बांसवाड़ा. वाणिज्यिक वाहनों के कर की विसंगति का फायदा पड़ोसी राज्यों को मिल रहा है. दोगुने टैक्स के कारण लोग प्रदेश की सड़कों पर अपने वाहन दौड़ा रहे हैं लेकिन, टैक्स पड़ोसी मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार को चुका रहे हैं. अकेले बांसवाड़ा में ही करीब ढाई सौ वाहन पड़ोसी राज्य में पंजीकृत होकर जिले की सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे सरकार को करीब 1 करोड रुपए का नुकसान हो रहा है.
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प्रदेश में 1602 किलोग्राम से अधिक वजन के लोडिंग व्हीकल के पंजीयन पर उसकी कीमत का 12 प्रतिशत कर वसूला जाता है जबकि, दक्षिण राजस्थान की सीमा पर स्थित मध्यप्रदेश और गुजरात में मात्र 6 प्रतिशत कर वसूला जाता है. इस टैक्स को बचाने के लिए बड़ी संख्या में लोग इन प्रदेशों में अपने वाहनों का पंजीयन करा लेते हैं जबकि, कामकाज राजस्थान में ही किया जाता है.
एसडीआरआई ने पकड़ा खेल
जानकारी के अनुसार स्टेट डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस अर्थात एसडीआरआई ने कुछ वाहन मालिकों द्वारा खेले जा रहे इस खेल को बेनकाब करते हुए कार्रवाई की थी. उसके आधार पर प्रादेशिक परिवहन अधिकारी उदयपुर के अधीन आने वाले उदयपुर डूंगरपुर बांसवाड़ा जिलों में भी इस प्रकार के वाहन मालिकों का पता लगाया गया.
अकेले बांसवाड़ा जिले में ही इस प्रकार के लगभग ढाई सौ वाहन मालिक निकले जिनके वाहन बांसवाड़ा में ही माल ढोने का काम कर रहे हैं लेकिन, टैक्स जमा नहीं करा रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार उनके इस खेल से सरकार को लगभग एक करोड रुपए का नुकसान हो रहा है.
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इस बारे में जिला परिवहन अधिकारी अभय मुद्गल ने भी माना कि टेक्स्ट को बचाने के लिए 1602 किलोग्राम से अधिक के लगभग ढाई सौ वाहन बांसवाड़ा में दौड़ रहे हैं, जिनका पंजीयन मध्यप्रदेश और गुजरात में है. राजस्थान मोटर व्हीकल टैक्सेशन एक्ट के अंतर्गत इस प्रकार का कोई भी वाहन प्रदेश में 1 माह से अधिक नहीं चलाया जा सकता.
इस प्रकार के वाहन मालिकों के खिलाफ वाहन सीज करने के साथ प्रतिमाह डेढ़ प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक पेनल्टी लगाई जा सकती है. हमने ऐसे सब वाहन मालिकों के नंबर ट्रेस आउट कर लिए हैं और उसे व्यक्तिगत संपर्क कर टैक्स जमा कराने के नोटिस जारी किए गए हैं. इसकी अवहेलना पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.