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पदयात्रा के जरिए आमजन को गौ सेवा के लिए प्रेरित करते हैं ग्वाल संत, 2012 से शुरू की थी मुहिम

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Published : Oct 11, 2019, 11:15 AM IST

आमजन में गायों की सेवा, पर्यावरण की रक्षा सहित जन सेवा की प्रेरणा को लेकर 31 वर्षीय गौ पर्यावरण एवं चेतना पदयात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा साल 2012 में हल्दीघाटी से शुरू हुई थी. इस पदयात्रा पर निकले ग्वाल सन्त गोपालानन्द सरस्वती पद यात्रा करते हुए शुक्रवार को बाड़मेर के बालोतरा पहुंचे.

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बालोतरा (बाड़मेर). 4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि हल्दीघाटी से अपनी पैदल यात्रा सम्पूर्ण भारत वर्ष के तहत अब तक 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं ग्वाल संत. बालोतरा पहुंचे ग्वाल सन्त ने ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में बताया कि 4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि से प्रारंभ की यह यात्रा 3 दिसंबर 2043 को संपन्न होगी. उनकी ये यात्रा 31 वर्षीय गौ माता, पर्यावरण के प्रति जन चेतना और आध्यात्म चेतना को लेकर की जा रही है.

ग्वाल सन्त गोपालानन्द सरस्वती महाराज पदयात्रा करते हुए शुक्रवार को पहुंचे बालोतरा

जिसके तहत 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा नंगे पांव करते हुए करीब 12 हजार से अधिक गांवों, शहरों, कस्बों में गौ सेवा, प्राणी सेवा, वृक्ष सेवा, जन सेवा की प्रेरणा लोगों को दी है. यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का कोई दान चंदा उपहार में नहीं लिया जाता है. उससे दूरी बनाए हुए रहते हैं.

यह भी पढ़ें- सिवाना : अचानक हुई तेज बारिश ने मचाई तबाही, कहीं पेड़ उखड़े तो कहीं विद्युत पोल हुए क्षतिग्रस्त

पेड़ लगाओ, पॉलीथिन हटाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छता अपनाओ, नशामुक्त हो, सदैव मुस्कुराते रहने की बात जन जागरण के माध्यम से की जा रही है. उन्होंने कहा कि अंधविश्वास से दूर वैज्ञानिक, वैदिक तथा पौराणिक पद्धतियों से जन-जन की समस्याओं का समाधान करते हुए धर्म के प्रचार करने में लगे हुए है. गौ रक्षा, राष्ट्र रक्षा, पर्यावरण रक्षा, स्वास्थ्य रक्षा एवं विश्व कल्याण के भाव को लेकर 31 वर्ष की यात्रा पर निकले हैं.

बालोतरा (बाड़मेर). 4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि हल्दीघाटी से अपनी पैदल यात्रा सम्पूर्ण भारत वर्ष के तहत अब तक 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं ग्वाल संत. बालोतरा पहुंचे ग्वाल सन्त ने ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में बताया कि 4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि से प्रारंभ की यह यात्रा 3 दिसंबर 2043 को संपन्न होगी. उनकी ये यात्रा 31 वर्षीय गौ माता, पर्यावरण के प्रति जन चेतना और आध्यात्म चेतना को लेकर की जा रही है.

ग्वाल सन्त गोपालानन्द सरस्वती महाराज पदयात्रा करते हुए शुक्रवार को पहुंचे बालोतरा

जिसके तहत 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा नंगे पांव करते हुए करीब 12 हजार से अधिक गांवों, शहरों, कस्बों में गौ सेवा, प्राणी सेवा, वृक्ष सेवा, जन सेवा की प्रेरणा लोगों को दी है. यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का कोई दान चंदा उपहार में नहीं लिया जाता है. उससे दूरी बनाए हुए रहते हैं.

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पेड़ लगाओ, पॉलीथिन हटाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छता अपनाओ, नशामुक्त हो, सदैव मुस्कुराते रहने की बात जन जागरण के माध्यम से की जा रही है. उन्होंने कहा कि अंधविश्वास से दूर वैज्ञानिक, वैदिक तथा पौराणिक पद्धतियों से जन-जन की समस्याओं का समाधान करते हुए धर्म के प्रचार करने में लगे हुए है. गौ रक्षा, राष्ट्र रक्षा, पर्यावरण रक्षा, स्वास्थ्य रक्षा एवं विश्व कल्याण के भाव को लेकर 31 वर्ष की यात्रा पर निकले हैं.

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ग्वाल सन्त की 31 वर्षीय गौ माता, पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना की यात्रा



बालोतरा- एक ऐसा संत जो अपने को गो माता के लिए पूर्ण रूप से समर्पित कर रहा है और अपनी जीवन यात्रा का 31 वर्ष केवल गो माता के प्रति लोगो मे जन चेतना लाने के परम उद्देश्य से अपने मठ से निकल चुके है हम बात करते है 31 वर्षीय गौ, पर्यावरण एवंअध्यात्म चेतना की पैदल यात्रा पर निकले ग्वाल सन्त गोपालानन्द सरस्वती पद यात्रा करते हुए शुक्रवार को बालोतरा पहुंचे।Body: 4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि हल्दीघाटी से अपनी पैदल यात्रा सम्पूर्ण भारत वर्ष के तहत अब तक 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। बालोतरा पहुंचे गवाल सन्त से ईटीवी की बातचीत में बताया कि  4 दिसम्बर 2012 से राजस्थान की शौर्य भूमि से प्रारंभ की जो 3 दिसंबर 2043 को समाप्त होगी । ये मेरी यात्रा 31 वर्षीय गौ माता , पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना को लेकर की जा रही है जिसके तहत 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा नंगे पांव करते हुए लगभग 12 हजार से अधिक गांवों, शहरों, कस्बो में गो सेवा,प्राणी सेवा, वृक्ष सेवा, जन सेवा की प्रेरणा लोगो को दी है। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का कोई दान चंदा उपहार में नही लिया जाता है उससे दूरी बनाए हुए रहते हैं। पेड़ लगाओ, पॉलीथिन हटाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छता अपनाओ, नशामुक्त हो, सदैव मुस्कुराते रहने की बात जन जागरण के माध्यम से की जा रही है।  उन्होंने कहा कि अंध विश्वास से दूर वैज्ञानिक, वैदिक एवम पौराणिक पदतियों से जन जन की समस्याओं का समाधान करते हुए धर्म के प्रचार करने में लगे हुए है। गो रक्षा, राष्ट्र रक्षा, पर्यावरण रक्षा, स्वास्थ्य रक्षा एवं विश्व कल्याण के भाव को लेकर 31 वर्ष की यात्रा पर निकला हूँ।


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