भरतपुर. पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों हजारों देशी-विदेशी परिंदों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है. 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली छिछली झीलों में अठखेलियां कर परिंदों ने सबका मन मोह लिया है. विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों ने इन दिनों पार्क की फिजा ही बदल डाली है.
रामसर साईट, घना पक्षी विहार, विश्व धरोहर जैसे अनेकों तमगों से सजी प्रकृति की इस अनूठी विरासत में करीब 400 प्रजातियों के परिंदे हर वर्ष यहां वंश बढ़ाने के लिए बसेरा बनाते हैं. यही वजह है कि केवलादेव राष्ट्रीय पार्क परिदों की सैरगाह के लिए पूरे विश्व में मशहूर रहा है.
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लेकिन पिछले कुछ वर्षों तक पानी की कमी के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आने वाले सैकड़ों दुर्लभ प्रजातियों के परिदों ने पार्क से अपना मुंह मोड़ लिया था. करीब एक दशक तक ये विश्व प्रसिद्व पार्क परिदों और पर्यटकों की कमी से जूझता रहा. लेकिन अब पार्क में रौनक एकबार फिर देखने को मिली है.
पार्क में अब अनेकों प्रजातियों के परिदों के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. पिछले दस सालों तक पानी की एक-एक बूंद को तरसने वाले इस पार्क की झीलें अब पानी से लबालब दिखाई दे रही है. जहां परिदों की अठखेलियों को पर्यटक कैमरों में कैद करते नजर आ रहे है.
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पार्क में इन दिनों भारतीय उपमहाद्वीप के अप्रवासी पक्षी पेंटेड स्टाॅर्क, कार्मोरेंट, ब्लैक हैडेड आई बीज, स्पूनविल, ब्लैक क्राउन नाईट हैरोन, पौंड हैरोन, ग्रेट ईग्रेट, लैसर विसलिंग टील सहित सैकड़ों प्रजातियों के परिदें वंश वृद्धि (प्रजनन) करते नजर आ रहे है.
सूखे की मार झेल चुके इस नेशनल पार्क में रौनक बढ़ने से पक्षी प्रेमियों में खुशी का माहौल है. साथ ही पर्यटन व्यवसाय से जुडे़ लोग भी घना में पानी आने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे है. वहीं, माना जा रहा है कि अब घना नेशनल पार्क परिदों और पर्यटकों का मोहताज नहीं रहेगा.