भरतपुर. कोरोनाकाल में सरसों के भाव 8300 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे. ऐसे में जिले के किसानों ने बीते तीन साल में गेहूं का रकबा घटाकर सरसों की बुआई बढ़ा दी, लेकिन देशभर में सरसों उत्पादन में अग्रणी जिला माने जाने वाले भरतपुर के किसान इस साल सरसों की फसल की बुआई करके पछता रहे हैं. इस बार सरसों की पैदावार भी घटकर आधी रह गई है. जबकि समय से पहले तेज गर्मी की वजह से सरसों के दाने में तेल की मात्रा भी कम रह गई है. यही वजह है कि अबकी किसान के लिए सरसों की फसल घाटे का सौदा साबित हो रही है.
मंडी में भाव कम होने से किसान परेशानः कारोबारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि पिछले वर्ष सीजन में सरसों 6500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिकी थी, लेकिन इस बार मंडी में नई सरसों को मुश्किल से 5100 और 5200 रुपए प्रति क्विंटल के भाव मिल पा रहे हैं. सरसों में तेल की मात्रा भी कम है, जिसकी वजह से भाव और भी कम मिल रहा है.
पैदावार कमजोर - जघीना निवासी किसान बाबूलाल ने बताया कि दिसंबर में कई दिन तक पाला पड़ा था. जिसकी वजह से सरसों की फली का बढ़ाव रुक गया था. वहीं, फली के साथ ही भीतर के दानों का बढ़ाव रुकने से दाने छोटे रह गए. इसका नतीजा यह हुआ कि जहां गत वर्ष प्रति बीघा 10 मन तक सरसों पैदावार हुई थी, वहीं इस बार मुश्किल से 4 -5 मन तक सरसों पैदा हुई है.
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किसान पुष्कर सिंह ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार सरसों की पैदावार के साथ ही तेल की मात्रा भी कम है. पिछले साल लैब टेस्टिंग में सरसों में तेल की मात्रा 42 से 43% तक थी. लेकिन इस बार तेल की मात्रा 39 से 40% आ रही है. वहीं, व्यवसायी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि सरसों में तेल की मात्रा कम होने पर उसके भाव भी कम मिलते हैं. यदि सरसों में तेल की मात्रा 1% कम निकलती है तो 150 रुपए प्रति क्विंटल भाव कम मिलता है. यानी इस बार 2 से 3 फीसदी तेल की मात्रा कम निकल रही है. इससे सरसों के भाव 300 से 450 रुपए प्रति क्विंटल और कम हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि 42 फीसदी तेल की मात्रा पर 5200 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन इस बार सरसों में तेल की मात्रा 39 से 40 फीसदी होने पर भाव 4800 से 4900 रुपए प्रति क्विंटल मिल ही पा रहा है.