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सेवानिवृत्त नायब तहसीलदारों से वसूली पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने सेवानिवृत्त नायब तहसीलदारों व गिरदावरों के खिलाफ निकाली गई राशि की वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी है.

rajasthan High court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 25, 2025, 9:23 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त नायब तहसीलदारों व गिरदावरों के खिलाफ निकाली गई राशि की वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, पेंशन निदेशक सहित तहसीलदार सपोटरा से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश नूरुद्दीन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता करौली जिले की सपोटरा तहसील में गिरदावर के पद पर कार्यरत थे. उन्हें बाद में कार्य व्यवस्था के तौर पर नायब तहसीलदार पद की जिम्मेदारी दी. वे अपना कार्य नियमित तौर पर करते रहे. इस दौरान दो से चार साल पहले वे अपने पदों से रिटायर हो गए. इस बीच तहसीलदार सपोटरा ने नवंबर 2024 में उन्हें बिना कोई नोटिस व सुनवाई का मौका दिए उनके सेवाकाल में रहने के दौरान के यात्रा भत्ता बिलों को अनियमित भुगतान माना. उन्हें इस राशि की वसूली का आदेश जारी कर दिया.

पढ़ें: हाईकोर्ट में तीन नए न्यायाधीशों की शपथ, 27 जनवरी को मुख्यपीठ में होगा समारोह

इसे याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वसूली आदेश से पहले उनसे ना तो कोई स्पष्टीकरण मांगा है और ना ही यह स्पष्ट किया है कि यह राशि कौन से समय की है. वहीं राज्य सरकार ने समय-समय पर परिपत्र जारी कर रखे हैं कि रिटायर कर्मचारियों से तीन साल पहले के मामलों में कोई जांच कार्रवाई नहीं होगी. इसलिए उनसे होने वाली राशि की वसूली पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त नायब तहसीलदारों व गिरदावरों के खिलाफ निकाली गई राशि की वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, पेंशन निदेशक सहित तहसीलदार सपोटरा से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश नूरुद्दीन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता करौली जिले की सपोटरा तहसील में गिरदावर के पद पर कार्यरत थे. उन्हें बाद में कार्य व्यवस्था के तौर पर नायब तहसीलदार पद की जिम्मेदारी दी. वे अपना कार्य नियमित तौर पर करते रहे. इस दौरान दो से चार साल पहले वे अपने पदों से रिटायर हो गए. इस बीच तहसीलदार सपोटरा ने नवंबर 2024 में उन्हें बिना कोई नोटिस व सुनवाई का मौका दिए उनके सेवाकाल में रहने के दौरान के यात्रा भत्ता बिलों को अनियमित भुगतान माना. उन्हें इस राशि की वसूली का आदेश जारी कर दिया.

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इसे याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वसूली आदेश से पहले उनसे ना तो कोई स्पष्टीकरण मांगा है और ना ही यह स्पष्ट किया है कि यह राशि कौन से समय की है. वहीं राज्य सरकार ने समय-समय पर परिपत्र जारी कर रखे हैं कि रिटायर कर्मचारियों से तीन साल पहले के मामलों में कोई जांच कार्रवाई नहीं होगी. इसलिए उनसे होने वाली राशि की वसूली पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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