नदबई (भरतपुर). रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के कई छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं. इसमें राजस्थान के भरतपुर जिले के नदबई गांव खेड़ी देवी सिंह का बेटा (Bharatpur son strainded in Ukraine) भी मौजूद है. टीवी पर वहां के हालात देखकर उनके परिजन परेशान हैं और बेटे के वतन वापसी की राह देख रहे हैं. उधर, बेटा भी वतन वापसी की कोशिश में लगा है. वे अपने माता-पिता से फोन के जरिए संपर्क में हैं और वहां के हालातों को बयां कर रहा है. रोते-बिलखते मां-बाप अपने बच्चे की वतन वापसी को लेकर सरकार से हाथ जोड़कर गुहार लगा रहे हैं.
नदबई के गांव खेड़ी देवी सिंह का रहने वाला नरेंद्र खुर्रा पुत्र गंगा दान सिंह खुर्रा 2020 से यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई (Bharatpur son doing MBBS in Ukraine) कर रहा है. नरेंद्र यूक्रेन के खार्कीव में एक यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. हॉस्टल में बने बंकर में उन्हें अब ठहराया गया है. नरेंद्र ने बताया कि कुछ ही दूरी पर बम के धमाके हो रहे हैं. यहां सभी डरे हुए हैं. खाने-पीने की व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है. वहीं दूसरी ओर युद्ध शुरू होने के बाद से नरेंद्र के माता-पिता काफी टेंशन में है. नरेंद्र के माता-पिता लगातार वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क में हैं.
नरेंद्र के पिता गंगादान सिंह खुर्रा और माता वीरवती और ताऊ सोहन सिंह खुर्रा रो-रो कर सरकार से बेटे की वतन वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं. गांगादान सिंह के दो पुत्र हैं नरेंद्र और सुरेंद्र. नरेंद्र छोटा है जो कि यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. बड़ा भाई सुरेंद्र राजस्थान के जयपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है. रोते-बिलखते परिजन नरेंद्र की वतन वापसी को लेकर परिजन सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
वीडियो कॉल के माध्यम से बेटे नरेंद्र से संपर्क साधे हुए हैं. नरेंद्र के परिजनों ने बताया कि नरेंद्र 2020 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गया था. कुछ ही महीने पहले वह भारत आया था और जुलाई में वापस यूक्रेन लौट गया था. नरेंद्र भारत लौटने के लिए सरकार से लगातार गुहार लगा रहा है और सरकार की तरफ से आश्वासन मिल रहा है.
![Bharatpur son strainded in Ukraine](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14576196_thumbn.jpg)
अजमेर के दो युवक भी हैं युक्रेन में फंसे
अजमेर की मार्बल सिटी किशनगढ़ के दो युवक रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे हुए हैं. दोनों युवाओं के परिजन जब से युद्ध शुरू हुआ तब से परेशान हैं. ईश्वर और सरकार से हरपल अरदास लगा रहे हैं कि उनके बच्चों को जल्द से जल्द घर लौटा लाएं. परिवार के लोगों ने बताया कि विडबंना ये रही कि दोनों युवकों के हवाई टिकट बन चुके थे और वे उसी विमान से लौटने वाले थे जो युद्ध शुरू होने की खबर के साथ ही यूक्रेन में लैंड करने के बाद वापस लौट गया.
गांधीनगर थाना क्षेत्र में कृष्णा मेडिकल स्टोर संचालक एवं रियल स्टेट से जुड़े व्यवसायी दिलीप सिंह के दो बेटे कृष्णपाल सिंह एवं आदित्य सिंह राठौड़ यूक्रेन के ललीव शहर में एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रहे हैं. परिजन परेशान हैं और फोन पर संपर्क कर अपने बच्चों का हालचाल ले रहे हैंं.
350 मेडिकल छात्र कीव में फंसे हैं
जयपुर के रेनवाल निवासी छात्र नरेन्द्र चौधरी ने व्हाटसअप कॉल पर बताया कि हम लोग हॉस्टल में रात करीब 9 बजे सोने की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच बम धमाकों की आवाज आने लगी. अलर्ट के सायरन बजने पर हम लोग हॉस्टल के नीचे बने बंकर में बिस्तर लेकर पहुंच गए. पूरी रात सभी छात्र-छात्राओं ने जागकर काटी. हॉस्टल की मेस में काम करने वाले कर्मचारी भाग गए हैं. अब खाना हमें ही बनाना पड़ रहा है. छात्र गगन दीप ने बताया कि प्रदेश के करीब 350 छात्र कीव स्थित मेडिकल काॅलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. जिनमें रेनवाल क्षेत्र के इस समय दो छात्र फंसे हुए हैं. इनके साथ जयपुर, सीकर, झुंझनू, पाली आदि जिलों के छात्र-छात्राएं शामिल हैं.
दिन में बाजार खुलते हैं, रात में दहशत का माहौल
छात्रों ने बताया कि दिन में यहां हालात सामान्य हैं. बाजार भी खुलते हैं, लेकिन रात को दहशत का माहौल बन जाता है. रह-रहकर बम धमाकों की आवाज आती है. कीव से पांच किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज और हॉस्टल है. इनमें अधिकांश भारतीय ही हैं, ऐसे में हमें विश्वास है कि रूस यहां हमला नहीं करेगा. और दूतावास सही समय पर उन्हें सड़क मार्ग से पोलेंड भेजेगा फिर इंडियन एयर लाइंस से उन्हें वतन भेजा जाएगा.
नरेन्द्र और गगनदीप के मां रामेश्वरी देवी का कहना है कि बच्चों को लेकर चिंता हो रही है, लेकिन भगवान पर पूरा भरोसा है कि बच्चे सकुशल लौट आएंगे. पिता जगदीश ताकर ने बताया कि बच्चों से लगातार बातचीत हो रही है. उम्मीद है कि एक-दो दिन में भारतीय दूतावास के प्रयास से वे घर आ जाएंगे.