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बांसवाड़ा में 10:52 मिनट तक रहा सूर्यग्रहण का असर, सूर्यग्रहण के बाद खुले मंदिरों के पट

शहर में खंडग्रास सूर्यग्रहण का असर 10:52 तक रहा. सुबह 8:10 से 10:52 तक सूर्यग्रहण के असर के चलते सभी मंदिरों के पट बंद रहे. इस दौरान मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा. मंदिरों में पुजारी सूर्यग्रहण का असर खत्म होने का इंतजार करते नजर आए.

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Published : Dec 26, 2019, 12:30 PM IST

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बांसवाड़ा में सूर्यग्रहण के बाद खुले मंदिरों के पट

बांसवाड़ा. शहर में सूर्य ग्रहण का असर 10:52 तक रहा. सूर्य ग्रहण का सूतक बुधवार रात्रि 8:10 से लग गया था, ऐसे में पट रात्रि में ही बंद कर दिए गए. गुरुवार को 10 बजकर 52 मिनट तक सूर्य ग्रहण का असर रहा. इसके बाद ही मंदिरों में सूर्योदय के बाद होने वाली तमाम प्रक्रिया शुरू हुई. सूर्यग्रहण के दौरान कई मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहे.

बांसवाड़ा में सूर्यग्रहण के बाद खुले मंदिरों के पट

बताया जा रहा है, कि इस तरह का खंडग्रास सूर्यग्रहण करीब 300 साल बाद लगा है. सुबह से ही चंद्रमा की छाया सूर्य के केंद्र के साथ मिली, जिससे सूर्य के चारों ओर रिंगनुमा आकृति नजर आई. 7 ग्रह सीधे सूर्य के संपर्क में रहे. पंडितों के मुताबिक इस बार भी तीन सदी पहले लगे सूर्यग्रहण जैसी दुर्लभ ग्रह स्थिति में यह खंडग्रास सूर्यग्रहण पड़ा.

सूर्यग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रहने से सुबह से ही मंदिरों में सन्नाटा दिखाई दिया. सूर्यग्रहण को लेकर मंदिरों में पट बंद होने के बाकायदा सूचना पट्ट लगाए गए. बुधवार रात 8 बजे से ही पट बंद कर दिए गए थे. मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में इस दौरान माता के केवल मुख के दर्शन किए जा सके. सूर्य ग्रहण का असर खत्म होने के बाद पट खोले गए और मंदिरों को धोकर पवित्र किया गया.

यह भी पढ़ें : देखें, देश के अलग-अलग हिस्सों से कैसा दिखा सूर्यग्रहण का अद्भुत नजारा

बता दें, कि दोपहर 12 बजे के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना सहित सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तमाम प्रक्रियाएं शुरू हो पाईं.

बांसवाड़ा. शहर में सूर्य ग्रहण का असर 10:52 तक रहा. सूर्य ग्रहण का सूतक बुधवार रात्रि 8:10 से लग गया था, ऐसे में पट रात्रि में ही बंद कर दिए गए. गुरुवार को 10 बजकर 52 मिनट तक सूर्य ग्रहण का असर रहा. इसके बाद ही मंदिरों में सूर्योदय के बाद होने वाली तमाम प्रक्रिया शुरू हुई. सूर्यग्रहण के दौरान कई मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहे.

बांसवाड़ा में सूर्यग्रहण के बाद खुले मंदिरों के पट

बताया जा रहा है, कि इस तरह का खंडग्रास सूर्यग्रहण करीब 300 साल बाद लगा है. सुबह से ही चंद्रमा की छाया सूर्य के केंद्र के साथ मिली, जिससे सूर्य के चारों ओर रिंगनुमा आकृति नजर आई. 7 ग्रह सीधे सूर्य के संपर्क में रहे. पंडितों के मुताबिक इस बार भी तीन सदी पहले लगे सूर्यग्रहण जैसी दुर्लभ ग्रह स्थिति में यह खंडग्रास सूर्यग्रहण पड़ा.

सूर्यग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रहने से सुबह से ही मंदिरों में सन्नाटा दिखाई दिया. सूर्यग्रहण को लेकर मंदिरों में पट बंद होने के बाकायदा सूचना पट्ट लगाए गए. बुधवार रात 8 बजे से ही पट बंद कर दिए गए थे. मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में इस दौरान माता के केवल मुख के दर्शन किए जा सके. सूर्य ग्रहण का असर खत्म होने के बाद पट खोले गए और मंदिरों को धोकर पवित्र किया गया.

यह भी पढ़ें : देखें, देश के अलग-अलग हिस्सों से कैसा दिखा सूर्यग्रहण का अद्भुत नजारा

बता दें, कि दोपहर 12 बजे के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना सहित सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तमाम प्रक्रियाएं शुरू हो पाईं.

Intro:बांसवाड़ा। शहर में खंडग्रास सूर्य ग्रहण का असर 10:52 तक रहा। सुबह 8:10 से 10:52 तक सूर्य ग्रहण के असर के चलते सभी मंदिरों के पट बंद रहे। इस दौरान मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा हालांकि पुजारी मंदिरों में सूर्य ग्रहण का असर खत्म होने का इंतजार करते नजर आए। सूर्य ग्रहण का सूतक बुधवार रात्रि 8:10 से लग गया था ऐसे में पट रात्रि में ही बंद कर दिए गए। गुरुवार को 10:00 बज कर 52 मिनट तक सूर्य ग्रहण का असर रहा इसके बाद ही मंदिरों में सूर्योदय के बाद होने वाली तमाम प्रक्रिया शुरू हुई। सूर्य ग्रहण के दौरान कई मंदिरों में भजन कीर्तन चलते रहे।


Body:पता चला है कि इस प्रकार का खंडग्रास सूर्य ग्रहण करीब 300 साल बाद लगा। सुबह से ही चंद्रमा की छाया सूर्य के केंद्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर रिंग नुमा आकृति नजर आई। 7 ग्रह सीधे सूर्य के संपर्क में रहे। पंडितों के अनुसार इस बार भी तीन सदी पहले लगे सूर्यग्रहण जेसी दुर्लभ ग्रह स्थिति में यह खंडग्रास सूर्यग्रहण पड़ रहा है। सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रहने से सुबह से ही मंदिरों में सन्नाटा दिखाई दिया। सूर्यग्रहण को लेकर मंदिरों में पट बंद होने संबंधी बकायदा सूचना पट्ट लगाए गए। बुधवार रात 8:00 बजे से ही पट बंद कर दिए गए थे। मा त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में इस दौरान माता के केवल मुख के दर्शन किए जा सके। ग्रहण काल में माता की मूर्ति का स्पष्ट पूरी तरह से वर्जित रहा। सूर्य ग्रहण का असर खत्म होने के बाद पट खोले गए और मंदिरों को धोकर पवित्र किया गया।


Conclusion:कुल मिलाकर दोपहर 12:00 बजे बाद मंदिरों में पूजा अर्चना सहित सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तमाम प्रक्रियाएं शुरू हो पाई। नई आबादी स्थित शहर के सबसे प्राचीनतम सिद्धिविनायक मंदिर के सेवानिवृत्त पुजारी करण सिंह गहलोत के अनुसार मंदिर के पट सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद खोले जाएंगे। इसके बाद ही पूजा अर्चना सहित सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तमाम प्रक्रियाएं की जाएगी।

बाइट........ करण सिंह गहलोत सेवानिवृत्त पुजारी सिद्धिविनायक मंदिर बांसवाड़ा
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