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बांसवाड़ा: जान जोखिम में डालकर पुलिया पार कर रहे लोग, टेंडर प्रक्रिया में फंसा रिपेयरिंग वर्क

बांसवाड़ा से जयपुर राजमार्ग को जोड़ने वाले लिंक रोड पुलिया का एक पिलर 15 दिन पहले धराशाई हो गया था. जिसके 15 दिन बाद भी संबंधित महकमे की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. वहीं करीब 3 से 4 फीट ऊंचे मिट्टी के ढेर को पार करने के दौरान बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं.

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रिपेयरिंग वर्क फंसा
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Published : Jun 16, 2020, 3:41 PM IST

बांसवाड़ा. बांसवाड़ा से जयपुर राजमार्ग को जोड़ने वाले लिंक रोड पुलिया का एक पिलर 15 दिन पहले धराशाई हो गया था. जिसके बाद खतरे को देखते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा वहां आवागमन बंद कर दिया गया था. साथ ही दोनों छोर पर मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर लगा दिए गए. इसके बाद विभाग के अधिकारी इसे लेकर बेपरवाह हो गए.

स्थानीय लोग बने खतरों के खिलाड़ी

कुछ दिनों तक तो लोग नाले के दुर्गम रास्ते से होते हुए पुलिया को पार कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश का दौर शुरू होने के बाद नाले में पानी का स्तर अपेक्षाकृत बढ़ गया है. हालांकि अब भी बड़ी संख्या में लोग नाले के रास्ते को अपना रहे हैं. लेकिन पानी के स्तर और फिसलन के खतरे को देखते हुए अब कुछ लोग मिट्टी के ढेर से पुलिया को पार कर रहे हैं. जबकि यह काफी जोखिम भरा साबित हो सकता है.

पढ़ेंः मंत्री रमेश मीणा से कांग्रेस आलाकमान की बातचीत तेज, शाम तक आ सकती है 'बड़ी खबर'

हालत यह है कि करीब 3 से 4 फीट ऊंचे मिट्टी के ढेर को पार करने के दौरान बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. यहां तक कि कई हल्के चार पहिया वाहन चालक भी अपनी जान को हथेली पर रखकर नाले से लिंक पुलिया पार कर रहे हैं. इसे लेकर हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. जानकारी के अनुसार घाटोल से लेकर आसपास के दर्जनों गांव को यह रोड शहर से जोड़ती है. पुलिया टूटने के बाद संबंधित महकमा द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाने को लेकर लोगों में गुस्सा भी देखा जा सकता है. वहीं ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर हकीकत को जाना तो कई दुश्वारियां उभर कर सामने आई.

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पुलिया का रिपेयरिंग वर्क अटका

पढ़ेंः PM की VC से पहले मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के साथ की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, प्रदेश में कोरोना हालातों की समीक्षा

इस मार्ग से प्रतिदिन हजारों लोग गुजरते हैं, जो बांसवाड़ा में मजदूरी और नौकरी धंधे के लिए आते हैं. इसके अलावा भी बड़ी संख्या में लोग घर की आवश्यक सामग्री की खरीद के लिए भी बाइक से शहर पहुंचते हैं. इसके अभाव में बाईपास से शहर तक पहुंचना बहुत लंबा पड़ता है. करीब 7 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी के कारण 90% से अधिक लोग इसी रास्ते को चुनते हैं. जबकि पुलिया के क्षतिग्रस्त होने के बाद यहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं है.

अधिकारियों की लापरवाही उजागर

पिछले 2 दिन से यहां पर बारिश हो रही है. जबकि यह पुलिया 15 दिन पहले टूटी थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी इसकी मरम्मत के काम को लेकर एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे. राजमार्ग प्राधिकरण का कहना था कि बाईपास निर्माण के बाद लिंक रोड की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आ जाती है. लेकिन सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि बाईपास निर्माण के बरसों बाद भी प्राधिकरण द्वारा लिंक रोड को हैंड ओवर नहीं किया गया है. इसी में यह सारा पेच फंसा है.

पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता राम हेत मीणा ने जिला प्रशासन के एक बैठक में बताया कि हैंड ओवर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. साथ ही पुलिया की मरम्मत के लिए करीब 32 लाख रुपए स्वीकृत होने के साथ वर्क टेंडर प्रक्रिया में है. अब जानकारों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब तक ठेकेदार काम शुरू करेगा तब तक मानसून दस्तक दे देगा.

पढ़ेंः समझौता लागू नहीं होने से गुर्जर संघर्ष समिति नाराज, सरकार ने गठित की 4 मंत्रियों की समिति

बारिश के दौरान पुलिया में पानी के बहाव के कारण अगले 4 महीने तक मरम्मत मुश्किल होगी. इसके चलते हजारों लोगों को बारिश के दौरान या तो नाले के रास्ते अपनी जान को खतरे में डालते हुए रास्ता पार करना होगा या फिर 7 किलोमीटर अतिरिक्त रास्ता पार करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचना होगा.

बांसवाड़ा. बांसवाड़ा से जयपुर राजमार्ग को जोड़ने वाले लिंक रोड पुलिया का एक पिलर 15 दिन पहले धराशाई हो गया था. जिसके बाद खतरे को देखते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा वहां आवागमन बंद कर दिया गया था. साथ ही दोनों छोर पर मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर लगा दिए गए. इसके बाद विभाग के अधिकारी इसे लेकर बेपरवाह हो गए.

स्थानीय लोग बने खतरों के खिलाड़ी

कुछ दिनों तक तो लोग नाले के दुर्गम रास्ते से होते हुए पुलिया को पार कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश का दौर शुरू होने के बाद नाले में पानी का स्तर अपेक्षाकृत बढ़ गया है. हालांकि अब भी बड़ी संख्या में लोग नाले के रास्ते को अपना रहे हैं. लेकिन पानी के स्तर और फिसलन के खतरे को देखते हुए अब कुछ लोग मिट्टी के ढेर से पुलिया को पार कर रहे हैं. जबकि यह काफी जोखिम भरा साबित हो सकता है.

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हालत यह है कि करीब 3 से 4 फीट ऊंचे मिट्टी के ढेर को पार करने के दौरान बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. यहां तक कि कई हल्के चार पहिया वाहन चालक भी अपनी जान को हथेली पर रखकर नाले से लिंक पुलिया पार कर रहे हैं. इसे लेकर हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. जानकारी के अनुसार घाटोल से लेकर आसपास के दर्जनों गांव को यह रोड शहर से जोड़ती है. पुलिया टूटने के बाद संबंधित महकमा द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाने को लेकर लोगों में गुस्सा भी देखा जा सकता है. वहीं ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर हकीकत को जाना तो कई दुश्वारियां उभर कर सामने आई.

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पुलिया का रिपेयरिंग वर्क अटका

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इस मार्ग से प्रतिदिन हजारों लोग गुजरते हैं, जो बांसवाड़ा में मजदूरी और नौकरी धंधे के लिए आते हैं. इसके अलावा भी बड़ी संख्या में लोग घर की आवश्यक सामग्री की खरीद के लिए भी बाइक से शहर पहुंचते हैं. इसके अभाव में बाईपास से शहर तक पहुंचना बहुत लंबा पड़ता है. करीब 7 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी के कारण 90% से अधिक लोग इसी रास्ते को चुनते हैं. जबकि पुलिया के क्षतिग्रस्त होने के बाद यहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं है.

अधिकारियों की लापरवाही उजागर

पिछले 2 दिन से यहां पर बारिश हो रही है. जबकि यह पुलिया 15 दिन पहले टूटी थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी इसकी मरम्मत के काम को लेकर एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे. राजमार्ग प्राधिकरण का कहना था कि बाईपास निर्माण के बाद लिंक रोड की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आ जाती है. लेकिन सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि बाईपास निर्माण के बरसों बाद भी प्राधिकरण द्वारा लिंक रोड को हैंड ओवर नहीं किया गया है. इसी में यह सारा पेच फंसा है.

पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता राम हेत मीणा ने जिला प्रशासन के एक बैठक में बताया कि हैंड ओवर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. साथ ही पुलिया की मरम्मत के लिए करीब 32 लाख रुपए स्वीकृत होने के साथ वर्क टेंडर प्रक्रिया में है. अब जानकारों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब तक ठेकेदार काम शुरू करेगा तब तक मानसून दस्तक दे देगा.

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बारिश के दौरान पुलिया में पानी के बहाव के कारण अगले 4 महीने तक मरम्मत मुश्किल होगी. इसके चलते हजारों लोगों को बारिश के दौरान या तो नाले के रास्ते अपनी जान को खतरे में डालते हुए रास्ता पार करना होगा या फिर 7 किलोमीटर अतिरिक्त रास्ता पार करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचना होगा.

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