भीलवाड़ा. मनरेगा लोगों के लिए वरदान साबित हुई है. लॉकडाउन के तहत जो प्रवासी मजदूर अपना काम धंधा छोड़ कर वापस अपने गांव आ गए थे उनके लिए मनरेगा काफी मददगार साबित हुई है. बता दें कि जिले में जून महीने में मनरेगा में सबसे ज्यादा चार लाख श्रमिकों ने काम किया है. जिनका अब तक 300 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है.
भीलवाड़ा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजना मे लॉकडाउन के दौरान काफी श्रमिक काम करते थे. जून माह के पीक सीजन में जिले में 4 लाख श्रमिक प्रतिदिन मनरेगा कार्य स्थल पर काम करते थे. जिसका वित्तीय साल में 300 करोड़ रुपए श्रम का भुगतान किया जा चुका है.
मनरेगा में महिलाओं को मिला संबल
मनरेगा में जिले की 70 प्रतिशत महिलाएं श्रमिक काम करती थी और पुरुषों में केवल 30 प्रतिशत पुरुष ही मनरेगा में काम करते थे. महिला श्रमिकों के खाते में पैसा गया जिससे यह पैसा उनके बच्चों के भरम पोषण में काम आया. वहीं प्रदेश में जिले की महिला जनप्रतिनिधि की जगह उनके परिवार के लोगों की दखलंदाजी के सवाल पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने कहा कि राज्य सरकार ने आदेश जारी किए कि महिला जनप्रतिनिधि की जगह उनके परिवार के लोग काम नहीं कर सकते. इसके लिए हम नियम का कड़ाई से पालना करवा रहे हैं.
हमने भीलवाड़ा जिले मे भी यह नियम लागू कर दिया है. हम पहले समझाइश भी कर रहे हैं कि जिले में महिला जनप्रतिनिधि काम कर रही है वहां कोई परिवार जन की दखलअंदाजी तो नहीं है, अगर होती है तो उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी.
साथ ही मैंने समस्त विकास अधिकारी और हमारे ग्राम पंचायत के सचिव को भी निर्देश दिया है कि महिला जनप्रतिनिधि की जगह उनके परिवार के लोगों की दखलअंदाजी ना हो. भीलवाड़ा जिले में अधिकतर जगह अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं और जहां चुनाव हुए हैं वहा आधे में से ज्यादा जगह महिला चुनकर आई हैं.