भीलवाड़ा. प्रदेश में चल रहे राजनीतिक उठापटक के बीच पूर्व मुख्य सचेतक और भाजपा के वरिष्ठ राजनेता कालू लाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं भी मुख्य सचेतक रहा हूं. मैंने भी 5 वर्ष के कार्यकाल में कई बार व्हीप जारी किए, लेकिन व्हीप विधानसभा के अंदर दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा के बाहर विधायक दल की बैठक या मीटिंग की सूचना देने का काम मुख्य सचेतक का है. किंतु व्हिप जारी नहीं कर सकता है. इसलिए हम मीटिंग या बैठक की सूचना देते हैं. बाहर की सूचना अन्य मंत्री भी दे सकते हैं. उसमें कोई रोक नहीं है. विधायक दल की मीटिंग में चीफ व्हिप सूचना देता है लेकिन उसके अंदर व्हिप जारी नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो अयोग्य की बात की जा रही है, वो गलत है. डिफेक्शन का कानून संविधान प्रदत्त कानून नहीं है, लेकिन दलबदल ज्यादा होने लगे तो केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने यह कानून बनाया है. उन्होंने कहा कि इनका डिफेक्शन बिल लाया जाना चाहिए और कानून बनना चाहिए. लेकिन रोज-रोज सरकारें अस्थिर होती हैं. जिसके बाद जो कानून बनाया गया वो केवल विधानसभा में लागू होता है.
विधानसभा में सरकार के पक्ष में वोटिंग करना, उपस्थित रहना, यह व्हीप जारी होने के बाद अनिवार्य होता है. व्हिप जारी होने के बाद विधानसभा में कोई सदस्य उपस्थित नहीं होता है या अंदर आने के बाद वोट नहीं देता है या चुप्पी साध लेता है तो उस विधायक को अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि जो वर्तमान परिपेक्ष में बात चल रही है. जिसमें नोटिस दिया है. इसमें अध्यक्ष महोदय की भूल है. कांग्रेस पार्टी ने विधायक दल की बैठक बुलाई, लेकिन उसमें कोई विधायक नहीं गया तो उसको अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है. विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी करने का अधिकार ही नहीं है और जो नोटिस दिया वो ही अवैध है. यह व्हीप का उल्लंघन नहीं है क्योंकि विधानसभा के अंदर सरकार के पक्ष में मतदान करना अनिवार्य है.
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गुर्जर ने कहा कि विधायक दल की बैठक में उपस्थित नहीं हुआ तो सदस्यता खत्म करने का अधिकार ही नहीं है. बैठक में नहीं आने का कारण भी पार्टी पूछ सकती है. उन्होंने कहा कि जो नोटिस दिया गया है वो नियमों में है ही नहीं. यह नोटिस खारिज होगा. साथ ही जब विधानसभा सत्र आएगा उस समय जो व्हीप जारी होगा उसमें अगर कोई विधानसभा का सदस्य उसमें उपस्थित नहीं होता है तो डिफेक्शन कानून लागू होगा और तब सदस्यता रद्द हो सकती है. अब देखना यह होगा कि वर्तमान राजनीतिक उठापटक के बीच जो 19 विधायकों को नोटिस मिले हैं. उस पर क्या कार्रवाई होती है.