भीलवाड़ा. कोरोना महामारी ने इंसानी जीवन का काफी प्रभावित किया है. वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के उद्यमियों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेमस्वरूप गर्ग ने ईटीवी भारत पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि कोरना जैसी महामारी के कारण वस्त्र उद्योग ठप पड़ा हुआ है. उद्योग को पुनः चालू करने के लिए दूर-दूर तक अंधेरा नजर आ रहा है.
भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम स्वरूप गर्ग ने कहा कि भीलवाड़ा में वस्त्र का उत्पादन औद्योगिक ईकाइयों के ऊपर निर्धारित है. यहां छोटी बड़ी 600 औद्योगिक ईकाइयां हैं. इन उद्योगों में बंगाल, बिहार, उड़ीसा के अलावा स्थानीय स्तर के श्रमिक मिलाकर एक लाख श्रमिक काम करते हैं.
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वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा कि वस्त्र उद्योगों की स्थिति इस समय बयां करना भी मुश्किल है. महामारी के चलते कोरोना पॉजिटिव होने पर न सरकार, न कोई आमजन मदद ही मदद करता है. वस्त्र उद्योगों को संचालन करने के पीछे सरकार की नियत यह है कि मजदूरों का पलायन नहीं हो इसलिए उद्योग चालू रहने दिया जाए, लेकिन केवल उद्योग चालू रखने से कुछ नहीं होगा, जब तक पूरी चैनल चालू नहीं रहती है. वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में कुछ उद्योग चालू हैं, लेकिन व्यापार का केंद्र बंद है. 600 औद्योगिक इकाइयों में से तकरीबन 200 औद्योगिक इकाइयों में ही कार्य संचालित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि उद्योगों को पुनः पटरी पर लाने के लिए यही हो सकता है जब आप उद्योग चालू रखना चाहते हैं तो व्यवसाय उद्योग का चोली दामन का साथ है. जब तक यह सतत प्रक्रिया नहीं मिलेगी तो उद्योग नहीं चलेगा. बहुत से व्यापारी निर्यात का काम करते हैं वह माल नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए उद्योग का काम सबसे ज्यादा ठप है. बता दें, भीलवाड़ा जिले में 8 से 9 करोड़ मीटर कपड़ा प्रति महीने बनता है. उन कपड़े में से एक करोड़ मीटर कपड़ा एक्सपोर्ट होता है.
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श्रमिकों के पलायन के सवाल पर गर्ग ने कहा कि श्रमिकों का पलायन रुक नहीं सकता. मजदूर गरीब आदमी है वह हमेशा अपने पेट की सोचता है. उद्योगपति सिर्फ उनको भोजन उपलब्ध करवा सकते हैं, लेकिन वर्तमान में व्यापार ठप है इसलिए लॉक डाउन लगने की संभावना के चलते मजदूरों ने पहले ही पलायन कर लिया है और कुछ यहां हैं जो घर पर हैं. भीलवाड़ा जिले में 20 हजार करोड़ का सालाना कपड़े का व्यापार होता है. गर्ग ने कहा कि पिछले वर्ष अप्रैल महीने में एक महीने व्यापार ठप रहा था, लेकिन धीरे-धीरे व्यापार पटरी पर लौट गया था, लेकिन वर्तमान में हमारे को कपड़े की औद्योगिक इकाइयों को पुनर्स्थापित करने में कोरोना जैसी महामारी के दौर में दूर -दूर तक अंधेरा नजर आ रहा है.