलवाड़ा पहुंचने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की और शुभकामना देने पर शुक्रिया भी अदा किया.

राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित डॉ कल्पना शर्मा से खास बातचीत

बातचीत में कलपना शर्मा ने अपने शैक्षणिक सफर के बारे में बताते हुए कहा कि वह विद्यार्थी जीवन में शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं. विद्यालय स्तर पर भी हमेशा अव्वल रही. उन्हें स्नातकोत्तर में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ. उसके बाद दक्षिण पूर्वी राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों पर पाई जाने वाली घास की प्रजाति की सात ऊप प्रजातियों पर उन्होंने अध्ययन किया और यह पाया कि घास के बीजों को घर में स्टोर करते हैं और अकाल के समय लोग उनका सेवन करते हैं.

जिसके बाद उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग में स्कूल लेक्चरर का एग्जाम दिया. जिसमें पूरे राजस्थान में जनरल की दो पोस्ट थी. उसमें उन्होंने द्वितीय स्थान प्राप्त किया और उदयपुर संभाग में पहला स्थान प्राप्त कर जीव विज्ञान की व्याख्याता से उनकी शिक्षा जगत मे शुरुआत हुई.

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विद्यालय में कुछ नया करने की होती रहनी चाहिए कोशिश

शिक्षा के क्षेत्र में क्या-क्या नवाचार के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि उन्होंने विद्यालय में शैक्षिक नवाचार को तरह-तरह की तहजीद दी है. और विद्यालय में कुछ नया करने की कोशिश करती रहती हैं. वहीं डॉ कल्पना शर्मा के पति ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनकी पत्नी ने परिवार और देश का नाम रोशन किया है. उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इसी प्रकार वह हमेशा ही आगे बढ़ते रहें.

विद्यालय के विकास के लिए ग्रामीणों की भागीदारी आवश्यक

विद्यालय में गांव वालों से समन्वय के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि विद्यालय के विकास के लिए ग्रामीणों की भागीदारी आवश्यक है. हमारा चिंतन इस प्रकार होना चाहिए कि विद्यालय को किस प्रकार ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके. समाज के हर व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को पहचान कर विद्यालय के चहुंमुखी विकास के लिए प्रेरित करना चाहिए.

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छात्रों को कुछ नया करने के लिए करना चाहिए मोटिवेट

शिक्षक और बालकों को क्या प्रेरणा देने के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा का कहना है कि विद्यालय में विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार हैं. उनके विकास के लिए पूरी ऊर्जा बालकों की प्रकृति के लिए जुड़ जाए. छात्रों को नए छोटे-छोटे नवाचार के माध्यम से मोटिवेट करने का काम होना चाहिए. विद्यालय का माहौल शिक्षक को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह बालक केंद्रित हो, सृजनशीलता का माहौल हो.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हमारे देश में बालकों में बहुत ऊर्जा है. सिर्फ उसे तलाशने की आवश्यकता है. बालक कोरे कागज के टुकड़े के समान हैं. वे प्रतिदिन हमारे पास ज्ञान की पिपासा के लिए आते हैं. उन्हें ऐसा ज्ञान दें कि वह एक जिम्मेदार नागरिक बन सके. अब देखना यह होगा कि डॉ कल्पना शर्मा की सीख को राजस्थान और भीलवाड़ा जिले के अध्यापक और अध्यापिकाएं अपना पाते हैं.

Intro:भीलवाड़ा- हाल ही में दिल्ली में शिक्षक दिवस पर राजस्थान की एकमात्र महिला प्रिसिंपल डां कल्पना शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया । सम्मान मिलने के बाद भीलवाड़ा पहुंचने पर शिक्षक जगत ने कल्पना शर्मा का भव्य स्वागत किया।


Body:5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजस्थान की एकमात्र महिला प्रिंसिपल डॉक्टर कल्पना शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया।
डॉ कल्पना शर्मा भीलवाड़ा पहुंचने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए ईटीवी भारत द्वारा शुभकामना देने पर कल्पना शर्मा ने ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा किया । ओर उनके शैक्षणिक सफर के बारे में बताते हुए कहा कि मैं विद्यार्थी जीवन में शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हूं । विद्यालय स्तर पर भी हमेशा अव्वल रही। जब स्नातकोत्तर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर से किया तो उसमें मुझे स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ । उसके बाद दक्षिण पूर्वी राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों पर पाई जाने वाली ब्रेकेटियां प्रजाति की सात ऊप प्रजातियों पर मैंने अध्ययन किया और यह पाया कि घास के बीजों को घर में स्टोर करते हैं वह अकाल के समय लोग उनका सेवन करते हैं । उसके पश्चात राजस्थान लोक सेवा आयोग में स्कूल लेक्चरर का एग्जाम दिया जिसमें पूरे राजस्थान में जनरल की दो पोस्ट थी उसमें राजस्थान में में द्वितीय स्थान प्राप्त किया व उदयपुर संभाग में पहला स्थान प्राप्त कर जीव विज्ञान की व्याख्याता से मेरी शिक्षा जगत मे शुरुआत हुई।

शिक्षा के क्षेत्र में क्या-क्या नवाचार के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि मैंने विद्यालय में शैक्षिक नवाचार को तरह-तरह की तहजीद दी है। साथ ही मैं जहां भी विद्यालय में कुछ नया करने की कोशिश करती हूं। साथ ही बालकों के दृष्टिकोण को वैज्ञानिक बनाने की कोशिश करती हूं । हमेशा विद्यालय में बालकों की प्रवृत्ति से जोड़ना, गार्डन ,बायो हर्बल गार्डन बनाना कक्षा में शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया बढ़ाना ,बालकों में अभिवृत्ति वैज्ञानिक बनाने पर मैं हमेशा प्रयासरत रही हूं ।

वहीं डॉ कल्पना शर्मा के पति ने कहा कि मैं मेरे को बहुत खुशी महसूस हो रही है इन्होंने मेरे परिवार व समाज हित में देश का नाम रोशन किया है मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इसी प्रकार हमेशा ही आगे बढ़ते रहें ।।

विद्यालय में गांव वालों से समन्वय के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि हमेशा विद्यालय के चहुमुखी विकास के लिए ग्रामीणों की भागीदारी बहुत ही आवश्यक है । हमारा चिंतन इस प्रकार होना चाहिए कि विद्यालय को किस प्रकार ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके। समाज के हर व्यक्ति को व्यक्तित्व को पहचान कर विद्यालय के चहुमुखी विकास के लिए प्रेरित करना चाहिए।

वहीं शिक्षक व बालको को क्या प्रेरणा देने के सवाल पर डॉ कल्पना शर्मा का कहना है कि विद्यालय में विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार हैं। उनके विकास के लिए पूरी ऊर्जा बालकों की प्रकृति के लिए जुड़ जाए। छात्रों को नए छोटे-छोटे नवाचार के माध्यम से मोटिवेट करने का काम करें । विद्यालय का माहौल्ल शिक्षक को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह बालक केंद्रित हो । सृजनशीलता का माहौल हो। निश्चित रूप से हमारे देश में बालकों में बहुत ऊर्जा है । सिर्फ उसे तलाशने की आवश्यकता है। बालक कोरे कागज के टुकड़े के समान है। वे प्रतिदिन हमारे पास ज्ञान की पिपासा के लिए हमारे पास आते हैं उन्हें ऐसा ज्ञान दे कि जिंदगी के हर मोड़ पर असफल नहीं हो और जिम्मेदार नागरिक बन सके।
अब देखना यह होगा कि डॉ कल्पना शर्मा की तरह राजस्थान और भीलवाड़ा जिले में अध्यापक व अध्यापिका किस तरह मेहनत कर देश के भावी कर्णधार बालकों के विकास के लिए क्या प्रयास करते हैं या नहीं।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

वध-टू-वन -डां. कल्पना शर्मा

राष्ट्रपति से सम्मानित प्रिंसिपल


Conclusion:
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