भरतपुर. चार धाम यात्रा भारत में हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है. यह सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है. चार धाम यात्रा का जिक्र आते ही उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों औऱ कठिन रास्तों का ख्याल भी जहन में आता है, लेकिन यदि आप ऊंची पहाड़ियां न चढ़ पाएं तो राजस्थान के भरतपुर आ जाएं और चार धाम की यात्रा कर लें. जी हां, बृज चौरासी परिक्रमा मार्ग और भरतपुर में भी चार धाम विराजमान हैं. इनके दर्शन के बिना 84 कोसीय परिक्रमा भी अधूरी मानी जाती है.
इतना ही नहीं, उत्तराखंड के चार धाम की तरह ही भरतपुर के चार धाम का भी खास महत्व माना गया है. मान्यता है कि जो लोग उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा नहीं कर पाते वो बृज के चार धाम की यात्रा से भी वही पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि बृज में कैसे प्रकट हुए केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री और क्या है बृज के चारों धाम की कहानी...
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नंद बाबा और मां यशोदा ने मांगी थी मनौती
भरतपुर से करीब 56 किलोमीटर दूर स्थित चारों धामों आदि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के प्रकट होने की कहानी भी अद्भुत है. योग माया मंदिर के पुजारी बाबा राम गुलाम दास ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण 5 वर्ष के हो गए तो नंद बाबा और मां यशोदा ने उनसे कहा कि हम चार धाम की यात्रा के लिए जाएंगे. भगवान श्रीकृष्ण ने उनको समझाया कि आप वृद्धावस्था में चार धाम की दुर्गम यात्रा कैसे कर पाएंगे. तो नंद बाबा और मां यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हमने मनौती मांगी थी कि जब हमारा बेटा 5 वर्ष का हो जाएगा तो चार धाम की यात्रा करेंगे. इसलिए हमें हर हाल में चार धाम की यात्रा करनी है.
बृज में ऐसे प्रकट हुए चार धाम
नंद बाबा और मां यशोदा की हठ देखकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मैं यहीं पर तुम दोनों को चार धाम के दर्शन करा दूंगा. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने माता योग माया से चारों धामों को बृज में ही प्रकट करने की प्रार्थना की. योग माया ने कृष्ण भगवान से कहा कि प्रभु जब सभी बृजवासी एक साथ आपका ध्यान करेंगे तो चारों धाम स्वयं ही बृज में प्रकट हो जाएंगे. इसके बाद श्री कृष्ण ने सभी बृजवासियों से कहा की भगवान बद्रीनाथ यहीं पर गुप्त रूप से रहते हैं. इसलिए सभी लोग भगवान बद्रीनाथ का ध्यान करो. सभी बृजवासियों ने भगवान बद्रीनाथ का ध्यान किया और योग माया ने उत्तराखंड से भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को यहीं पर प्रकट कर दिया.
बद्रीनाथ के पास ही गंगोत्री, यमुनोत्री, लक्ष्मण झूला और नीलकंठ महादेव को भी उन्होंने प्रकट किया. यहीं पर नर और नारायण पर्वत भी स्थित हैं. योग माया ने यहां से करीब 9 किलोमीटर आगे ऊंची पहाड़ी पर भगवान केदारनाथ को भी प्रकट कर दिया. नंद बाबा और यशोदा मां समेत सभी बृज वासियों ने चारों धाम के यहीं पर दर्शन किए.
पुजारी बाबा राम गुलाम दास ने बताया कि जो लोग उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा नहीं कर पाते वे लोग बृज के चार धाम की यात्रा कर पुण्य कमा सकते हैं. चातुर्मास में बृज चौरासी कोस की परिक्रमा लगाई जाती है. परिक्रमा के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं. उस दौरान बृज चौरासी कोस की परिक्रमा मार्ग में स्थित चारों धाम की यात्रा भी की जाती है. भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली में स्थित चारों धाम के प्रति लोगों में आज भी बड़ी आस्था है.