भरतपुर. देश आजाद होने के बाद से ही भरतपुर की राजनीति में यहां के पूर्व राजघराने का जबरदस्त दबदबा रहा है. जब से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई है, तभी से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यहां के पूर्व राजा-महाराजा और उनके वंशज चुनाव जीतते आए हैं. यहां तक कि राजपरिवार ने जिस किसी प्रत्याशी को समर्थन दिया, उसे भी अच्छे मतों से जीत मिली. हालांकि अब राजनीतिक हालात बदलने लगे हैं और कई बार ऐसा भी हुआ कि पूर्व राजपरिवार के वंशजों को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन फिर भी इनका दबदबा कायम है.
सर्वाधिक 7 बार विधायक रहे राजा मान सिंह: वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने बताया कि भरतपुर जिले में विधायक के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल राजा मानसिंह का रहा. राजा मानसिंह जब से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई, तभी से राजनीति में उतर गए. वर्ष 1952 से 1980 तक लगातार सात बार विधायक रहे. ये डीग, कुम्हेर और वैर विधानसभा से चुनाव लड़े और हर बार जीते. वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में इनकी हत्या कर दी गई थी.
आज भी दबदबा: वशिष्ठ ने बताया कि पूर्व राजपरिवार का आज भी भरतपुर जिले में राजनीतिक दबदबा कायम है. वर्तमान के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह का प्रभाव आज भी भरतपुर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर देखा जा सकता है. यही वजह है वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भरतपुर जिले की किसी भी सीट पर भाजपा का कोई प्रत्याशी नहीं जीत पाया था. 7 में से 4 सीटों पर कांग्रेस, एक सीट पर कांग्रेस समर्थित रालोद प्रत्याशी और दो सीटों पर बसपा प्रत्याशी जीते, जिन्होंने बाद में कांग्रेस ज्वाइन कर ली.