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भरतपुर : डीग में ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास बढ़ रही गंदगी, नगर निगम बेपरवाह

भरतपुर के डीग कस्बे को एक तरफ जहां पर्यटन की दृष्टि से हेरिटेज सिटी कहा जाता है, वहीं पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों तरफ फैली गंदगी से कस्बेवासी काफी परेशान हैं. गंदगी का आलम ये है कि दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं पा रहा है, साथ ही नगर पालिका प्रशासन भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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डीग के ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास बढ़ने लगी है गंदगी
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Published : Sep 18, 2020, 5:18 PM IST

डीग (भरतपुर). जल महलों की नगरी डीग जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, मिट्टी के बने किलों और रंगीन फव्वारों के लिए विश्व विख्यात है. जहां एक तरफ पर्यटन की दृष्टि से डीग को हेरिटेज सिटी भी कही जाता है. वहीं, पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों तरफ फैली गंदगी से कस्बेवासी काफी परेशान हैं. गंदगी का आलम ये है कि किलों के पास गंदगी से निकलती दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं पा रहा है. साथ ही नगर पालिका प्रशासन भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डीग के ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास बढ़ने लगी गंदगी

कस्बेवासियों का कहना है कि शहर की नालियों से निकला गंदा पानी, कीचड़, पोलोथिन और कूड़ा करकट किले के चारों तरफ भरे पानी में जमा हो रहा है. इसे जमा होते-होते इतने दिन हो गए हैं कि अब ये पानी सड़ने लगा है और इसमें से दुर्गंध आने लगी है, लेकिन नगर पालिका को न तो शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता है और न ही ऐतिहासिक धरोहरों की. हालांकि, नगर पालिका ने कस्बे में जगह-जगह कचरे पात्र लगवा रखे हैं, लेकिन उनको समय पर खाली करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं और न ही गंदगी हटाने के कोई प्रबंध किए गए हैं.

ये भी पढ़ेंः भरतपुर में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 9 टटलूबाज दबोचे

कस्बे में सब्जी मंडी सहित जगह-जगह गंदगी का यही नजारा दिखाई दे रहा है, लेकिन नगरपालिका कुम्भकर्ण की नींद सोई हुई है. उनकी तरफ से कस्बे में फैली गंदगी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साथ ही 'स्वच्छ भारत मिशन' भी यहां महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है.

डीग (भरतपुर). जल महलों की नगरी डीग जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, मिट्टी के बने किलों और रंगीन फव्वारों के लिए विश्व विख्यात है. जहां एक तरफ पर्यटन की दृष्टि से डीग को हेरिटेज सिटी भी कही जाता है. वहीं, पुराना बस स्टैंड स्थित किले के चारों तरफ फैली गंदगी से कस्बेवासी काफी परेशान हैं. गंदगी का आलम ये है कि किलों के पास गंदगी से निकलती दुर्गंध के कारण वहां से कोई राहगीर निकल भी नहीं पा रहा है. साथ ही नगर पालिका प्रशासन भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डीग के ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास बढ़ने लगी गंदगी

कस्बेवासियों का कहना है कि शहर की नालियों से निकला गंदा पानी, कीचड़, पोलोथिन और कूड़ा करकट किले के चारों तरफ भरे पानी में जमा हो रहा है. इसे जमा होते-होते इतने दिन हो गए हैं कि अब ये पानी सड़ने लगा है और इसमें से दुर्गंध आने लगी है, लेकिन नगर पालिका को न तो शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता है और न ही ऐतिहासिक धरोहरों की. हालांकि, नगर पालिका ने कस्बे में जगह-जगह कचरे पात्र लगवा रखे हैं, लेकिन उनको समय पर खाली करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं और न ही गंदगी हटाने के कोई प्रबंध किए गए हैं.

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कस्बे में सब्जी मंडी सहित जगह-जगह गंदगी का यही नजारा दिखाई दे रहा है, लेकिन नगरपालिका कुम्भकर्ण की नींद सोई हुई है. उनकी तरफ से कस्बे में फैली गंदगी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साथ ही 'स्वच्छ भारत मिशन' भी यहां महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है.

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