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स्पेशल रिपोर्ट : बांसवाड़ा में कौन होगा सरताज, कांग्रेस आश्वस्त, भाजपा आशान्वित

बांसवाड़ा नगर परिषद के चुनाव परिणाम मंगलवार को आने हैं. लेकिन, दोनों ही पार्टियां अपना-अपना बोर्ड बनने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है. जहां कांग्रेस ने सभापति उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, वहीं भाजपा अभी असमंजस में है. बता दें कि नगर परिषद के 60 वार्डों के लिए शनिवार को चुनाव हुए हैं. जिसमें दोनों पार्टियां बोर्ड बनाने की गहमागहमी में लगी हुई हैं.

बांसवाड़ा न्यूज, banswara news
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Published : Nov 18, 2019, 8:10 PM IST

Updated : Nov 18, 2019, 9:21 PM IST

बांसवाड़ा. जिला नगर परिषद के वार्ड चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी और सुबह करीब 10 बजे तक चुनावी तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है. लेकिन, चुनाव नतीजों को लेकर शहर में अभी से चर्चाओं का दौर चल रहा है.

कांग्रेस ने किया सभापति उम्मीदवार का नाम घोषित, भाजपा असमंजस में

वहीं जनजाती मंत्री बामनिया और वरिष्ठ नेता मालवीय ने एक मंच पर आकर सभापति उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, जिसके बाद कांग्रेस को बोर्ड की दौड़ में आगे माना जा रहा है.

लेकिन, भाजपा टिकट वितरण में गच्चा खा गई और सभापति के रूप में भी किसी को प्रोजेक्ट नहीं कर पाई है. इसके चलते वार्ड चुनाव में संभावित दावेदारी को लेकर दावेदारों के बीच खींचातान से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि नगर परिषद के 60 वार्डों के लिए शनिवार को मतदान हुआ था, जिसमें 70 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. वहीं गत चुनावों के मुकाबले 4 प्रतिशत मतदान कम होने के अलावा चुनाव प्रचार और मैनेजमेंट को देखें, तो फिलहाल भाजपा के मुकाबले कांग्रेस दौड़ में आगे नजर आ रही है.

आनन-फानन में टिकट, बागियों का खतरा
जानकारी के अनुसार भाजपा ने नगर परिषद चुनाव में करीब एक दर्जन वार्डों में आनन-फानन में टिकट दे दिए थे. इसका कारण अचानक हुई चुनावी घोषणा मानी जा रही है. शायद इसी जल्दबाजी में पार्टी ने ज्यादा विचार ना करते हुए टिकट वितरित कर दिए.

पढ़ें- चूरू नगर परिषद और राजगढ़ नगर पालिका में निर्दलीय पलट सकते हैं बाजी

टिकट वितरण के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया गया. नतीजा यह निकला कि आधा दर्जन वार्डों में पार्टी कैंडिडेट चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरे और अपनी ही पार्टी के लोगों से दो-दो हाथ करने पड़ गए. हालांकि, कांग्रेस में भी बागियों का खतरा रहा लेकिन, भाजपा के मुकाबले पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब रही.

जनता के बीच सभापति का चेहरा
अगर पिछले चुनावों का रिकार्ड देंखे तो अब तक भाजपा हर चुनाव में अपना चेहरा घोषित करती रही है. लेकिन, इस चुनाव में पार्टी अपने किसी कैंडिडेट के चेहरे पर एकमत नहीं हो पाई. इस कारण संभावित दावेदार एक दूसरे कि अपने ही वार्डों में खींचातान करने से भी नहीं चूके. वहीं कांग्रेस द्वारा 1 सप्ताह पहले ही सभापति के रूप में प्रदेश कांग्रेस सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का नाम घोषित कर दिया और उनके चेहरे के साथ पार्टी प्रचार में जुटी रही. जिसका कहीं ना कहीं फायदा कांग्रेस को मिला है.

इधर एकजुटता, उधर असमंजस

निकाय चुनाव में जिला कांग्रेस अब तक दो ध्रुव के रूप में देखी जा रही थी. एक खेमा जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का माना जा रहा था, वहीं दूसरा पूर्व कैबिनेट मंत्री और बागीदौरा विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय चला रहे थे. लेकिन, केंद्रीय नेतृत्व के दबाव को देखते हुए आखिरकार दोनों ही नेता एक साथ आ गए और करीब 10 दिन तक हर गली मोहल्ले में घूम कर जनता के बीच गए, जिससे कांग्रेस की संगठित छवि जनता के बीच आई.

पढ़ें- सांगोद नगर पालिका में कांग्रेस ने किया 25 के 25 वार्ड जीतने का दावा

वहीं भाजपा का चुनाव में हर बार की तुलना में इस बार मैनेजमेंट गड़बड़ नजर आया. जहां एकमात्र पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सम्मेलन के अलावा पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम चुनाव प्रचार के दौरान नजर नहीं आया और ना ही स्थानीय नेता एक साथ प्रचार करते नजर आए.

सभापति का चेहरे पर दरोमदार

बात करें भाजपा के सभापति के चेहरे की तो ओम पालीवाल, महावीर बोहरा सहित तीन से चार लोगों को दावेदार माना जा रहा है. लेकिन, कांग्रेस ने इन दोनों ही नेताओं को अपने ही वार्ड में बांध कर रख दिया. कांग्रेस ने पालीवाल के सामने लगातार दो बार पार्षद रहे आशीष मेहता को उतारा गया है, ऐसे में जातीय समीकरण भी यहां बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं.

दूसरी ओर महावीर बोहरा के सामने कांग्रेस द्वारा अधिवक्ता राजकुमार जैन को उतारकर संकट की स्थिति पैदा कर दी गई है. हालत यह है कि कांग्रेस ने जहां सभापति दावेदारों को ही मुश्किल में फंसा दिया है. वहीं भाजपा कांग्रेस के सभापति उम्मीदवार त्रिवेदी के सामने किसी प्रभावी कैंडिडेट को मैदान में नहीं उतार पाई है और आनन-फानन में कार्यकर्ताओं को टिकट थमा दिया है.

कहा जा सकता है कि निकाय चुनाव में कांग्रेस ने प्रोजेक्ट के तहत काम किया, जिसमें जिताऊ कैंडिडेट्स का चयन और सभापति के रूप में सही चेहरे को सामने कांग्रेस को फायदा मिला है.

दोनों पार्टियां बोर्ड बनाने को लेकर आश्वस्त

चुनाव में भाजपा असमंजस का शिकार रही, पार्टी के पास स्थानीय स्तर कि योजनाओं कार्य को दरकिनार कर मोदी सरकार की उपलब्धियों का गुणगान किया गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता और नगर परिषद उपसभापति महावीर बोहरा की माने तो पार्टी फिर अपना बोर्ड बना रही है. मोदी सरकार के कामकाज के बूते पार्टी यह चुनाव जीत रही है.

वहीं कांग्रेस द्वारा सभापति के रूप में प्रोजेक्टेड त्रिवेदी का कहना है कि राज्य में हमारी सरकार है और जनता भी जानती है कि कांग्रेस सरकार है तो बजट भी वहीं से आना है. साथ ही युवा वर्ग भी पार्टी की रीति नीति को समझकर हमारे साथ आ रहा है. सभापति का चेहरा प्रोजेक्ट करने से भी हमे चुनावी लाभ मिलेगा, कुल मिलाकर अगले बोर्ड को लेकर हम आश्वस्त हैं.

बांसवाड़ा. जिला नगर परिषद के वार्ड चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी और सुबह करीब 10 बजे तक चुनावी तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है. लेकिन, चुनाव नतीजों को लेकर शहर में अभी से चर्चाओं का दौर चल रहा है.

कांग्रेस ने किया सभापति उम्मीदवार का नाम घोषित, भाजपा असमंजस में

वहीं जनजाती मंत्री बामनिया और वरिष्ठ नेता मालवीय ने एक मंच पर आकर सभापति उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, जिसके बाद कांग्रेस को बोर्ड की दौड़ में आगे माना जा रहा है.

लेकिन, भाजपा टिकट वितरण में गच्चा खा गई और सभापति के रूप में भी किसी को प्रोजेक्ट नहीं कर पाई है. इसके चलते वार्ड चुनाव में संभावित दावेदारी को लेकर दावेदारों के बीच खींचातान से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि नगर परिषद के 60 वार्डों के लिए शनिवार को मतदान हुआ था, जिसमें 70 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. वहीं गत चुनावों के मुकाबले 4 प्रतिशत मतदान कम होने के अलावा चुनाव प्रचार और मैनेजमेंट को देखें, तो फिलहाल भाजपा के मुकाबले कांग्रेस दौड़ में आगे नजर आ रही है.

आनन-फानन में टिकट, बागियों का खतरा
जानकारी के अनुसार भाजपा ने नगर परिषद चुनाव में करीब एक दर्जन वार्डों में आनन-फानन में टिकट दे दिए थे. इसका कारण अचानक हुई चुनावी घोषणा मानी जा रही है. शायद इसी जल्दबाजी में पार्टी ने ज्यादा विचार ना करते हुए टिकट वितरित कर दिए.

पढ़ें- चूरू नगर परिषद और राजगढ़ नगर पालिका में निर्दलीय पलट सकते हैं बाजी

टिकट वितरण के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया गया. नतीजा यह निकला कि आधा दर्जन वार्डों में पार्टी कैंडिडेट चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरे और अपनी ही पार्टी के लोगों से दो-दो हाथ करने पड़ गए. हालांकि, कांग्रेस में भी बागियों का खतरा रहा लेकिन, भाजपा के मुकाबले पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब रही.

जनता के बीच सभापति का चेहरा
अगर पिछले चुनावों का रिकार्ड देंखे तो अब तक भाजपा हर चुनाव में अपना चेहरा घोषित करती रही है. लेकिन, इस चुनाव में पार्टी अपने किसी कैंडिडेट के चेहरे पर एकमत नहीं हो पाई. इस कारण संभावित दावेदार एक दूसरे कि अपने ही वार्डों में खींचातान करने से भी नहीं चूके. वहीं कांग्रेस द्वारा 1 सप्ताह पहले ही सभापति के रूप में प्रदेश कांग्रेस सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का नाम घोषित कर दिया और उनके चेहरे के साथ पार्टी प्रचार में जुटी रही. जिसका कहीं ना कहीं फायदा कांग्रेस को मिला है.

इधर एकजुटता, उधर असमंजस

निकाय चुनाव में जिला कांग्रेस अब तक दो ध्रुव के रूप में देखी जा रही थी. एक खेमा जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का माना जा रहा था, वहीं दूसरा पूर्व कैबिनेट मंत्री और बागीदौरा विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय चला रहे थे. लेकिन, केंद्रीय नेतृत्व के दबाव को देखते हुए आखिरकार दोनों ही नेता एक साथ आ गए और करीब 10 दिन तक हर गली मोहल्ले में घूम कर जनता के बीच गए, जिससे कांग्रेस की संगठित छवि जनता के बीच आई.

पढ़ें- सांगोद नगर पालिका में कांग्रेस ने किया 25 के 25 वार्ड जीतने का दावा

वहीं भाजपा का चुनाव में हर बार की तुलना में इस बार मैनेजमेंट गड़बड़ नजर आया. जहां एकमात्र पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सम्मेलन के अलावा पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम चुनाव प्रचार के दौरान नजर नहीं आया और ना ही स्थानीय नेता एक साथ प्रचार करते नजर आए.

सभापति का चेहरे पर दरोमदार

बात करें भाजपा के सभापति के चेहरे की तो ओम पालीवाल, महावीर बोहरा सहित तीन से चार लोगों को दावेदार माना जा रहा है. लेकिन, कांग्रेस ने इन दोनों ही नेताओं को अपने ही वार्ड में बांध कर रख दिया. कांग्रेस ने पालीवाल के सामने लगातार दो बार पार्षद रहे आशीष मेहता को उतारा गया है, ऐसे में जातीय समीकरण भी यहां बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं.

दूसरी ओर महावीर बोहरा के सामने कांग्रेस द्वारा अधिवक्ता राजकुमार जैन को उतारकर संकट की स्थिति पैदा कर दी गई है. हालत यह है कि कांग्रेस ने जहां सभापति दावेदारों को ही मुश्किल में फंसा दिया है. वहीं भाजपा कांग्रेस के सभापति उम्मीदवार त्रिवेदी के सामने किसी प्रभावी कैंडिडेट को मैदान में नहीं उतार पाई है और आनन-फानन में कार्यकर्ताओं को टिकट थमा दिया है.

कहा जा सकता है कि निकाय चुनाव में कांग्रेस ने प्रोजेक्ट के तहत काम किया, जिसमें जिताऊ कैंडिडेट्स का चयन और सभापति के रूप में सही चेहरे को सामने कांग्रेस को फायदा मिला है.

दोनों पार्टियां बोर्ड बनाने को लेकर आश्वस्त

चुनाव में भाजपा असमंजस का शिकार रही, पार्टी के पास स्थानीय स्तर कि योजनाओं कार्य को दरकिनार कर मोदी सरकार की उपलब्धियों का गुणगान किया गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता और नगर परिषद उपसभापति महावीर बोहरा की माने तो पार्टी फिर अपना बोर्ड बना रही है. मोदी सरकार के कामकाज के बूते पार्टी यह चुनाव जीत रही है.

वहीं कांग्रेस द्वारा सभापति के रूप में प्रोजेक्टेड त्रिवेदी का कहना है कि राज्य में हमारी सरकार है और जनता भी जानती है कि कांग्रेस सरकार है तो बजट भी वहीं से आना है. साथ ही युवा वर्ग भी पार्टी की रीति नीति को समझकर हमारे साथ आ रहा है. सभापति का चेहरा प्रोजेक्ट करने से भी हमे चुनावी लाभ मिलेगा, कुल मिलाकर अगले बोर्ड को लेकर हम आश्वस्त हैं.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट .......



बांसवाड़ा। हालांकि बांसवाड़ा नगर परिषद के वार्ड चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी और सुबह करीब 10:00 बजे तक चुनावी तस्वीर काफी हद तक क्लियर हो जाएगी लेकिन चुनाव नतीजों को लेकर शहर में अभी से चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। ठोक बजाकर उम्मीदवारों के 22:00 के बाद जनजाति मंत्री बामणिया और वरिष्ठ नेता मालवीय के एक मंच पर आने के अलावा सभापति उम्मीदवार की घोषणा से अगले बोर्ड की दौड़ में फिलहाल कांग्रेस आगे नजर आ रही है वहीं भाजपा टिकट वितरण में जहां गच्चा खा गई वहीं सभापति के रूप में भी किसी को प्रोजेक्ट नहीं कर पाई। इसके चलते वार्ड चुनाव में संभावित दावेदारी को लेकर दावेदारों के बीच ही कार सेवा होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।


Body:नगर परिषद के 60 वार्ड के लिए शनिवार को मतदान हुआ था। कुल 70% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। गत चुनावों के मुकाबले 4% मतदान कम होने के अलावा चुनाव प्रचार और मैनेजमेंट को देखें तो फिलहाल भाजपा के मुकाबले कांग्रेस दौड़ में आगे नजर आ रही है।

आनन-फानन में टिकट, बागियों का खतरा

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों से पता चला है कि नगर परिषद चुनाव में करीब एक दर्जन वार्डों में आनन-फानन में टिकट दे दिए गए। पता चला है कि अचानक चुनावी घोषणा से पार्टी नेता संभल नहीं पाए और जो आया उसी को टिकट थमा दिया। कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया गया। नतीजा यह निकला कि आधा दर्जन वार्डों में पार्टी कैंडिडेट को चुनावी मैदान में बतौर निर्दलीय अपनी ही पार्टी के लोगों से दो-दो हाथ करने पड़ गए। हालांकि कांग्रेस में भी बागियों का खतरा रहा लेकिन भाजपा के मुकाबले पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब रही।

जनता के बीच सभापति का चेहरा
अब तक भाजपा हर चुनाव में अपना चेहरा घोषित करती रही है परंतु इस चुनाव में पार्टी अपने किसी कैंडिडेट के चेहरे पर एकमत नहीं हो पाई। इस कारण संभावित दावेदार एक दूसरे कि अपने ही वार्डों में कार सेवा करने से भी नहीं चूके वही कांग्रेस द्वारा 1 सप्ताह पहले ही सभापति के रूप में प्रदेश कांग्रेस सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी का नाम घोषित कर दिया और उनके चेहरे के साथ पार्टी प्रचार में जुटी रही।

इधर एकजुटता उधर असमंजस

जिला कांग्रेस अब तक दो ध्रुव के रूप में देखी जा रही थी। एक खेमा जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का माना जा रहा था वही दूसरा पूर्व कैबिनेट मंत्री और बागीदौरा विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय चला रहे थे। केंद्रीय नेतृत्व के दबाव को देखते हुए आखिरकार दोनों ही नेता एक साथ आ गए और करीब 10 दिन तक हर गली मोहल्ले में घूम कर जनता के बीच गए वही भाजपा का हनी चुनाव की तरह मैनेजमेंट नहीं दिखा। एकमात्र पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सम्मेलन के अलावा पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम यहां नजर नहीं आया और ना ही स्थानीय नेता एक साथ प्रचार करते नजर आए। सब अपने अपने सिस्टम से चुनाव प्रचार करते रहे। भाजपा के सभापति के चेहरे के रूप में ओम पालीवाल महावीर बोहरा सहित तीन से चार लोगों को माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस ने इन दोनों ही नेताओं को अपने ही वार्ड में बांध कर रख दिया। पालीवाल के सामने लगातार दो बार पार्षद रहे आशीष मेहता को उतारा। ऐसे में जातीय समीकरण भी यहां बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं तो महावीर बोहरा के सामने कांग्रेस द्वारा अधिवक्ता राजकुमार जैन को उतारकर संकट की स्थिति ला दी। हालत यह थी कि कांग्रेस ने जहां सभापति दावेदारों को ही मुश्किल में फंसा दिया वही भाजपा कॉन्ग्रेस के सभापति उम्मीदवार त्रिवेदी के सामने किसी प्रभावी कैंडिडेट को मैदान में नहीं उतार पाई और आनन-फानन में कार्यकर्ता को टिकट थमा दिया।





Conclusion:कुल मिलाकर नेताओं की एकता, जिताऊ कैंडिडेट्स का चयन और सभापति के रूप में चेहरे को प्रोजेक्ट करना फिलहाल कांग्रेस को इस चुनावी दौड़ में आगे कर रहा है तो भाजपा असमंजस का शिकार है। पार्टी के पास स्थानीय स्तर पर कुछ भी बताने को नहीं है और केवल मोदी सरकार की उपलब्धियों को लेकर आशाएं लगा रखी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और नगर परिषद उपसभापति महावीर बोहरा की माने तो पार्टी फिर अपना बोर्ड बना रही है। मोदी सरकार के कामकाज के बूते पार्टी यह चुनाव जीत रही है। वहीं कांग्रेस द्वारा सभापति के रूप में प्रोजेक्टेड त्रिवेदी का कहना है कि राज्य में हमारी सरकार है और जनता भी जानती है कि कांग्रेस सरकार है तो बजट भी वहीं से आना है। युवा वर्ग भी पार्टी की रीति नीति को समझकर हमारे साथ आ गया तो पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता एक साथ शहर में पार्टी का प्रचार प्रसार करते रहे। सभापति का चेहरा प्रोजेक्ट करने से भी हमे चुनावी लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर अगले बोर्ड को लेकर हम आश्वस्त है।

बाइट.....1... महावीर बोहरा वरिष्ठ भाजपा नेता और उप सभापति नगर परिषद
2. जैनेंद्र त्रिवेदी प्रदेश सचिव कांग्रेस और सभापति के उम्मीदवार
Last Updated : Nov 18, 2019, 9:21 PM IST
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