भरतपुर. पिछली राजस्थान सरकार ने वर्ष 2016 में गरीब श्रमिकों की बेटियों के हाथ पीले करने और पढ़ाने में मदद के लिए शुभ शक्ति योजना शुरू की थी. हालांकि, बीते 5 वर्ष से इस योजना का लाभ मजदूरों की बेटियों को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में कई मजदूरों ने तो बिना सहायता के ही अपनी बेटियों की शादी करा दी, जबकि कई मजदूर आज भी योजना के भरोसे में बेटियों का विवाह नहीं कर पा रहे हैं. इस योजना में जिले के करीब 3 हजार मजदूरों के आवेदन पेंडिंग पड़े हैं.
शहर की विजय नगर कॉलोनी निवासी जवाहर सिंह, उसकी पत्नी पद्मावती मजदूरी कर परिवार पालते हैं. उनकी दो बेटियां और तीन बेटे हैं. जवाहर ने बताया कि वर्ष 2017 में उसकी मजदूर पत्नी पद्मावती ने अपनी दोनों बेटियों के विवाह में मदद की उम्मीद से शुभ शक्ति योजना में आवेदन किया था, लेकिन 5 साल से भी अधिक वक्त गुजरने के बाद भी उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. आखिर में श्रमिक दंपति ने कर्ज लेकर बेटियों का विवाह किया.
उम्मीद में अटका विवाह : गांव खरेरा निवासी वृंदावन मजदूरी करता है. वृंदावन ने बताया कि उसकी एक बेटी है. उसने वर्ष 2020 में शुभ शक्ति योजना में आवेदन किया था, ताकि योजना के तहत मिलने वाले 55 हजार रुपए की मदद से बेटी का विवाह कर सके. अब दो साल से ज्यादा वक्त गुजर गया, लेकिन योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. इस कारण वृंदावन अपनी बेटी का विवाह भी नहीं करा पा रहा है.
कई बार आंदोलन-प्रदर्शन : श्रमिक नेता राजू राठी का आरोप है कि श्रम विभाग की शुभ शक्ति योजना के साथ ही अन्य कई योजनाओं में भी श्रमिकों को समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा. इसकी वजह से श्रमिकों को बहुत परेशानी होती है. उनका आरोप है कि इन समस्याओं को लेकर कई बार उन्होंने धरना-प्रदर्शन और आंदोलन किया, लेकिन कभी सुनवाई नहीं हुई.
3 हजार से ज्यादा आवेदन पेंडिंग : संयुक्त श्रम आयुक्त शिव चरण मीणा ने बताया कि वर्ष 2018 से राजस्थान सरकार की तरफ से शुभ शक्ति योजना के लिए बजट नहीं दिया गया है. इसकी वजह से इस योजना में आने वाले आवेदनों को होल्ड पर रखा गया है. इस योजना में जिले के करीब 3 हजार से अधिक श्रमिकों के आवेदन होल्ड पर हैं. यदि सरकार से बजट मिलेगा, तब ही श्रमिकों को इसका लाभ मिल सकेगा.