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स्पेशल रिपोर्ट: विदेशी परिंदों की चहचहाहट से गुंज उठा घाना

पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों हजारों देशी-विदेशी परिंदों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है. 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली छिछली झीलों में अठखेलियां कर परिंदों ने सबका मन मोह लिया है.

चिड़ियों से गुलजार हुआ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, Keoladeo National Park buzzed with birds
चिड़ियों से गुलजार हुआ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
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Published : Nov 29, 2019, 8:02 PM IST

भरतपुर. पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों हजारों देशी-विदेशी परिंदों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है. 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली छिछली झीलों में अठखेलियां कर परिंदों ने सबका मन मोह लिया है. विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों ने इन दिनों पार्क की फिजा ही बदल डाली है.

चिड़ियों से गुलजार हुआ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

रामसर साईट, घना पक्षी विहार, विश्व धरोहर जैसे अनेकों तमगों से सजी प्रकृति की इस अनूठी विरासत में करीब 400 प्रजातियों के परिंदे हर वर्ष यहां वंश बढ़ाने के लिए बसेरा बनाते हैं. यही वजह है कि केवलादेव राष्ट्रीय पार्क परिदों की सैरगाह के लिए पूरे विश्व में मशहूर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी : पूरे संसार का पालन करने वाले 'भगवान' की इस तीर्थ में देखभाल करने वाला कोई नहीं

लेकिन पिछले कुछ वर्षों तक पानी की कमी के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आने वाले सैकड़ों दुर्लभ प्रजातियों के परिदों ने पार्क से अपना मुंह मोड़ लिया था. करीब एक दशक तक ये विश्व प्रसिद्व पार्क परिदों और पर्यटकों की कमी से जूझता रहा. लेकिन अब पार्क में रौनक एकबार फिर देखने को मिली है.

पार्क में अब अनेकों प्रजातियों के परिदों के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. पिछले दस सालों तक पानी की एक-एक बूंद को तरसने वाले इस पार्क की झीलें अब पानी से लबालब दिखाई दे रही है. जहां परिदों की अठखेलियों को पर्यटक कैमरों में कैद करते नजर आ रहे है.

पढ़ें- स्पेशल: एक मंदिर...जहां बलि के बाद भी लोग हो जाते थे जिंदा!

पार्क में इन दिनों भारतीय उपमहाद्वीप के अप्रवासी पक्षी पेंटेड स्टाॅर्क, कार्मोरेंट, ब्लैक हैडेड आई बीज, स्पूनविल, ब्लैक क्राउन नाईट हैरोन, पौंड हैरोन, ग्रेट ईग्रेट, लैसर विसलिंग टील सहित सैकड़ों प्रजातियों के परिदें वंश वृद्धि (प्रजनन) करते नजर आ रहे है.

सूखे की मार झेल चुके इस नेशनल पार्क में रौनक बढ़ने से पक्षी प्रेमियों में खुशी का माहौल है. साथ ही पर्यटन व्यवसाय से जुडे़ लोग भी घना में पानी आने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे है. वहीं, माना जा रहा है कि अब घना नेशनल पार्क परिदों और पर्यटकों का मोहताज नहीं रहेगा.

भरतपुर. पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों हजारों देशी-विदेशी परिंदों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है. 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली छिछली झीलों में अठखेलियां कर परिंदों ने सबका मन मोह लिया है. विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों ने इन दिनों पार्क की फिजा ही बदल डाली है.

चिड़ियों से गुलजार हुआ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

रामसर साईट, घना पक्षी विहार, विश्व धरोहर जैसे अनेकों तमगों से सजी प्रकृति की इस अनूठी विरासत में करीब 400 प्रजातियों के परिंदे हर वर्ष यहां वंश बढ़ाने के लिए बसेरा बनाते हैं. यही वजह है कि केवलादेव राष्ट्रीय पार्क परिदों की सैरगाह के लिए पूरे विश्व में मशहूर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी : पूरे संसार का पालन करने वाले 'भगवान' की इस तीर्थ में देखभाल करने वाला कोई नहीं

लेकिन पिछले कुछ वर्षों तक पानी की कमी के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आने वाले सैकड़ों दुर्लभ प्रजातियों के परिदों ने पार्क से अपना मुंह मोड़ लिया था. करीब एक दशक तक ये विश्व प्रसिद्व पार्क परिदों और पर्यटकों की कमी से जूझता रहा. लेकिन अब पार्क में रौनक एकबार फिर देखने को मिली है.

पार्क में अब अनेकों प्रजातियों के परिदों के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. पिछले दस सालों तक पानी की एक-एक बूंद को तरसने वाले इस पार्क की झीलें अब पानी से लबालब दिखाई दे रही है. जहां परिदों की अठखेलियों को पर्यटक कैमरों में कैद करते नजर आ रहे है.

पढ़ें- स्पेशल: एक मंदिर...जहां बलि के बाद भी लोग हो जाते थे जिंदा!

पार्क में इन दिनों भारतीय उपमहाद्वीप के अप्रवासी पक्षी पेंटेड स्टाॅर्क, कार्मोरेंट, ब्लैक हैडेड आई बीज, स्पूनविल, ब्लैक क्राउन नाईट हैरोन, पौंड हैरोन, ग्रेट ईग्रेट, लैसर विसलिंग टील सहित सैकड़ों प्रजातियों के परिदें वंश वृद्धि (प्रजनन) करते नजर आ रहे है.

सूखे की मार झेल चुके इस नेशनल पार्क में रौनक बढ़ने से पक्षी प्रेमियों में खुशी का माहौल है. साथ ही पर्यटन व्यवसाय से जुडे़ लोग भी घना में पानी आने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे है. वहीं, माना जा रहा है कि अब घना नेशनल पार्क परिदों और पर्यटकों का मोहताज नहीं रहेगा.

Intro:भरतपुर 29-11-2019
एंकर- भरतपुर जिले में पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों
हजारों देशी विदेशी परिन्दों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है। 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली छिछली झीलों में अठखेलियां कर सबका मन मोह लेने वाले विभिन्न प्रजातियों के हजारो परिदों ने इस पार्क की फिर से फिजां बदल डाली है अब परिदों की किलोल से पूरा नेशनल पार्क चहक उठा है।
रामसर साईट, घना पक्षी विहार, विश्व धरोहर जैसे अनेकों तमगों से सजी प्रकृति की इस अनूठी विरासत में करीब 400 प्रजातियों के परिंन्दे यहां हर वर्ष अपनी वंश वृद्धि के लिऐ बसेरा बनाते हैं और यही वजह है कि केवलादेव घना परिदों की सैरगाह के लिए पूरे विश्व में मशहूर रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों तक पानी की कमी के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहाॅ आने वाले सैकडों दुर्लभ प्रजातियों के परिदों ने पार्क से अपना मुॅह मोड लिया था और करीब एक दशक तक ये विश्व प्रसिद्व पार्क परिदों और पर्यटकों की कमी से जूझता रहा। लेकिन अब पार्क में रौनक एकबार फिर देखने को मिली है। पार्क में अब अनेकों प्रजातियों के परिदों के अलावा देशी विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है। और पिछले दस सालों तक पानी की एक एक बूंद को तरसने वाले इस पार्क की झीलें अब पानी से लबालब दिखाई दे रही है। जहाॅ परिदों की अठखेलियों को पर्यटक कैमरों में कैद करते नजर आ रहे है। पार्क में इन दिनों भारतीय उपमहाद्वीप के अप्रवासी पक्षी पेंटेड स्टाॅर्क, कार्मोरेंट, ब्लैक हैडेड आई विस, स्पूनविल, ब्लैक क्राउन नाईट हैरोन, पौंड हैरोन, ग्रेट ईग्रेट, लैसर विसलिंग टील सहित सैकडों प्रजातियों के परिदें नीड बनाकर वंश वृद्वि (प्रजनन) करते नजर आ रहे है।
सूखे की मार झेल चुके इस नेशनल पार्क में रौनक बढने से पक्षी प्रेमियों में अपार खुशी का माहौल तो है ही साथ ही पर्यटन व्यवसाय से जुडे लोग भी घना में पानी आने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे है और माना जा रहा है कि अब घना नेशनल पार्क अब परिदों और पर्यटकों का मोहताज नही रहेगा।
बाइट- मोहित गुप्ता केवलादेव नेशनल पार्क निदेशक
बाइट- तरुण सिंह पक्षी विद केवलादेव नेशनल पार्कBody:पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला भरतपुर का विश्विख्यात केवलादेव नेशनल पार्क इन दिनों हजारों देशी विदेशी परिन्दों की चहचहाहट से गुंजायमान होने लगा है।Conclusion:
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