बांसवाड़ा. डिजिटल भारत में मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और अन्य गैजेट्स हमारे जीवन के अभिन्न अंग बन चुके हैं. नौकरी पेशा व्यक्ति हो या फिर स्टूडेंट्स, सभी का काम गैजेट्स के बिना अधूरा हा. सारा काम अब ऑनलाइन होता जा रहा है. खासकर कोरोना महामारी के बीच online education के अलावा स्कूलों के साथ-साथ बच्चों के पास भी कोई विकल्प नहीं बचा. ऐसे में बच्चों को घंटो तक मोबाइल या फिर लैपटॉप स्क्रीन पर आंखें गड़ाए देखा जा सकता है. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि लगातार स्क्रीन पर काम करने से आंखों पर कई प्रकार के इफेक्ट पड़ते हैं.
ईटीवी भारत ने इस संबंध में चिकित्सकों के साथ बात की. इस दौरान ऑनलाइन कामकाज से आंखों पर पड़ने वाले घातक असर सामने आए. छोटी स्क्रीन अर्थात एंड्राइड मोबाइल बच्चों की आंखों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. खासकर चश्मा आने के साथ तनाव और सर दर्द की शिकायत बढ़ सकती है.
सूख सकती है आंखों की परत
लिहाजा ज्यादातर बच्चों का समय इन दिनों घरों में मोबाइल फोन (Mobile phone) पर गेम या फिर टीवी पर कार्टून देखने में ही बीत रहा है लेकिन डाक्टरों का मानना है कि उनकी आंखों की सेहत के लिए ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. ज्यादा देर मोबाइल (cell phone), आईपैड (i-pad), लैपटॉप (laptop) या फिर टीवी देखना बच्चों की आंखों के लिए घातक हो सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि 20 मिनट से ज्यादा किसी भी व्यक्ति को कोई भी डिजिटल स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से आंखों की परत सूखने (Dry eye) लगती है. इससे आंखों में दर्द पैदा होता है और फिर इंसान आंखों को रगड़ना शुरू कर देता है. जिसकी वजह से हाथों से कोई भी इंफेक्शन आंखों में पहुंच जाने का खतरा होता है.
LED light के परिणाम घातक
ऑनलाइन कामकाज के लिए Android mobile, कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाता है. इनकी स्क्रीन अल्फा, बीटा, गामा आदि radiations से चलती है. ऐसे में स्क्रीन पर लगातार आंखें गड़ाना हमारे लिए कई प्रकार की दिक्कतें खड़ी कर सकती है. इसके नुकसान के आकलन के लिए हमने सेंसेटिव कार्ड पर लेड लाइट का उपयोग किया, तो सेंसेटिव कार्ड पर एक निशान बनकर सामने आया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लगातार स्क्रीन पर देखने से रेटिना पर कितना असर पड़ता होगा.
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चिकित्सकों के अनुसार लगातार स्क्रीन पर देखने से हमारी आंखों के रेटिना की sensitivity कमजोर पड़ती जाती है. sensitivity सेल कम होने के साथ उनकी संख्या लगातार कम होती जाती है. इसका असर यह होता है कि देखने के क्षमता कमजोर पड़ती जाती है. इसके अलावा लेंस भी प्रभावित होते हैं और मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है.
अपनाएं ये उपाय
महात्मा गांधी चिकित्सालय के वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. हरीश लालवानी के अनुसार एंड्राइड मोबाइल की स्क्रीन 2 से ढाई इंच की होती है. बच्चों का लगातार उस पर नजर रखना आंखों के लिए घातक हो सकता है. लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से चश्मा निकल सकता है. नंबर बढ़ सकते हैं और तनाव के साथ-साथ सर दर्द की शिकायत भी बढ़ सकती है. खासकर रेटिना की सेंसिटिविटी कम होने के साथ मोतियाबिंद का खतरा भी बना रहता है. बहुत आवश्यक होने पर ही स्क्रीन के जरिए काम किया जाना चाहिए, इस प्रकार की शिकायतों से बचने के लिए 30 से 40 मिनट के बाद पांच 10 मिनट के लिए आंखों को विश्राम दिया जा सकता है. नहीं तो आंखों संबंधी शिकायतें बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है.