बाड़मेर. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने मंगलवार को कृषि भवन कार्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के विभिन्न संस्थानों की कृषि अनुसंधान, विस्तार और शिक्षा की प्रगति की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने प्राथमिकताओं, प्रदर्शन और विभिन्न चुनौतियों से निपटने की तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण दिया.
इस दौरान कैलाश चौधरी ने किसानों के पारम्परिक ज्ञान को तकनीक से जोड़ने और युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए भारतीय कृषि की पूरी संभावनाओं के दोहन से सम्बंधित आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
समीक्षा बैठक के बाद कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि 2014 से अब तक आईसीएआर के विभिन्न केन्द्रों के अनुसंधान के आधार पर क्षेत्रीय फसलों, बागवानी फसलों और जलवायु आधारित प्रजातियों का विकास किया जा चुका है. कई तरह की मुश्किलें सहने में सक्षम प्रजातियों के विकास के लिए आणविक प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया गया है.
कैलाश चौधरी ने कृषि जलवायु क्षेत्र की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए प्रजातियों के विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और किसानों को अच्छा रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए उत्पादन और विपणन सुविधाओं के विकास की जरूरत पर बल दिया.
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केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत और ‘कुपोषण मुक्त भारत’ को बढ़ावा देने के प्रयास में ज्यादा आयरन, जिंक और प्रोटीन सामग्री से युक्त जैव उर्वरक प्रजातियां विकसित की गई हैं. कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से पोषण थाली और पोषण बागों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
कैलाश चौधरी ने कहा कि आईसीएआर ने धान की फसल के बाद पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मैजिक सीडर पेश किया है. 2016 की तुलना में 2019 में पराली जलाने के मामलों में 52 प्रतिशत की कमी आई है.