बांसवाड़ा. तबलीगी जमात से जुड़े एक दंपति को बांसवाड़ा-मध्यप्रदेश बॉर्डर पर रोक दिया गया. बॉर्डर पर दंपति को क्वॉरेंटाइन किया गया तो दंपति ने भेदभाव का भी आरोप लगाया है. जिला कलेक्टर कैलाश बैरवा ने इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि दंपति के पास क्वॉरेंटाइन संबंधी कोई दस्तावेज नहीं मिले. बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को मेडिकल प्रोटोकॉल की अनिवार्यता पूरी करनी होगी.
जिले के मदार कालोनी निवासी मोइन खान पुत्र अब्दुल कबीर और उसकी पत्नी 15 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित जमात के मरकज में भाग लेने गए थे. 2 दिन रुकने के बाद जयपुर की जमात के साथ मध्य प्रदेश के दतिया निकल गए. वहां यह दंपति 7 दिन तक रहा. इस बीच देश में लॉकडाउन हो गया. जिसके बाद दोनों को दतिया में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. 1 अप्रैल को दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई लेकिन एहतियत के तौर पर वहां दोनों को क्वॉरेंटाइन रखा गया. मोइन ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि 28 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद वह ड्राइवर के साथ बांसवाड़ा रवाना हुआ लेकिन यहां आने के बाद बॉर्डर पर उन्हें रोक लिया गया और परमिशन नहीं दी गई. यहां तक कि क्वॉरेंटाइन कैंप में भी उन्हें अलग रखा गया.
यह बात सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से देर रात इस मामले को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की. जिला कलेक्टर बैरवा का कहना है कि दंपति के पास क्वॉरेंटाइन पूरा करने का कोई वैध दस्तावेज नहीं था. इस कारण बॉर्डर पर क्वॉरेंटाइन रखा गया. जिलेवासियों के लिए किसी भी प्रकार का कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता. भेदभाव के आरोप पर जिला कलेक्टर का कहना है कि अन्य लोगों की तरह ही उन्हें रखा जा रहा है.
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पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत का कहना था कि दिल्ली मरकज का मामला सामने आने के बाद इस दंपति को लॉकडाउन समाप्त नहीं होने तक दतिया में ही रहने के लिए पाबंद किया गया था लेकिन दंपति बांसवाड़ा पुलिस प्रशासन की बिना अनुमति दतिया से रवाना हो गया. कलेक्टर का कहना है कि अब तक की जांच में सामने आया कि उनके पास दतिया से बांसवाड़ा आने का कोई अनुमति पत्र नहीं आया है. वहीं दतिया एसडीएम ने जो है अनुमति जारी की है, वह केवल इनकी गाड़ी के ड्राइवर के नाम की है. इसलिए इन्हें बांसवाड़ा में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था.
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आपको बता दें कि यह दंपति पिछले 2 दिन से जिले की सीमा में प्रवेश की कोशिश कर रहा था और मुड़ासेल बॉर्डर पर रोक लिया गया. यहां से दोनों ने प्रतापगढ़ के रास्ते पीपलखूंट बॉर्डर से बांसवाड़ा आने की कोशिश की लेकिन वहां चेक पोस्ट पर रोकते हुए हरेन जी का खेड़ा घाटोल में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया, जहां पर प्रवासी श्रमिकों से उन्हें अलग रखा गया. इसे लेकर ही मोइन नाराज हो गया.