भरतपुर. प्रदेश सरकार आमजन को मुफ्त में इलाज और सुवाधाएं उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. भरतपुर में तो मरीजों को एमर्जेंसी सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. ईटीवी भारत के कैमरे में कैद ताजा तस्वीर इस बात कि गवाह है.
दरअसल, यह पीड़ा रुदावल थाना क्षेत्र के मांमडोली गांव निवासी राम मोहन कुशवाह की है, जो अपनी पत्नी बसंती को पेट में दर्द होने पर उसे आरबीएम अस्पताल लेकर पहुंचा. अस्पता में उसकी पत्नी को करीब घंटे भर तक भर्ती नहीं किया गया. इस दौरान वह पत्नी को कंधे पर बैठाकर अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह घूमता रहा. बाद में उसने परेशान होकर अपनी बीमार पत्नी को एक वार्ड में मिले खाली बेड पर लिटा दिया.
बता दें कि राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन ये दावे भरतपुर में संभाग के सबसे बड़े राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में हवा होते दिखाई देते हैं. जहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है. अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज के लिए स्ट्रैचर की कोई व्यवस्था नहीं है. मरीजों को भर्ती होने के लिए घंटों तक अस्पताल में प्रतीक्षा करनी पड़ती है. मरीज को लेकर परिजन घंटों तक इधर से उधर दौड़ते रहते हैं.
पीड़ित व्यक्ति राममोहन ने बताया कि घर में दलिया खाने के कुछ देर बाद ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. अचानक पेट में दर्द ज्यादा तेज होने लगा तो पत्नी को आरबीएम अस्पताल लेकर पहुंचा और चिकित्सकों को दिखाने के बाद उसे भर्ती करने के लिए वार्डों के चक्कर लगाने पड़े. पत्नी को वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रैचर भी नहीं मिला. इस दौरान वार्ड में तैनात कर्मचारी बेड खाली ना होने की बात कहकर उसे वार्ड से बाहर निकाल देते थे.
इस तरह की शिकायतों के बाद जिला कलेक्टर डॉ आरुषि मलिक के निर्देश पर उप जिला कलेक्टर संजय गोयल आज अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे. जहां उनके सामने भी बगैर स्ट्रैचर के एक व्यक्ति अपने बुजुर्ग व्यक्ति को गोदी में लेकर इधर से उधर घूम रहा था, जिस पर उप जिला कलेक्टर ने अस्पताल के अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए. गौरतलब है राजस्थान में भीषण गर्मी चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. वहीं मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में जिले से तीन विधायक मंत्री हैं, जिनमे भरतपुर शहर से विधायक डॉ. सुभाष गर्ग तो राज्य चिकित्सा मंत्री भी हैं.