बाड़मेर. फ्लोरोसिस बीमारी को लेकर मंगलवार को जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य भवन सभागार में जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमे बाड़मेर शहर सहित बालोतरा, बायतु और धोरीमन्ना, शिव, चौहटन, गुड़ामालानी, सिवाना, कल्याणपुर, सिणधरी, समदड़ी, रामसर, पाटौदी, गिड़ा, आडेल, सेड़वा सहित विभिन्न खण्डों और ब्लॉक के साथ जिले भर के डिप्टी सीएमएचओ, ब्लॉक सीएमओ, लैब तकनीशियन और सलाहकार शामिल हुए. कार्यशाला स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई. इस दौरान चिकित्सा निदेशालय जयपुर से आए.
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी, जिला संदर्भ व्यक्ति डॉ. पिसी दीपन ने बताया कि गरीब और दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे भारतीयों के भोजन में कैल्सियम, विटामिन और आयरन के अभाव के चलते 0.5 पीपीएम से अधिक मात्रा वाले पानी का लगातार सेवन भी फ्लोरोसिस की बीमारी दे सकता है. उन्होंने कोविड-19 के चलते रही सुस्त प्रगति को पीछे छोड़ राष्ट्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम को नए जोश से आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
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उन्होंने बताया कि फ्लोरोसिस की रोकथाम के लिए मात्र स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बजाय जलदाय विभाग, नगर-ग्रामीण निकाय, केमिस्ट और डेंटिस्ट का भी समन्वय आवश्यक है. उन्होंने बाड़मेर के सुदूर ग्रामीण स्तर तक विभाग को जोर लगाने की हिदायत दी. ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. सताराम भाखर ने फ्लोरोसिस से बचाव, पहचान और उपचार सम्बन्धी मापदंडों की जानकारी दी. पीएचइडी की ओर से शामिल चीफ केमिस्ट द्वारा पानी में फ्लोराइड का स्तर जांच करने के तरीकों पर चर्चा की.