भीलवाड़ा. अपनों को खोने के गम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मृत्यु भोज की परंपरा है. मगर मृत्युभोज की जगह द्वादशी पर रक्तदान की अनूठी पहल भीलवाड़ा के एक परिवार के युवाओं ने की है. दादी सरला तिवारी के निधन पर आईआईटीयन पौत्र दिविर तिवारी ने द्वादशी के दिन मृत्यु भोज की जगह रक्तदान का सुझाव परिजनों के सामने रखा. सभी ने इस पर सहमति दी. परिवार के बच्चों से लेकर वरिष्ठजन तक रक्तदान करने के लिए रक्तदान करने (Blood donation camp instead of death feast) लगे.
दिविर तिवारी का कहना है कि अपनों के निधन पर मृत्यु भोज किया जाता है. इससे किसी का भला नहीं होता है. मगर रक्तदान कर हम लोगों व समाज का भला कर सकते हैं. इसलिए मैं सभी लोगों से अपील करूंगा कि किसी के भी निधन पर मृत्यु भोज की जगह ऐसे रक्तदान और दूसरे समाज सेवा के काम करें, जिससे लोगों का भला हो और दिवंगत को सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके. पौत्र वधू कुमकुम तिवारी ने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है. हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने आज रक्तदान कर हमारी दादी सास को श्रद्धांजलि दी है.
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