बाड़मेर. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से एक अलग पहचान बनाने वाले देशभर के 47 शिक्षकों-शिक्षिकाओं का चयन किया गया है. इन्हें शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया. कोविड-19 की वजह से समारोह ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया. राजस्थान से बाड़मेर की शिक्षिका गीता देवी को सम्मानित किया गया है.
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गौरतलब है कि हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर देशभर से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों का चयन कर उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाता है. इस बार देशभर से चयनित 47 शिक्षकों में बाड़मेर से एकमात्र शिक्षिका गीता कुमारी का नाम है. बाड़मेर की गीता कुमारी ने अपने विद्यालय में उत्कृष्ट कार्य किया है. साथ ही कठिन परिस्थितियों में भी उनका हौसला नहीं डगमगाया.
गीता सरुपानियों मालियों का वास में राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं. साल 2006 में कवास इलाके में आए भारी बाढ़ की वजह से विद्यालय पूरी तरह धराशाई हो गया था. इस विद्यालय में पढ़ने वाले 15 बच्चे भी पानी में बह गए थे. इसके बावजूद गीता ने रेतीले धोरों पर अध्ययन करवाने का कार्य जारी रखा और साल 2010 में फिर से स्कूल का कार्य शुरू करवाया. यहां सरकारी जमीन नहीं होने से गीता ने अपने हिस्से की 3 बीघा जमीन दान देकर फिर से विद्यालय का कार्य शुरू करवाया है.
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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होने वाली गीता बताती है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार किए, जिसकी बदौलत उन्हें ये पुरस्कार मिला है. उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए. बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. उन्होंने कहा कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए. गीता कुमारी बताती हैं कि जो सामान बेकार हो जाता है, उसी में जुगत कर वो बच्चों को सिखाती और पढ़ाती है. उन्होंने कहा कि बच्चों को हमेशा कुछ नया सीखने का जुनून होता है और उसी जुनून ने उन्हें अब इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है. उन्होंने बताया कि वो हमेशा चाहती हैं कि ग्रामीण इलाके के लोग शिक्षा को लेकर और ज्यादा जागृत हों, जिससे बच्चों में जो प्रतिभाएं हैं, वो आगे आ सके.