बाड़मेर. बाड़मेर का नाम सुनते ही मन में एक छवि उभरती है, रेगिस्तानी इलाका, दूर-दूर तक सन्नाटा. लेकिन अगर हम आपको कहें कि बाड़मेर की इन सब से भी एक पहचान है, जो आपको एक नई दुनिया का एहसास कराती है.
बाड़मेर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित 'रेडाणा का रण' इन दिनों लोगों के लिए पर्यटन की दृष्टि से पहली पसंद बना हुआ है. यहां का नजारा कुछ ऐसा है जो आपको बीच जैसा अनुभव करायेगा. बाड़मेर के लोग चिलचिलाती धूप के बीच परिवार समेत रेडाणा का रण घूमने पहुंच रहे हैं. बारिश के बाद हुए जल भराव ने तो रेडाणा के रण की सूरत ही बदल दी है. यहां आकर लोग प्रफुल्लित हो रहे हैं.
सोशल मीडिया पर रेडाणा की चर्चा
किसी भी चीज के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया एक अहम हथियार बन गया है. ऐसा ही रेडाणा के रण के साथ हो रहा है. इस बदलाव के बाद बाड़मेर समेत आसपास के कई जिलों में इन दिनों सोशल मीडिया पर रेडाणा का रण चर्चा में बना हुआ है. सोशल मीडिया पर यहां की तस्वीरें और वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहे हैं, जो लोगों को अनायास ही अपनी ओर खींच रहे हैं. अपनी विशेषता के कारण अब यह जगह बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होती जा रही है.
पिकनिक स्पॉट के रूप में हो रहा विकसित
लगभग 10 किलोमीटर में फैले रेडाणा के रण क्षेत्र में हर तरफ पानी ही पानी नजर आता है. एक तरह से ये जहग पिकनिक स्पॉट की तरह विकसित होने लगी है. लोग परिवार समेत यहां बड़ी संख्या में सुकून की तलाश में जुट रहे हैं. रेगिस्तानी इलाके में इस तरह का अद्भुत नजारा अपने आप में बेहद खास है. लोग तो इसे मिनी गोवा तक कहने लगे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर रेडाणा के रण का जो ट्रेंड चला है, उसके बाद तो लोग बड़ी संख्या में पिकनिक मनाने के लिए अपने परिवार के साथ आ रहे हैं. लोगों की भीड़ जुटने से आसपास के लोगों को भी रोजगार मिलने लगा है. जिससे उनका जीवन स्तर सुधरने लगा है.
यह भी पढ़ेंः स्पेशल: घर के कबाड़ से 11वीं का छात्र कर रहा Experiment...आर्थिक तंगी भी हौसलों के आगे डगमगाई
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि भीड़ बढ़ने के साथ ही यहां पर असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लग रहा है. जिससे हर वक्त किसी वारदात या हादसे की आशंका बनी रहती है. ऐसे में हम जिला प्रशासन और पुलिस से मांग करते हैं कि रेडाणा के रण को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के साथ यहां पर पुलिस की तैनाती की जाए. जिससे यहां आने वाले पर्यटक बेखौफ होकर घूम सकें.
यह भी पढ़ेंः स्पेशल: 'सिर साटे रूंख रहे, तो भी सस्तौ जाण'...363 लोगों की याद में नहीं भरा खेजड़ली मेला
क्या कहना है ज्योग्राफी स्कॉलर का?
रेगिस्तान के रण में पानी के भराव को लेकर ETV Bharat की टीम ने एक्सपर्ट ज्योग्राफी स्कॉलर विजय कुमार से बात की. विजय कुमार ने बताया कि रेगिस्तान के इस इलाके में किसी जमाने में समुंद्र हुआ करता था. खासतौर पर इस इलाके में पानी का भराव होने के पीछे की वजह यह बताई जाती है कि पहाड़ों के साथ दोनों के बीच होने से चिकनी मिट्टी की वजह से पानी का भराव रह जाता है.
यह भी पढ़ेंः Special: किसानों की राहत पर सरकार ने खींचे हाथ, अब नहीं मिलेगी बिजली बिल पर 833 रुपए की सब्सिडी
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार पानी इकट्ठा हुआ है. यहां हमेशा इस तरीके से पानी इकट्ठा होता है, लेकिन आज तक इस पर स्थानीय लोगों ने ध्यान नहीं दिया और अब कोरोना काल में लोगों के लिए यह नया पर्यटन स्थल बन रहा है. हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं. बाड़मेर में यह अकेला इलाका नहीं है, ऐसी कई और इलाके हैं, जहां पर भी पानी इस तरीके से इकट्ठा होता है. कहीं पर यह पानी जल्दी सूख जाता है, लेकिन यहां पर ग्रेवल की तरह चिकनी मिट्टी होने की वजह से पानी कई महीनों तक जमा रहता है.