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बांसवाड़ा: मंदिर माफी जमीन को खातेदारी में दिए जाने की वैष्णव समाज ने की मांग

मंदिर माफी की जमीन को लेकर वैष्णव समाज की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया. समाज के लोगों ने सरकार से मंदिर माफी की जमीन को खातेदारी में दिए जाने की मांग की है.

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मंदिर माफी जमीन को खातेदारी में दिए जाने की वैष्णव समाज ने की मांग
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Published : Oct 20, 2020, 11:01 PM IST

बांसवाड़ा. मंदिर माफी की जमीन को लेकर वैष्णव समाज की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया. समाज के लोगों ने सरकार से मंदिर माफी की जमीन को खातेदारी में दिए जाने की मांग करते हुए सरकार से और भी कई मांगे की गई हैं. अखिल राजस्थान पुजारी महासंघ के बैनर तले बड़ी संख्या में वैष्णव समाज के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन दिया.

पढ़ें: भरतपुर: फ्लाइट से बेंगलुरु जाकर ATM से लूटे 12 लाख रुपए, 2 आरोपी गिरफ्तार

संगठन की ओर से कहा गया कि प्रदेश में 1,20,0000 मंदिर पुजारी हैं जो मंदिर के साथ जुड़ी कृषि भूमि की कानून में गलत व्याख्या के कारण परेशान हैं. सैकड़ों सालों पहले समाज में कई ऋषि मुनि पैदा हुए. इन ऋषि-मुनियों ने हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार किया और तत्कालीन राजा-महाराजाओं और जमींदारों ने मंदिर का निर्माण कर उन्हें पूजा अर्चना का काम सौंपा. परिवार के पालन-पोषण के लिए मंदिरों के साथ मंदिर माफी की जमीन भी उन्हें दी गई.

समाज के लोगों का कहना था कि मेहनत से उनके पूर्वजों ने जमीन को उपजाऊ बनाया और 13 दिसंबर 1991 को एक आदेश जारी कर मंदिरों की जमीन मंदिर माफी के नाम से दर्ज कर दी गई. समाज द्वारा मंदिर माफी की जमीन खातेदारी में दर्ज करवाने की मांग रखी गई है. ज्ञापन में करौली में पुजारी हत्याकांड की निंदा करते हुए परिवार को न्याय दिलाने का भी आग्रह किया गया.

बांसवाड़ा. मंदिर माफी की जमीन को लेकर वैष्णव समाज की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया. समाज के लोगों ने सरकार से मंदिर माफी की जमीन को खातेदारी में दिए जाने की मांग करते हुए सरकार से और भी कई मांगे की गई हैं. अखिल राजस्थान पुजारी महासंघ के बैनर तले बड़ी संख्या में वैष्णव समाज के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन दिया.

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संगठन की ओर से कहा गया कि प्रदेश में 1,20,0000 मंदिर पुजारी हैं जो मंदिर के साथ जुड़ी कृषि भूमि की कानून में गलत व्याख्या के कारण परेशान हैं. सैकड़ों सालों पहले समाज में कई ऋषि मुनि पैदा हुए. इन ऋषि-मुनियों ने हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार किया और तत्कालीन राजा-महाराजाओं और जमींदारों ने मंदिर का निर्माण कर उन्हें पूजा अर्चना का काम सौंपा. परिवार के पालन-पोषण के लिए मंदिरों के साथ मंदिर माफी की जमीन भी उन्हें दी गई.

समाज के लोगों का कहना था कि मेहनत से उनके पूर्वजों ने जमीन को उपजाऊ बनाया और 13 दिसंबर 1991 को एक आदेश जारी कर मंदिरों की जमीन मंदिर माफी के नाम से दर्ज कर दी गई. समाज द्वारा मंदिर माफी की जमीन खातेदारी में दर्ज करवाने की मांग रखी गई है. ज्ञापन में करौली में पुजारी हत्याकांड की निंदा करते हुए परिवार को न्याय दिलाने का भी आग्रह किया गया.

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