भीलवाड़ा. ईटीवी भारत की टीम माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग में पहुंची. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल त्रिपाठी ने बताया कि राजस्थान में 350 तरह के सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं. आमतौर पर यहां 27 तरह की ऐसी प्रजातियां है जो कभी भी देखने को मिल जाती हैं. जहरीले सांप की अगर बात करें तो 4 तरह की प्रजातियां राजस्थान में मिलती हैं जिनमें कोबरा, वाइपर, रसेल वाइपर और क्रेत शामिल हैं. क्रेत दो तरह के होते हैं एक कॉमन क्रेत और एक सिंध क्रेत.
सिंध क्रेत अक्सर इंसान को रात में डसता है-
सिंध क्रेत डेजर्ट एरिया जैसे जैसलमेर, नागौर और बाड़मेर एरिया में पाया जाता है. इस प्रजाति के सांप अक्सर इंसान को रात में नींद में डसते हैं. प्रोफेसर डॉ. अनिल त्रिपाठी कहते हैं कि सांपों में दो तरह का जहर पाया जाता है एक व्यक्ति को काटने पर ब्लड पर इफेक्ट डालता है जिससे ब्लड की कमी से मौत हो जाती है. दूसरा करैत सांप जो इंसान की तंत्रिका तंत्र पर असर करता है जिससे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
क्या कहते हैं वन अधिकारी-
भीलवाड़ा उपवन संरक्षक देवेंद्र प्रताप सिंह जागावत कहते हैं कि वर्षा ऋतु में रेंगने वाले जानवर बिल से बाहर निकलते हैं. इस दौरान कई तरह के विषैले सांप भी जमीन से बाहर निकलते हैं. जब तक लोगों में जागरूकता नहीं होगी तब तक विषैले और बिना विषैले सांपों को मार देते हैं. इसलिए विभाग द्वारा जागरूकता फैलाई जा रही है. यहां के वन्य जीव प्रेमी कुलदीप सिंह राणावत हमेशा वन्यजीवों की रक्षा करते हैं और जहां भी उनको सूचना मिलती है तो जहरीले सांप को वो रेस्कयू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ते हैं. इस दौरान हमारी वन विभाग की टीम भी उनके साथ मौके पर जाती है और उनकी मदद करती है.
डरने की नहीं सूचना देने की जरूरत हैं-
वनरक्षक छोटू लाला कोली कहते हैं कि इलाके से रेस्क्यू किए गए जहरीले सांपों को छोड़ने के दौरान मैं कुलदीप सिंह राणावत के साथ 2 वर्ष से यहां सांप रेस्क्यू करने का काम कर रहा हूं और जहां भी हमें सूचना मिलती है मैं इनके साथ जाता हूं. मैं लोगों से अपील करता हूं कि डरे नहीं अगर आपके घर और आसपास कोई वन्यजीव या फिर सांप नजर आता है तो उसकी सूचना हमें दें हम उसे रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ देंगे.
स्नेक ट्रैकुलाइज का कोर्स-
सांप छोड़ने आए वन्यजीव प्रेमी कुलदीप सिंह राणावत कहते हैं कि मैं बेंगलुरु हॉर्स राइडिंग के लिए गया था वहां मैंने रेस्क्यू देखा था. बचपन से भी मुझे कुछ नया सीखने का शौक था. मैंने स्नेक ट्रैकुलाइज का कोर्स किया और फिर राजस्थान में उदयपुर वाइड एनिमल के अध्यक्ष से मिला, उनके साथ फील्ड में गया और वहां स्नेक रेस्क्यू करने का काम किया. तीन वर्ष पहले उत्तराखंड में एशिया की सात टीमें आई थी जिसमें शामिल होने का मौका उन्हें भी मिला.
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दो हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू-
भीलवाड़ा में वन्यजीवों की मौत के बारे में बात कही इस दौरान मेरे मन में एक जागरूकता आई कि मैं निश्चित रूप से वन्यजीवों की रक्षा करूंगा तभी से अब तक मैंने करीब दो हजार सांपों का रेस्क्यू किया है. राजस्थान में 24 घंटे में एक ऐसा कीर्तिमान भीलवाड़ा में स्थापित हुआ जहां एक 16 महीने का मादा पैंथर कुएं में गिर गया था उनको मैंने बिना पिंजरे के ट्रेकुलाइज किया. उसी दिन दो विषैले सांपों को भी रेसक्यू किया. कुलदीप कहते हैं कि राजस्थान में कॉमन क्रेत और वाइपर, कोबरा तरह-तरह के सांप पाए जाते हैं. इनको भी मैंने 24 घंटे में रेस्क्यू किया हुआ है.
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कुलदीप कहते हैं कि जो लोग वन्यजीवों से डरते हैं उन लोगों में में कहना चाहूंगा कि सूझबूझ से वन्यजीवों की रक्षा करें. क्योंकि खाद्य श्रंखला इसी से चलती है अगर सांप की मृत्यु हो जाएगी तो खाद्य श्रंखला और खाद्य जाल की श्रृंखला पूरी नहीं हो पाएगी. क्या आपको डर नहीं लगता इस सवाल के जवाब में कुलदीप कहते हैं कि मेरा भी यही फील्ड है मैं हमेशा वन्यजीवों की रक्षा करता हूं. हालांकि में सांपों को ट्रेकुलाइज करने के दौरान मैं अपने दोस्त को खो चुका हूं लेकिन फिर भी मैं वन्यजीवों को बचाने के लिए आगे बढ़ रहा है. कुलदीप कहते हैं क्योंकि मुझे जानवरों के प्यार है इसलिए मुझे इनके डर भी नहीं लगता है.