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बंधुआ मजदूरी पर प्रशासन का वार....ईट भट्टे से मुक्त कराए गए 28 मजदूर

बंधुआ मजदूरी का दंश झेल रहे है अब भी कई जिले. भीलवाड़ा में ईट भट्टे पर प्रशासन की कार्रवाई के बाद मुक्त कराए गए 28 बंधुआ मजदूर.

28 बंधुआ मजदूरोंं को करवाया मुक्त
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Published : May 3, 2019, 9:28 AM IST

Updated : May 3, 2019, 9:41 AM IST

भीलवाड़ा. बुधवार को जहां पूरे देश में मजदूर दिवस बड़े धूम-धाम से मनाया गया. सरकार और प्रशासन चाहे गरीबों की जनकल्याणकारी योजनाओं व श्रमिकों के हित के खूब दावे करें लेकिन हकीकत यह है कि आज भी बड़ी संख्या में बंधुआ मजदूर पसीने बहा रहे है और जिन्हें भुगतान भी नहीं किया जाता. यहां तक की मजदूरों के बच्चों को भोजन, पानी, आवास और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है. ऐसा ही एक मामला भीलवाड़ा में सामने आया है. जहां प्रशासन ने गुरूवार को 28 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया है.

28 बंधुआ मजदुरोंं को करवाया मुक्त

भट्टे मालिक मजदूरों से करते थे मारपीट
बंधुआ मजदूरी में मजदूरों के साथ जानवरों जैसा सलूक किया जाता है. वहीं कार्यस्थल पर मजदूरों के बच्चों को आवश्यक सुविधाएं भी नहीं मिल पाती है. बता दें कि जिले में सैकड़ों ईंट-भट्टे संचालित हैं जिनमें कुछ वैद्य है तो कुछ अवैध है. इन भट्टों पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से आए हुए प्रवासी मजदूरों से 12 घंटे से अधिक समय तक मजदूरी करवाई जाती है. अधिकतर श्रमिक वंचित समुदाय से आते हैं. असंगठित क्षेत्र में कार्य करने के कारण किसी भी राजनीतिक दलों कि ओर से मजदूरों के हित में आवाज नहीं उठाई जाती है. जिसके कारण मजदूर भी खुद को न्याय दिलाने के लिए दर-दर की ठोकर खाते है.

तहसीलदार व उपखंड मजिस्ट्रेट ने की कार्रवाई
मामला मांडल तहसील के कंचन ईंट-भट्टे का है जहां गुरूवार को 28 मजदूरों से बंधुआ मजदूरी करवा रहे थे. मजदूरों को बिना वेतन काम करवाया जा रहा था. मानवाधिकार कार्यकर्ता रिंकू परिहार को जब इस मामले को लेकर सूचना मिली तो उसने मांडल उपखंड मजिस्ट्रेट को सूचना दी. जिस पर उपखंड मजिस्ट्रेट मंडल के आदेश पर नायब तहसीलदार व संस्था के सदस्य कि ओर से कार्यवाही कर 28 बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाया गया.

16-17 घंटे काम करते थे मजदूर
मजदूरों बताते है कि वे भट्टे पर प्रतिदिन 16 से 17 घंटे काम करते थे, परंतु उनको कभी भी वेतन नहीं दिया गया. बस खर्चे पानी के पैसे दे दिए जाते थे. बार-बार पैसे मांगने पर निराशा हाथ लगती थी. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले में संचालित अवैध ईंट-भट्टों के खिलाफ क्या श्रम विभाग व जिला प्रशासन कुछ कार्रवाई करता है, जिससे कि गरीब तबके के लोगों को राहत मिल सके और अच्छा मेहनताना मिल सके.

भीलवाड़ा. बुधवार को जहां पूरे देश में मजदूर दिवस बड़े धूम-धाम से मनाया गया. सरकार और प्रशासन चाहे गरीबों की जनकल्याणकारी योजनाओं व श्रमिकों के हित के खूब दावे करें लेकिन हकीकत यह है कि आज भी बड़ी संख्या में बंधुआ मजदूर पसीने बहा रहे है और जिन्हें भुगतान भी नहीं किया जाता. यहां तक की मजदूरों के बच्चों को भोजन, पानी, आवास और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है. ऐसा ही एक मामला भीलवाड़ा में सामने आया है. जहां प्रशासन ने गुरूवार को 28 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया है.

28 बंधुआ मजदुरोंं को करवाया मुक्त

भट्टे मालिक मजदूरों से करते थे मारपीट
बंधुआ मजदूरी में मजदूरों के साथ जानवरों जैसा सलूक किया जाता है. वहीं कार्यस्थल पर मजदूरों के बच्चों को आवश्यक सुविधाएं भी नहीं मिल पाती है. बता दें कि जिले में सैकड़ों ईंट-भट्टे संचालित हैं जिनमें कुछ वैद्य है तो कुछ अवैध है. इन भट्टों पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से आए हुए प्रवासी मजदूरों से 12 घंटे से अधिक समय तक मजदूरी करवाई जाती है. अधिकतर श्रमिक वंचित समुदाय से आते हैं. असंगठित क्षेत्र में कार्य करने के कारण किसी भी राजनीतिक दलों कि ओर से मजदूरों के हित में आवाज नहीं उठाई जाती है. जिसके कारण मजदूर भी खुद को न्याय दिलाने के लिए दर-दर की ठोकर खाते है.

तहसीलदार व उपखंड मजिस्ट्रेट ने की कार्रवाई
मामला मांडल तहसील के कंचन ईंट-भट्टे का है जहां गुरूवार को 28 मजदूरों से बंधुआ मजदूरी करवा रहे थे. मजदूरों को बिना वेतन काम करवाया जा रहा था. मानवाधिकार कार्यकर्ता रिंकू परिहार को जब इस मामले को लेकर सूचना मिली तो उसने मांडल उपखंड मजिस्ट्रेट को सूचना दी. जिस पर उपखंड मजिस्ट्रेट मंडल के आदेश पर नायब तहसीलदार व संस्था के सदस्य कि ओर से कार्यवाही कर 28 बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाया गया.

16-17 घंटे काम करते थे मजदूर
मजदूरों बताते है कि वे भट्टे पर प्रतिदिन 16 से 17 घंटे काम करते थे, परंतु उनको कभी भी वेतन नहीं दिया गया. बस खर्चे पानी के पैसे दे दिए जाते थे. बार-बार पैसे मांगने पर निराशा हाथ लगती थी. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले में संचालित अवैध ईंट-भट्टों के खिलाफ क्या श्रम विभाग व जिला प्रशासन कुछ कार्रवाई करता है, जिससे कि गरीब तबके के लोगों को राहत मिल सके और अच्छा मेहनताना मिल सके.

Intro:ईट भट्टे से बंधुआ मजदूर मुक्त,28 बंधुआ मजदुरो को करवाया मुक्त।

भीलवाड़ा - सरकार और प्रशासन की गरीब विरोधी नीतियों के कारण आज भी मजदूर अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। कहीं जगह पर पर तो बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है । जहा मजदूरों के साथ जानवरों जैसा सलूक किया जाता है । वही कार्यस्थल पर मजदूरों के बच्चों को मूलभूत सुविधाएं भोजन, आवास और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है।


Body:जी हां हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा जिले में संचालित सैकड़ों ईट भट्टे जो कुछ वेध है व कुछ अवैध है इन भट्टों पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से आए हुए प्रवासी मजदूरों से 12 घंटे से अधिक समय तक मजदूरी करवाई जाती है। अधिकतर श्रमिक वंचित समुदाय से आते हैं । असंगठित क्षेत्र में कार्य करने के कारण किसी भी राजनीतिक दलों द्वारा मजदूरों के हित में आवाज नहीं उठाई जाती है । जिसके कारण मजदूर भी खुद को न्याय दिलाने की आस पास में दर-दर की ठोकरें खाकर मन मसोसकर रह जाते हैं और पैसे मांगने पर दमंग ईट भट्टे मालिक मजदूरों के साथ मारपीट कर बंधुआ मजदूरी करवा रहे हैं।
ऐसा ही मामला भीलवाड़ा जिले के मांडल तहसील के कंचन ईट भट्टे पर आया जहां पर 28 बंधुआ मजदूर बना रखे थे ।जिनको बिना वेतन काम करवा रहे थे। जिस पर मानवाधिकार की कार्यकर्ता रिंकू परिहार ने मांडल उपखंड मजिस्ट्रेट को सूचना दी गई । जिस पर उपखंड मजिस्ट्रेट मंडल के आदेश पर नायब तहसीलदार व संस्था के सदस्य द्वारा कार्यवाही कर 28 बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाया गया। मजदूरों ने बताया कि मैं भट्टे पर प्रतिदिन 16 से 17 घंटे काम करते हैं। परंतु उनको कभी भी वेतन नहीं दिया गया बस खर्चे पानी के पैसे दिए जाते हैं। बार-बार पैसे मांगने पर भी पैसे नही हैं । साथ ही हमारे को परिवार चलाने के लिए दुकानदार से घर का खर्च भी उधार लेना पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले में संचालित ईंट भट्टों के खिलाफ क्या श्रम विभाग व जिला प्रशासन कुछ कार्रवाई करता है जिससे गरीब तबके के लोगों को राहत मिल सके और अच्छा मेहनताना मिल सके।
सोम दत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

बाईट- सामाजिक कार्यकर्ता
पीटीसी - सोमदत त्रिपाठी


Conclusion:
Last Updated : May 3, 2019, 9:41 AM IST
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