भरतपुर. कहते हैं पूत के पांव पालने में नजर आ जाते हैं. भरतपुर के उवार गांव का 4 साल का कुणाल (4 year old Cricketer Kunal) अपने टैलेंट के कारण चर्चा में है. उम्र महज चार साल पर कुणाल क्रिकेट की पिच पर जब बैटिंग करता है तो मंझे खिलाड़ियों को भी मात देता है. आश्चर्य की बात है कि बिना ट्रेनिंग के ही इस छोटे बच्चे को सारे शॉट खेलने आते हैं. हुनर ऐसा है कि उसको ट्रेनिंग देने वाले मानते हैं कि उसका टैलेंट गॉड गिफ्टेड है.
कुणाल सोगरवाल (Kunal Sogarwal) को जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने सिर्फ 4 महीने की ट्रेनिंग दी है लेकिन वो भी मानते हैं कि उन्होंने उसे सिर्फ तराशा है. कुणाल को क्रिकेट खेलना पहले से ही आता है. वो कहते हैं कि ये बच्चा क्रिकेट के लिए बना है. शत्रुघ्न तिवारी की मानें तो कुणाल ना केवल भरतपुर का बल्कि इंडिया का सबसे कम उम्र का खिलाड़ी है.
दो साल की उम्र से ही पकड़ लिया बैट
पिता बताते हैं कि कुणाल जब करीब 2 साल का था तो गांव के अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रहा था. एक दिन उसको क्रिकेट खेलते हुए देखा तो लगा कि यह क्रिकेट में काफी आगे जा सकता है. ऐसे में उसके लिए घर पर ही एक बैट और बॉल लाकर प्रैक्टिस करना शुरू किया. फिलहाल, कुणाल की उम्र चार साल है. एक साल पहले उसके पिता उसे जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी के पास लाए और उनको कुणाल के क्रिकेट खेलते हुए वीडियो दिखाए. शत्रुघ्न तिवारी भी उसकी प्रतिभा देखकर दंग रह गए. उन्होंने कुणाल की ट्रायल ली और उसके बाद उसको ट्रेनिंग देना शुरू किया.
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हुनर देख मिल रही फ्री ट्रेनिंग
आगे कुणाल की प्रतिभा के बारे शत्रुघ्न तिवारी कहते हैं कि उसमें गजब का क्रिकेट टैलेंट है. मानो क्रिकेट उसको गॉड गिफ्ट के रूप में मिला हुआ है. कुणाल के हुनर को देखते हुए उसे निशुल्क कोचिंग दी जा रही है. 1 साल पहले कोचिंग लेने आए कुणाल को लॉकडाउन के चलते कई महीने तक घर बैठना पड़ा. उसे सिर्फ 4 महीने का ही प्रशिक्षण दिया जा सका है. लेकिन उन्हें खुद विश्वास नहीं हो रहा कि सिर्फ चार-पांच माह के प्रशिक्षण में इतनी कम उम्र का छोटा बच्चा इतना अच्छा क्रिकेट कैसे सीख सकता है. उन्हें यकीन है कि 1 दिन कुणाल भारत के लिए खेलेगा. शत्रुघ्न तिवारी ने बताया कि फिलहाल दो-तीन साल उसे क्रिकेट की अच्छी प्रैक्टिस कराई जाएगी. उसके बाद राजस्थान के अंडर-14 टूर्नामेंट (Rajasthan Under-14 Tournament) में खिलाया जाएगा.
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पहले से जानता है सारे शॉट, 5 घंटे करता है प्रैक्टिस
चार साल की उम्र में बच्चे मां-बाप के बिना रह नहीं पाते पर इस बच्चे में क्रिकेट का जूनून ऐसा है कि ये पूरा दिन बिना पैरेंट्स के प्रैक्टिस करता है. कुणाल के पिता हर दिन उसे गांव से एकेडमी लाते हैं और सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक हर दिन कुणाल करीब 5 घंटे प्रैक्टिस करता है.
शत्रुघ्न तिवारी कहते हैं कि कुणाल सोगरवाल कवर ड्राइव, पुल शॉट, स्क्वायर कट आदि सभी शॉट वो पहले से ही जनता है. उसे सिर्फ कोचिंग के माध्यम से तराशा जा रहा है बाकी क्रिकेट तो वह ऑलरेडी जानता है.
मुझे धोनी बनना है
नर्सरी में बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते. ये नन्हा क्रिक्रेटर नर्सरी में पढ़ता है. उसका सपना महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) बनना है. कुणाल के पिता कन्हैयालाल पेशे से एक निजी संस्थान में कंप्यूटर टीचर है. साथ ही खेती-बाड़ी भी करते हैं. कुणाल उनका छोटा बेटा है. उनका कहना है कि वो अपने बेटे को अच्छा क्रिकेटर बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.