भरतपुर. एक किन्नर, जिन्हें पूरा शहर नीतू मौसी के नाम से जानता है. नीतू खुद तो मां नहीं बन सकीं, लेकिन उन्होंने कई बेटियों का कन्यादान कर मां का फर्ज निभाया है. इसी क्रम में सोमवार को नीतू ने पूरे रस्मों-रिवाज के साथ 10 बेटियों को विदा किया.
नीतू मौसी हर वर्ष 10 कन्याओं का सामूहिक विवाह कराती हैं. इनके विवाह सम्मेलन की सबसे खास बात यह है कि एक ही विवाह मंडप में वैदिक मंत्र और निकाह की आयतें गूंजती हैं. सोमवार को भी शहर के पाई बाग स्थित मैरिज होम में 10 कन्याओं (8 हिंदू व 2 मुस्लिम) का विवाह और निकाह कराया गया. इन्हें मिलाकर नीतू अब तक कुल 12 साल में 120 कन्याओं का विवाह और निकाह करा चुकी हैं.
बेटियों के लिए तोहफे भी दिए : सोमवार को गाजे बाजे के साथ सभी दूल्हे बारात लेकर पहुंचे, वहीं दुल्हनें श्रृंगार कर मंडप में बैठीं. नीतू मौसी ने एक ही मंडप में हिंदू और मुस्लिम समाज की बेटियों का एक साथ विवाह और निकाह संपन्न कराया. खुद नीतू मौसी ने कन्यादान कर मां का फर्ज अदा किया. विवाह में नीतू मौसी ने कन्याओं के लिए सोने और चांदी के साथ ही अन्य जरूरी सामान भी भेंट किए.
ये हैं नीतू मौसी : नीतू मौसी भरतपुर की किन्नर हैं. ये 12 साल पहले तक आम किन्नरों की तरह ही लोगों की खुशियों में उनके घरों पर जाती थीं, उन्हें दुआ देती थीं. इस दौरान कई बार वो गरीब बेटियों, उनके घर और उनकी परिस्थितियों को भी देखती थीं. ऐसे में समय-समय पर वो कभी 1-2 गरीब कन्याओं की शादी करा देती थीं. इसके बाद आज से 12 वर्ष पहले उन्होंने एक संकल्प लिया और हर वर्ष हिंदू-मुस्लिम की 10 कन्याओं का विवाह कराने का अभियान शुरू किया. नीतू मौसी ने कहा कि "कन्यादान से बड़ा दान कुछ नहीं होता. गरीब कन्याओं का विवाह कर बहुत ही आत्म संतोष मिलता है, इसलिए प्रयास रहेगा कि आने वाले वर्षों में भी गरीब कन्याओं का कन्यादान करती रहूं."