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राजस्थान बजट 2025: लोक कलाकारों ने रखी ये मांगें, बोले- इस कला को लुप्त होने से बचाए सरकार - RAJASTHAN BUDGET 2025

राजस्थान बजट 2025 से लोक कलाकारों को भी खासा उम्मीदें हैं. उन्होंने सरकार से ये मांग की है...

बजट से लोक कलाकारों को उम्मीदें
बजट से लोक कलाकारों को उम्मीदें (ETV Bharat Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 29, 2025, 10:34 AM IST

बाड़मेर : राजस्थान की भजनलाल सरकार के कार्यकाल का दूसरा बजट फरवरी माह में पेश किया जाएगा. आगामी बजट से हर वर्ग राहत की उम्मीद लगाए बैठा है. बाड़मेर शहर की कलाकार कॉलोनी में रहने वाले लोक कलाकारों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में आगामी बजट से पहले सरकार के समक्ष अपनी मांग रखी है. इस दौरान लोक कलाकारों ने अपनी लोक गायकी की प्रस्तुति देकर इसे लुप्त होने से बचाने की मांग रखी.

शहर के कलाकार कॉलोनी में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खान बिशाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार अच्छा काम कर रही है. राजस्थान की लोक गायकी कला जो धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. आजादी के बाद से कई सरकारे आईं, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने बताया कि देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों और भामाशाहों के समक्ष अपनी बात रखकर इस और ध्यान आकर्षित करवाया फिर कोई कुछ नहीं हुआ.

राजस्थान बजट से लोक कलाकारों उम्मीदें (ETV Bharat Barmer)

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गुरु शिष्य की पुरानी परंपरा लागू की जाए: फकीरा खान बिशाला ने कहा कि आगामी बजट में लोक गायिका जीवित रखने के लिए गुरु शिष्य पुरानी परंपरा शुरू की जाए. गांवों में जहां संगीत भवन बने हुए हैं, उसी गांव के बुजुर्ग लोक कलाकारों को लगाकर नई पीढ़ी के बच्चों को लोकगीत सिखाएं. गुरु और शिष्य दोनों को कुछ अनुदान राशि सहित अन्य सुविधाएं दी जाएं, ताकि यह लोक गायकी कला बचाई जा सके.

विशेष पैकेज की मांग: उन्होंने कहा कि लोग हमारी पीढ़ी के 500 लोकगीतों को गाते थे, जबकि अब 4-5 गीत सीखकर फेमस होने के लिए टीवी शो में जा रहे हैं. इस तरह से हमारी लोक गायकी धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. इस कला को बचाने के लिए सरकार आगामी बजट में लोककला ओर शिक्षा के क्षेत्र में हमारे लिए विशेष पैक की घोषणा करे.

घुमंतू जाति में शामिल करने की मांग : उन्होंने बताया कि घुमंतू जातिय की राष्ट्रीय सूची में हमारा जाति शामिल है, जबकि प्रदेश की घुमंतू जातिय सूची में नहीं है. ऐसे में मांगणियार, मिरासी, लंगा, दमामी, ढाढ़ी आदि जाति को प्रदेश की घुमंतू जातियों की सूची में जोड़ा जाए. इसी के आधार साथ कलाकारों को आवास, भूमि पट्टे आदि की सुविधा का लाभ दिलाया जाए. इस अलावा कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित की जाए.

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कलाकारों का सरकार रखे मान!: खान ने कहा कि हम बाड़मेर, जैसलमेर सहित राजस्थान के लोक कलाकार देश और दुनियाभर में जाकर अपनी लोक गायकी से प्रदेश और देश का मान बढ़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में सरकार भी हमें मान सम्मान देने का काम करे. ये आपस मे दूरियां नहीं होनी चाहिए. सब कलाकार एक और सुर भी एक ही है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद से हमारे प्रोग्राम न के बराबर हो रहे हैं. ऐसे परिवार का गुजारा करना भी बड़ा मुश्किल होता जा रहा है. सरकार 2% आरक्षण देने के साथ ही लोक कलाकारों को ध्यान में रखकर बजट में घोषणाएं करें.

कलाकारों को वाद्य यंत्र उपलब्ध करवाए सरकार : लोक कलाकार मुस्ताक खान बताते हैं कि हमारी लोक कला वर्षों पुरानी है. नई पीढ़ी को इस कला से जोड़ने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. इसके अलावा सरकार हमें वाद्य यंत्र आदि उपलब्ध कराए. इसी तरह शकूर खान बताते हैं कि बजट से हमें बेहद उम्मीदें हैं. सरकार नई पीढ़ी को लोक गायकी सीखाने के लिए कदम उठाए और इसके स्कूल, वाद्य यंत्र स्कूल उपलब्ध करवाए. लोक कलाकार बताते हैं कि कलाकार कॉलोनी में करीब 300 के आसपास परिवार निवासी करते हैं. यहां पर कोई स्कूल नहीं है और न ही सड़क है, जिसके चलते हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैय इन समस्याओं का समाधान कर हमें राहत प्रदान की जाए.

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