भीलवाडा: बाल विवाह के रोकथाम को लेकर राज्य सरकार और जिला प्रशासन भले ही लाख दावे करते हैं लेकिन इस बार भी कुछ जगह पर बाल विवाह हुए. जिनकी बानगी आज यानी रविवार को देखने में आयी है. यहां शादी के बाद अपने परिवार के साथ दूल्हा-दुल्हन अपने देवताओं के चरणों में धोक (माथा टेकने) लगाते दिख रहे हैं. जिससे जिला प्रशासन के बाल विवाह नहीं होने के दावे फेल हो रहे हैं.
जिन हाथों में किताब और कलम होनी चाहिए उन हाथों में इस बार वैशाख पूर्णिमा यानी पीपल पूर्णिमा के दिन हुए अबूझ सावे के दिन परिणय सूत्र की डोरी में बंध गए हैं. जहां बाल विवाह के बाद नव दम्पत्ति देवी देवताओं के सपत्निक धोक लगा रहे हैं. पुलिस एवं प्रशासन भले ही बाल विवाह को लेकर लाख दावे करते हैं. जगह-जगह जागरूकता शिविर लगाते हैं लेकिन इस बार प्रशासन के दावे भी धरातल पर फेल होते नजर आ रहे हैं जिनकी बानगी आज भीलवाड़ा जिला मुख्यालय पर देखने को मिली.
जहां हाल ही में वैशाख पूर्णिमा यानी पीपल पूर्णिमा के दिन हुए विवाह के बंधन के बंध गए. विवाह संस्कार के बाद अपने देवी देवताओं के धोक लगाते हुए मासूम दूल्हा-दुल्हन नजर आ रहे हैं. जहां दूल्हा दुल्हन को परिवार के लोग अपने पुत्र व देवताओं के आगे धूप और अगरबत्ती जलाकर धोक लगवा रहे हैं. इस दौरान दूल्हा भी दुल्हन के हाथ में बंधा हुआ धागा खोलता हुआ साफ साफ नजर आ रहा है.
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प्रशासन ने की थी कंट्रोल रूम की स्थापना : अक्षय तृतीया और वैशाख पूर्णिमा पर बाल विवाह नहीं हो इसके लिए जिला प्रशासन ने कंट्रोल रूम की स्थापना की थी. इसके साथ ही जिला प्रशासन ने तमाम उपखंड अधिकारी, तहसीलदार ,विकास अधिकारी और पंचायत स्तर के कर्मचारियों को लोगों को जागरूक करने के निर्देश देते हुए बाल विवाह पर रोकथाम के निर्देश दिए थे. लेकिन प्रशासन के इतने दावों के बाद भी बाल विवाह जरूर हुआ है जिनकी बानगी आज देखने को मिली.