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राष्ट्रीय बालिका दिवस: बेटी के जन्म पर थाली बजाकर, गुड़ बांटकर मनाई गई खुशियां

बाड़मेर में बेटी के जन्म पर महिलाओं ने थाली बजाकर और गीत गाकर खुशियां मनाई. रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर महिला संगठन की ओर से शहर के दानजी की होदी इलाके में खुशबू के घर बेटी के जन्म पर थाली बजाकर, तिलक लगा कर मां और बच्ची का स्वागत किया गया और गुड़ बांटा गया.

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Published : Jan 24, 2021, 9:07 PM IST

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राष्ट्रीय बालिका दिवस

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तान में एक जमाने में बेटियां अभिशाप मानी जाती थी. आलम यह था कि बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था. लेकिन वक्त के साथ अब तस्वीरें भी बदल गई हैं. जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार प्रचार हुआ लोगों में समझ बढ़ी और बेटियों ने राजस्थान और देश में अपने परिवार का नाम रोशन किया और उसके बाद से ही हालात बदल गए. बेटों से ज्यादा बेटियों को अहमियत मिलने लगी और इसी का उदाहरण है कि आज लोग बेटी के पैदा होने पर जश्न मना रहे हैं.

राष्ट्रीय बालिका दिवस

पढे़ं: अजमेर: 26 जनवरी को राजपथ पर फ्लाई पास्ट का नेतृत्व करेंगी स्वाति राठौड़

बाड़मेर में बेटी के जन्म पर महिलाओं ने थाली बजाकर और गीत गाकर खुशियां मनाई. रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर महिला संगठन की ओर से शहर के दानजी की होदी इलाके में खुशबू के घर बेटी के जन्म पर थाली बजाकर, तिलक लगा कर मां और बच्ची का स्वागत किया गया और गुड़ बांटा गया.

महिला संगठन की अध्यक्ष अनिता सोनी ने कहा कि उनका संगठन पिछले कई समय से बेटियों के जन्म पर उत्सव कार्यक्रम कर रहा है. अब तक 31 बालिकाओं के जन्म उत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके है. उन्होंने कहा कि बालिकाएं बोझ नहीं वरदान हैं वह एक नहीं दो घरों को रोशन करती हैं. वहीं गांव, समाज और देश का नाम भी बालिकाएं रोशन करती है. उन्होंने कहा कि लड़का और लड़की दोनों बराबर हैं और उन्हें बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए. बालिकाओं का सम्मान करना हमारा पहला कर्तव्य है बेटा अगर घर का चिराग है तो बेटी रोशनी है.

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महिला हस्तशिल्पी एवं लोक कलाकारों को निशुल्क स्मार्ट फोन

मुहिम 'ग्लोबल गांव' के तहत महिला हस्तशिल्पी एवं लोक कलाकारों को निशुल्क स्मार्ट फोन बांटे

ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान की तरफ से 'ग्लोबल गांव' कार्यक्रम के तहत रविवार को रूमा देवी क्राफ्ट सेंटर बलदेव नगर पर जिले भर के विभिन्न गाँवों से चयनित लोक कलाकारों एवं दस्तकारों को डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करके निशुल्क स्मार्ट फोन वितरित किए गए. समाज सेविका एवं अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर रूमा देवी ने बताया कि समय की मांग है डिजिटल होना. इन्टरनेट के दौर और कोरोना की मजबूरियों के बीच समय की मांग है सभी क्षेत्रों के डिजिटल होने की तो गाँव भी पीछे ना रहें, इसलिए हमने ‘ग्लोबल गांव’ अभियान चलाया है.

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तान में एक जमाने में बेटियां अभिशाप मानी जाती थी. आलम यह था कि बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था. लेकिन वक्त के साथ अब तस्वीरें भी बदल गई हैं. जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार प्रचार हुआ लोगों में समझ बढ़ी और बेटियों ने राजस्थान और देश में अपने परिवार का नाम रोशन किया और उसके बाद से ही हालात बदल गए. बेटों से ज्यादा बेटियों को अहमियत मिलने लगी और इसी का उदाहरण है कि आज लोग बेटी के पैदा होने पर जश्न मना रहे हैं.

राष्ट्रीय बालिका दिवस

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बाड़मेर में बेटी के जन्म पर महिलाओं ने थाली बजाकर और गीत गाकर खुशियां मनाई. रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर महिला संगठन की ओर से शहर के दानजी की होदी इलाके में खुशबू के घर बेटी के जन्म पर थाली बजाकर, तिलक लगा कर मां और बच्ची का स्वागत किया गया और गुड़ बांटा गया.

महिला संगठन की अध्यक्ष अनिता सोनी ने कहा कि उनका संगठन पिछले कई समय से बेटियों के जन्म पर उत्सव कार्यक्रम कर रहा है. अब तक 31 बालिकाओं के जन्म उत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके है. उन्होंने कहा कि बालिकाएं बोझ नहीं वरदान हैं वह एक नहीं दो घरों को रोशन करती हैं. वहीं गांव, समाज और देश का नाम भी बालिकाएं रोशन करती है. उन्होंने कहा कि लड़का और लड़की दोनों बराबर हैं और उन्हें बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए. बालिकाओं का सम्मान करना हमारा पहला कर्तव्य है बेटा अगर घर का चिराग है तो बेटी रोशनी है.

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महिला हस्तशिल्पी एवं लोक कलाकारों को निशुल्क स्मार्ट फोन

मुहिम 'ग्लोबल गांव' के तहत महिला हस्तशिल्पी एवं लोक कलाकारों को निशुल्क स्मार्ट फोन बांटे

ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान की तरफ से 'ग्लोबल गांव' कार्यक्रम के तहत रविवार को रूमा देवी क्राफ्ट सेंटर बलदेव नगर पर जिले भर के विभिन्न गाँवों से चयनित लोक कलाकारों एवं दस्तकारों को डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करके निशुल्क स्मार्ट फोन वितरित किए गए. समाज सेविका एवं अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर रूमा देवी ने बताया कि समय की मांग है डिजिटल होना. इन्टरनेट के दौर और कोरोना की मजबूरियों के बीच समय की मांग है सभी क्षेत्रों के डिजिटल होने की तो गाँव भी पीछे ना रहें, इसलिए हमने ‘ग्लोबल गांव’ अभियान चलाया है.

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