बाड़मेर. जिला अस्पताल में प्रसूता को भर्ती कराने के 12 घंटे बाद नार्मल डिलीवरी हुई. लेकिन शिशु की मौत के बाद बवाल मच गया है. 24 घंटे से भी अधिक का समय बीत गया है, लेकिन परिजनों ने अब तक नवजात का शव नहीं उठाया है. उनकी मांग है कि लापरवाह चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनको हटाया जाए. इसी की मांग को लेकर पीड़ित पक्ष ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
बता दें कि बाड़मेर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बुधवार को एक प्रसूता को उपचार के लिए भर्ती किया गया. वहीं भर्ती करने के 12 घंटे बाद नार्मल डिलीवरी हुई, लेकिन शिशु की मौत के बाद बवाल मच गया है. परिजनों ने 24 घंटे से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी नवजात शिशु का शव नहीं उठाया है. उनकी मांग है कि दोषी नर्सिंग कर्मी और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें हटाया जाए. इसी की मांग को लेकर परिजनों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
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ज्ञापन देने आए बाड़मेर शहर निवासी बाबूलाल लोहार ने बताया कि वे अपनी पुत्रवधू को बुधवार के दिन जिला अस्पताल में चेक करवाने के लिए लाए थे. लेकिन नर्सिंग कर्मियों ने पुत्रवधू को अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया, जिसके बाद डिलीवरी हुई. लेकिन नवजात की मौत हो गई. उनका आरोप है कि डिलीवरी एक महीने पहले हो गई, जबकि डॉक्टर ने उन्हें अगले महीने की डेट दी थी. ऐसे में दवाइयों की वजह से एक महीना पहले ही डिलीवरी हो गई. जबकि वह अस्पताल में सिर्फ अपनी पुत्रवधू को चेक करवाने के लिए आए थे.
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हालांकि पूरे मामले को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की मौत दो दिन पहले ही प्रसूता के पेट में हो गई थी. प्रसूता ने मृत बच्चे को जन्म दिया है. इस पूरे मामले को लेकर 24 घंटे से नवजात शिशु का शव जिला अस्पताल की मोर्चरी में पड़ा है. परिजनों की मांग है कि लापरवाह नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही जिला अस्पताल में हर समय डॉक्टर मौजूद रहें, ताकि इस तरह की घटना और किसी के साथ न हो.