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कामां क्षेत्र के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में भ्रष्टाचार का बोलबाला, प्रसूताओं से वसूला जा रहा सुविधा शुल्क

कामां क्षेत्र के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में प्रसूताओं से स्टाफ द्वारा सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है. सुविधा शुल्क देने से मना करने पर ठीक से देखभाल नहीं की जाती है और उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने की धमकी भी दी जाती है. शिकायत के बाद भी स्टाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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Published : Aug 25, 2020, 3:44 PM IST

Facility fees being charged from the obstetricians in the state hospital
राजकीय अस्पताल में प्रसूताओं से वसूला जा रहा सुविधा शुल्क

कामां (भरतपुर). राज्य सरकार द्वारा आमजन को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन इसकी हकीकत का अंदाजा शायद कोई नहीं लगा सकता. कामां क्षेत्र के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में इन दिनों भ्रष्टाचार का बोलबाला है. यहां का प्रसूताओं से स्टाफ सुविधा शुल्क वसूल रहा है. सुविधा शुल्क नहीं दिए जाने पर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है. अस्पताल स्टाफ की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा होने के बाद भी डिस्चार्ज होने पर प्रसूताओं को निजी वाहनों से अपने घर जाना पड़ रहा है.

राजकीय अस्पताल में प्रसूताओं से वसूला जा रहा सुविधा शुल्क

कामां कस्बा के नाला बाजार निवासी प्रसूता की परिजन मूर्ति देवी ने बताया कि वह अपने परिवार की महिला का प्रसव कराने के लिए राजकीय अस्पताल आईं थी. यहां नर्स ने उसे जांच कराने के लिए कहा जिसके बाद उसने ब्लड जांच और कोरोना की जांच करा ली. जांच कराने के बाद नर्स द्वारा कहा गया कि आप को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है, क्योंकि आपके शरीर में ब्लड की कमी है.

यह भी पढ़ें: बाड़मेर: बनवाई गई राजकीय अस्पताल परिसर की टूटी हुई दीवार, मिल रही थीं शिकायतें

बाद में एक नर्स ने कहा कि आप 11 सौ रुपए हमें दे दीजिए तो आपके मरीज का प्रसव इसी अस्पताल में करा देंगे. प्रसूता के परिजनों ने 9 सौ रुपये देने की बात कही तो नर्स मान गई. महिला का आरोप है कि दो नर्स थीं, जिनमें एक को सात सौ रुपए और दूसरे को दो सौ रुपए दिए गए. इसके बाद उनके मरीज का प्रसव राजकीय अस्पताल में ही करा दिया गया. वहीं रात्रि को एक अन्य महिला प्रसव कराने के लिए आई तो उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. बाद में महिला ने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. परिजनों का आरोप है कि उस महिला के द्वारा नर्सिंग स्टाफ को पैसे नहीं दिए गए थे.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: कोटा मेडिकल कॉलेज CT Scan से भी करेगी कोरोना जांच, सप्लीमेंट्री टेस्ट के रूप में लेगा काम

प्रसूताओंं को लाने और ले जाने के लिए राज्य सरकार ने एंबुलेंस सेवा दे रखी है लेकिन उसका भी राजकीय अस्पताल में कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है. प्रसूता प्रसव के बाद एंबुलेंस की बजाय निजी वाहन से आ-जा रहे हैं. इसे लेकर लोगों ने स्थानीय और जिला प्रशासन से राजकीय अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है. मामले को लेकर ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. केडी शर्मा द्वारा जांच कराने का आश्वासन दिया गया है.

कामां (भरतपुर). राज्य सरकार द्वारा आमजन को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन इसकी हकीकत का अंदाजा शायद कोई नहीं लगा सकता. कामां क्षेत्र के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में इन दिनों भ्रष्टाचार का बोलबाला है. यहां का प्रसूताओं से स्टाफ सुविधा शुल्क वसूल रहा है. सुविधा शुल्क नहीं दिए जाने पर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है. अस्पताल स्टाफ की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा होने के बाद भी डिस्चार्ज होने पर प्रसूताओं को निजी वाहनों से अपने घर जाना पड़ रहा है.

राजकीय अस्पताल में प्रसूताओं से वसूला जा रहा सुविधा शुल्क

कामां कस्बा के नाला बाजार निवासी प्रसूता की परिजन मूर्ति देवी ने बताया कि वह अपने परिवार की महिला का प्रसव कराने के लिए राजकीय अस्पताल आईं थी. यहां नर्स ने उसे जांच कराने के लिए कहा जिसके बाद उसने ब्लड जांच और कोरोना की जांच करा ली. जांच कराने के बाद नर्स द्वारा कहा गया कि आप को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है, क्योंकि आपके शरीर में ब्लड की कमी है.

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बाद में एक नर्स ने कहा कि आप 11 सौ रुपए हमें दे दीजिए तो आपके मरीज का प्रसव इसी अस्पताल में करा देंगे. प्रसूता के परिजनों ने 9 सौ रुपये देने की बात कही तो नर्स मान गई. महिला का आरोप है कि दो नर्स थीं, जिनमें एक को सात सौ रुपए और दूसरे को दो सौ रुपए दिए गए. इसके बाद उनके मरीज का प्रसव राजकीय अस्पताल में ही करा दिया गया. वहीं रात्रि को एक अन्य महिला प्रसव कराने के लिए आई तो उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. बाद में महिला ने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. परिजनों का आरोप है कि उस महिला के द्वारा नर्सिंग स्टाफ को पैसे नहीं दिए गए थे.

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प्रसूताओंं को लाने और ले जाने के लिए राज्य सरकार ने एंबुलेंस सेवा दे रखी है लेकिन उसका भी राजकीय अस्पताल में कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है. प्रसूता प्रसव के बाद एंबुलेंस की बजाय निजी वाहन से आ-जा रहे हैं. इसे लेकर लोगों ने स्थानीय और जिला प्रशासन से राजकीय अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है. मामले को लेकर ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. केडी शर्मा द्वारा जांच कराने का आश्वासन दिया गया है.

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