बांसवाड़ा. चयनित शिक्षकों के नियुक्ति पर हाईकोर्ट के स्थगन के बाद बांसवाड़ा में मामला गरमा गया. बड़ी संख्या में अभ्यर्थी जिला परिषद कार्यालय में घुस गए और जिला परिषद प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मामला बिगड़ता देख कर सीआई देवीलाल मीणा मौके पर पहुंचे और हंगामा कर रहे अभ्यर्थियों को तुरंत बाहर निकाला.
जिला परिषद कार्यालय के बाहर निकलने के बाद अभ्यर्थी और उग्र हो गए. उनका आरोप है कि उदयपुर प्रतापगढ़ राजसमंद आदि में नियुक्तियां दे दी गई लेकिन यहां जिला परिषद सीईओ लक्ष्मीकांत बालोत द्वारा ढिलाई बरती गई. इस कारण उन्हें नियुक्ति से वंचित होना पड़ा. कई अभ्यर्थी हाईकोर्ट का स्थगन आदेश की कॉपी दिखाने की भी मांग करने लगे.
कोतवाली थाना प्रभारी देवीलाल ने उन्हें नियमों का हवाला देते हुए समझाने का प्रयास किया लेकिन अभ्यर्थी टस से मस नहीं हुए और हंगामा करते रहे. मामला बढ़ता देख कर अंततः सीईओ बालोत गेट पर पहुंचे और हाई कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ जगह नियुक्तियां दी गई है जो हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना में चला गया है. उनके आधार पर बांसवाड़ा में नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
इस पर वहां मौजूद अभ्यर्थी और उग्र हो गए और सीईओ से नोकझोंक करते हुए लापरवाही का आरोप लगा बैठे. हालांकि सीईओ ने उनकी तसल्ली के लिए उदयपुर और प्रतापगढ़ जिला परिषद प्रशासन से भी बातचीत की और उन्हें वहां हुई प्रक्रिया के बारे में बताया लेकिन अभ्यर्थी नहीं माने. इस बीच कर्मचारी महासंघ एकीकृत जिला अध्यक्ष विक्रम सिंह वहां पहुंचे और सीईओ से इस बारे में जानकारी ली. उन्होंने भी अभ्यर्थियों से जिला परिषद उदयपुर सीईओ से हुई बातचीत का हवाला देते हुए शांत रहने का आग्रह किया लेकिन अभ्यर्थी नहीं माने और सीईओ के सामने ही जबरदस्त नारेबाजी शुरू कर दी.
मामला बढ़ता देख अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंदन दान बारहठ खुद अभ्यर्थियों के बीच पहुंच गए और उन्हें वहां से भगाने में जुट गए. यह देखकर अन्य पुलिसकर्मी भी सख्ती पर उतर आए. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने 2 अभ्यर्थियों के बाल पकड़ लिए और पुलिस अधिकारियों को कोतवाली ले जाने के निर्देश दिए. पुलिस को लाठियां फटकार से देख कर वहां जमे अभ्यर्थियों में खलबली मच गई और सब इधर-उधर भागने लगे. कुछ ही क्षणों में कलेक्ट्रेट परिसर से सारे अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया गया. शाम तक पुलिस का जाब्ता कलेक्ट्रेट परिसर में डटा रहा.