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ये हैं भरतपुर में किसानों के रोल मॉडल, हर साल लाखों के टर्न ओवर के साथ ही 20 लोगों को दे रहे हैं रोजगार

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Published : Dec 7, 2019, 3:19 PM IST

आर्थिक तंगी से जुझते किसानों के बारे में आपने बहुत सुना होगा पर आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने आधुनिक तकनीकों के सहारे ना सिर्फ खुद को सक्षम बनाया. बल्कि अब वह दूसरों को भी इस बात की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

Role Model Farmers of Bharatpur, किसानों के रोल मॉडल भरतपुर
भरतपुर में किसानों के रोल मॉडल

भरतपुर. देश भर में किसानों की आर्थिक तंगी और उनकी माली हालत के बारे में कई बार बात होती है. वहीं कई बार तो ऐसा भी होता है की अपनी आर्थिक तंगी के चलते किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं. लेकिन, भरतपुर का एक किसान ऐसा भी है जो ना केवल संरक्षित खेती कर रहा है, बल्कि लाखों की आमदनी के साथ ही करीब 20 लोगों को हर साल रोजगार भी दे रहा है.

भरतपुर में किसानों के रोल मॉडल

यह किसान आज पूरे जिले में रोल मॉडल बना हुआ है. ईटीवी भारत ने जिले के रुदावल क्षेत्र में स्थित इस किसान के ग्रीनहाउस पर पहुंचकर यहां खेती की संरक्षित तकनीक के बारे में जानकारी ली.

ग्रीन हाउस तकनीक ने यूं बनाया समृद्ध किसान

रुदावल के पास करीब 5 एकड़ क्षेत्र में ग्रीनहाउस तकनीक से खेती कर रहे अजीत पूनिया ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में 1 एकड़ जमीन में ग्रीनहाउस लगाकर चाइनीज खीरे की खेती शुरू की. पूनिया ने बताया कि पहले वह परंपरागत खेती और पत्थरों के व्यवसाय से जुड़े हुए थे लेकिन बहुत ही कम आमदनी होती थी. ग्रीनहाउस तकनीक से जब पैदावार काफी अच्छी होने लगी तो उन्होंने धीरे-धीरे अब 5 एकड़ जमीन में ग्रीन हाउस लगवा लिया है.

किसान का कहना है कि जहां 1 एकड़ जमीन में सालाना वंशानुगत खेती से मुश्किल से 20 से 25 हजार तक की आय होती है. वही संरक्षित खेती से इसी 1 एकड़ जमीन में सिर्फ 4 महीने में 5 से 6 लाख ततक की आमदनी हो जाती है. किसान पूनिया संरक्षित खेती के माध्यम से यूं तो कई प्रकार की खेती करते हैं. लेकिन, मुनाफे की अधिकता को देखते हुए सर्वाधिक रूप से चाइनीज खीरे की खेती करते हैं.

पढ़ें- EXCLUSIVE: 3 साल, 5 मामले, 7 अभियुक्तों को फांसी, हाईकोर्ट ने सभी को बदला आजीवन कारावास में

बरसात के पानी से करते हैं वर्ष भर खेती

किसान पूनिया ने बताया की भूमिगत पानी में फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा काफी अधिक होती है जोकि खेती के लिए ठीक नहीं होता. ऐसे में उन्होंने खेत में ही बड़े-बड़े टैंक बनवा दिए हैं जिनमें बरसात का पानी संरक्षित किया जाता है. इसी पानी को सोलर पंपों के माध्यम से ड्रिप सिंचाई से वर्ष भर खेती की जाती है. बरसात के पानी में जहां टीडीएस की मात्रा कम होती है. वहीं फसल के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है.

किसानों के लिए बना ट्रेनिंग पॉइंट

किसान पूनिया ने बताया कि वर्ष भर में उनके फार्म पर ना केवल भरतपुर बल्कि आसपास के जिलों के करीब 500 किसान प्रशिक्षण और खेती से संबंधित जानकारी लेकर जाते हैं. वहीं कृषि विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से जब भी किसानों को खेती से संबंधित कोई प्रशिक्षण के लिए ले जाया जाता है तो एक प्रशिक्षण किसान पूनिया के फार्म हाउस पर भी दिलाया जाता है. योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से ग्रीनहाउस लगाने के लिए किसानों को सब्सिडी देने की योजना भी है जिसका लाभ किसान पूर्णिया को भी दिलाया गया था.

भरतपुर. देश भर में किसानों की आर्थिक तंगी और उनकी माली हालत के बारे में कई बार बात होती है. वहीं कई बार तो ऐसा भी होता है की अपनी आर्थिक तंगी के चलते किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं. लेकिन, भरतपुर का एक किसान ऐसा भी है जो ना केवल संरक्षित खेती कर रहा है, बल्कि लाखों की आमदनी के साथ ही करीब 20 लोगों को हर साल रोजगार भी दे रहा है.

भरतपुर में किसानों के रोल मॉडल

यह किसान आज पूरे जिले में रोल मॉडल बना हुआ है. ईटीवी भारत ने जिले के रुदावल क्षेत्र में स्थित इस किसान के ग्रीनहाउस पर पहुंचकर यहां खेती की संरक्षित तकनीक के बारे में जानकारी ली.

ग्रीन हाउस तकनीक ने यूं बनाया समृद्ध किसान

रुदावल के पास करीब 5 एकड़ क्षेत्र में ग्रीनहाउस तकनीक से खेती कर रहे अजीत पूनिया ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में 1 एकड़ जमीन में ग्रीनहाउस लगाकर चाइनीज खीरे की खेती शुरू की. पूनिया ने बताया कि पहले वह परंपरागत खेती और पत्थरों के व्यवसाय से जुड़े हुए थे लेकिन बहुत ही कम आमदनी होती थी. ग्रीनहाउस तकनीक से जब पैदावार काफी अच्छी होने लगी तो उन्होंने धीरे-धीरे अब 5 एकड़ जमीन में ग्रीन हाउस लगवा लिया है.

किसान का कहना है कि जहां 1 एकड़ जमीन में सालाना वंशानुगत खेती से मुश्किल से 20 से 25 हजार तक की आय होती है. वही संरक्षित खेती से इसी 1 एकड़ जमीन में सिर्फ 4 महीने में 5 से 6 लाख ततक की आमदनी हो जाती है. किसान पूनिया संरक्षित खेती के माध्यम से यूं तो कई प्रकार की खेती करते हैं. लेकिन, मुनाफे की अधिकता को देखते हुए सर्वाधिक रूप से चाइनीज खीरे की खेती करते हैं.

पढ़ें- EXCLUSIVE: 3 साल, 5 मामले, 7 अभियुक्तों को फांसी, हाईकोर्ट ने सभी को बदला आजीवन कारावास में

बरसात के पानी से करते हैं वर्ष भर खेती

किसान पूनिया ने बताया की भूमिगत पानी में फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा काफी अधिक होती है जोकि खेती के लिए ठीक नहीं होता. ऐसे में उन्होंने खेत में ही बड़े-बड़े टैंक बनवा दिए हैं जिनमें बरसात का पानी संरक्षित किया जाता है. इसी पानी को सोलर पंपों के माध्यम से ड्रिप सिंचाई से वर्ष भर खेती की जाती है. बरसात के पानी में जहां टीडीएस की मात्रा कम होती है. वहीं फसल के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है.

किसानों के लिए बना ट्रेनिंग पॉइंट

किसान पूनिया ने बताया कि वर्ष भर में उनके फार्म पर ना केवल भरतपुर बल्कि आसपास के जिलों के करीब 500 किसान प्रशिक्षण और खेती से संबंधित जानकारी लेकर जाते हैं. वहीं कृषि विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से जब भी किसानों को खेती से संबंधित कोई प्रशिक्षण के लिए ले जाया जाता है तो एक प्रशिक्षण किसान पूनिया के फार्म हाउस पर भी दिलाया जाता है. योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से ग्रीनहाउस लगाने के लिए किसानों को सब्सिडी देने की योजना भी है जिसका लाभ किसान पूर्णिया को भी दिलाया गया था.

Intro:स्पेशल स्टोरी

भरतपुर.
अक्सर देशभर में किसानों की आर्थिक तंगी और उनकी माली हालत के बारे में सुना जाता है। कई बार तो आर्थिक तंगी के चलते कई किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं। लेकिन भरतपुर का एक किसान ऐसा भी है जो ना केवल लीक से हटकर संरक्षित खेती कर रहा है बल्कि लाखों की आमदनी के साथ ही करीब 20 लोगों को हर वर्ष रोजगार भी दे रहा है। यह किसान आज की तारीख में भरतपुर जिले के किसानों के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं। ईटीवी भारत ने जिले के रुदावल क्षेत्र में स्थित इस किसान के ग्रीनहाउस पर पहुंचकर इनकी खेती की संरक्षित तकनीक के बारे में जानकारी ली।


Body:ग्रीन हाउस तकनीक ने यूँ बनाया समृद्ध
रुदावल के पास करीब 5 एकड़ क्षेत्र में ग्रीनहाउस तकनीक से खेती कर रहे अजीत पूनिया ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में 1 एकड़ जमीन में ग्रीनहाउस लगाकर चाइनीज खीरे की खेती शुरू की। पूनिया ने बताया कि पहले वह परंपरागत खेती और पत्थरों के व्यवसाय से जुड़े हुए थे लेकिन बहुत ही कम आमदनी होती थी। ग्रीनहाउस तकनीक से जब पैदावार काफी अच्छी होने लगी तो उन्होंने धीरे-धीरे अब 5 एकड़ जमीन में ग्रीन हाउस लगवा लिया है।
किसान अजीत पूनिया का कहना है कि जहां 1 एकड़ जमीन में सालाना वंशानुगत खेती से मुश्किल से 20 से 25 हजार तक की आय होती है वही संरक्षित खेती से इसी 1 एकड़ जमीन में सिर्फ 4 महीने में 5 से 6 लाख ततक की आमदनी हो जाती है। किसान पूनिया संरक्षित खेती के माध्यम से यूं तो कई प्रकार की खेती करते हैं लेकिन मुनाफे की अधिकता को देखते हुए सर्वाधिक रूप से चाइनीज खीरे की खेती करते हैं।

बरसात के पानी से करते हैं वर्ष भर खेती
किसान पूनिया ने बताया की भूमिगत पानी में फ्लोराइड और टीडीएस की मात्रा काफी अधिक होती है जोकि खेती के लिए ठीक नही होता। ऐसे में उन्होंने खेत में ही बड़े-बड़े टैंक बनवा दिए हैं जिनमें बरसात का पानी संरक्षित किया जाता है। इसी पानी को सोलर पंपों के माध्यम से ड्रिप सिंचाई से वर्षभर खेती की जाती है। बरसात के पानी में जहां टीडीएस की मात्रा कम होती है वही फसल के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है।



Conclusion:जिले के किसानों के लिए बना हुआ है ट्रेनिंग पॉइंट
किसान पूनिया ने बताया कि वर्ष भर में उनके फार्म पर ना केवल भरतपुर बल्कि आसपास के जिलों के करीब 500 किसान प्रशिक्षण और खेती से संबंधित जानकारी लेकर जाते हैं। वहीं कृषि विभाग के आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से जब भी किसानों को खेती से संबंधित कोई प्रशिक्षण के लिए ले जाया जाता है तो एक प्रशिक्षण किसान पूनिया के फार्म हाउस पर भी दिलाया जाता है। योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से ग्रीनहाउस लगाने के लिए किसानों को सब्सिडी देने की योजना भी है जिसका लाभ किसान पूर्णिया को भी दिलाया गया था।


बाईट 1- अजीत पूनिया, प्रगतिशील किसान, रुदावल, भारतपुर। ( नीली शर्ट काली जैकेट)

बाईट 2- योगेश कुमार शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर(आत्मा), कृषि विभाग, भरतपुर।


सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर।
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