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घर के बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल ही करें, यही एक मात्र विकल्प अब शेष है : लालचंद कटारिया

प्रदेश में खेती-बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से कैंसर जैसी बीमारी महामारी का रूप ले रही है, जिससे सरकार काफी चिंतित नजर आ रही है. इस विषय में कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपनी चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि ऐसे में हमें फिर से परंपरागत खेती पर ध्यान देना होगा.

बांसवाड़ा की खबर, banswara news
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Published : Dec 11, 2019, 9:40 PM IST

बांसवाड़ा. प्रदेश में खेती-बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के दुष्प्रभावों को देखकर सरकार इन दिनों चिंतित नजर आ रही हैं. खासकर कैंसर रोगियों के बढ़ने से सरकार अब रासायनिक पदार्थों के प्रयोग पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है. राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के बयानों से तो कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है. बांसवाड़ा आगमन के दौरान प्रेस कर्मियों से बातचीत में उनकी चिंता साफ नजर आई.

रसायनों के अंधाधुंध उपयोग को लेकर लालचंद कटारिया का बयान
कृषि मंत्री कटारिया ने कहा कि खेती में रसायनों के लगातार और अंधाधुंध उपयोग से कई प्रकार के दुष्परिणाम सामने आ रहे है. इससे कैंसर का खतरा बढ़ गया है. बीकानेर के कैंसर हॉस्पिटल में पहले एक ट्रेन के बराबर राजस्थान और पंजाब के रोगी पहुंचते थे. अब वहां पहले से दोगुने रोगी पहुंच रहे है. इसके अलावा और भी कई नई बीमारियां फैल रही है. इसका मूल कारण खाद्य पदार्थों में रासायनिक पदार्थों की मिलावट और उनका प्रयोग करना है. हम समय रहते नहीं समझते है तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है. ऐसे में हमें फिर से परंपरागत खेती पर ध्यान देना होगा. घर के बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल ही हमारे सामने एक मात्र विकल्प अब शेष रह गया है.

पढ़ें- बांसवाड़ा में जनजातीय स्वराज समागम 2019 के समापन समारोह का आयोजन

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम दिलाने को कृतसंकल्प है. उन्होंने बताया कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा, गंगानगर, हनुमानगढ़, कोटा और बूंदी हमारे प्रदेश के नहरी और उपजाऊ इलाके माने जाते हैं. इन जिलों में मक्का सहित कई फसलों की भरपूर उपज होती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र के दौरान प्रोसेस प्लांट लगाने की घोषणा की थी. उसके अनुरूप किस जिले में किस प्रकार की फसलों की पैदावार अधिक होती है उस पर नजर रख रहे हैं. असेसमेंट के आधार पर संबंधित इलाकों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना पर काम किया जा रहा हैं. माही बांध की नहरों की सफाई और टूट-फूट पर कृषि मंत्री ने कहा कि हालांकि यह उनका डिपार्टमेंट नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला कलेक्टर से बातचीत कर वे जानकारी लेंगे.

बांसवाड़ा. प्रदेश में खेती-बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के दुष्प्रभावों को देखकर सरकार इन दिनों चिंतित नजर आ रही हैं. खासकर कैंसर रोगियों के बढ़ने से सरकार अब रासायनिक पदार्थों के प्रयोग पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है. राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के बयानों से तो कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है. बांसवाड़ा आगमन के दौरान प्रेस कर्मियों से बातचीत में उनकी चिंता साफ नजर आई.

रसायनों के अंधाधुंध उपयोग को लेकर लालचंद कटारिया का बयान
कृषि मंत्री कटारिया ने कहा कि खेती में रसायनों के लगातार और अंधाधुंध उपयोग से कई प्रकार के दुष्परिणाम सामने आ रहे है. इससे कैंसर का खतरा बढ़ गया है. बीकानेर के कैंसर हॉस्पिटल में पहले एक ट्रेन के बराबर राजस्थान और पंजाब के रोगी पहुंचते थे. अब वहां पहले से दोगुने रोगी पहुंच रहे है. इसके अलावा और भी कई नई बीमारियां फैल रही है. इसका मूल कारण खाद्य पदार्थों में रासायनिक पदार्थों की मिलावट और उनका प्रयोग करना है. हम समय रहते नहीं समझते है तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है. ऐसे में हमें फिर से परंपरागत खेती पर ध्यान देना होगा. घर के बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल ही हमारे सामने एक मात्र विकल्प अब शेष रह गया है.

पढ़ें- बांसवाड़ा में जनजातीय स्वराज समागम 2019 के समापन समारोह का आयोजन

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम दिलाने को कृतसंकल्प है. उन्होंने बताया कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा, गंगानगर, हनुमानगढ़, कोटा और बूंदी हमारे प्रदेश के नहरी और उपजाऊ इलाके माने जाते हैं. इन जिलों में मक्का सहित कई फसलों की भरपूर उपज होती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र के दौरान प्रोसेस प्लांट लगाने की घोषणा की थी. उसके अनुरूप किस जिले में किस प्रकार की फसलों की पैदावार अधिक होती है उस पर नजर रख रहे हैं. असेसमेंट के आधार पर संबंधित इलाकों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना पर काम किया जा रहा हैं. माही बांध की नहरों की सफाई और टूट-फूट पर कृषि मंत्री ने कहा कि हालांकि यह उनका डिपार्टमेंट नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला कलेक्टर से बातचीत कर वे जानकारी लेंगे.

Intro:बांसवाड़ा। खेती बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के दुष्प्रभावों को देखकर सरकार चिंतित नज़र आ रही है। खासकर कैंसर रोगियो के बढ़ने से सरकार अब रासायनिक पदार्थों के प्रयोग पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है। राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के बयानों से तो कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है। बांसवाड़ा आगमन के दौरान प्रेस कर्मियों से बातचीत में उनकी चिंता साफ नजर आई।


Body:एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री कटारिया ने कहा कि खेती में रसायनों के लगातार और अंधाधुंध उपयोग से कई प्रकार के दुष्परिणाम सामने आ रहे है। कैंसर का खतरा बढ गया है। बीकानेर के कैंसर हॉस्पिटल में पहले राजस्थान और पंजाब के रोगियो की एक ट्रेन पहुँचती थी। अब वहां पहले से दोगुने रोगी पहुँच रहे है। इसके अलावा भी और भी कई नई बीमारियां फैल रही है इसका मूल कारण खाद्य पदार्थों में रासायनिक पदार्थों की मिलावट और उनका प्रयोग करना है। हम समय रहते नहीं कहते तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है। ऐसे में हमें फिर से परंपरागत खेती पर ध्यान देना होगा। घर के बीच और जैविक खाद का इस्तेमाल ही हमारे सामने एक मात्र विकल्प है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम दिलाने को कृतसंकल्प है। एक सवाल पर उन्होंने बताया कि डूंगरपुर बांसवाड़ा गंगानगर हनुमानगढ़ तथा कोटा और बूंदी हमारे प्रदेश के नहरी और उपजाऊ इलाके माने जाते हैं। इन जिलों में मक्का सहित कई फसलों की भरपूर उपज होती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र के दौरान प्रोसेस प्लांट लगाने की घोषणा की थी। उसके अनुरूप हम किस जिले में किस प्रकार की फसलों की पैदावार अधिक होती है उस पर नजर रख रहे हैं। असेसमेंट के आधार पर संबंधित इलाकों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना पर काम कर रहे हैं। माही बांध की नहरों की सफाई और टूट-फूट कृषि मंत्री ने कहा कि हालांकि यह उनका डिपार्टमेंट नहीं है लेकिन इस संबंध में जिला कलक्टर से बातचीत कर जानकारी लेंगे।
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