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बांसवाड़ा: कोऑपरेटिव सोसायटी तक पहुंची यूरिया, ईटीवी भारत की खबर लाई रंग - बांसवाड़ा में यूरिया

पिछले 15 दिनों से यूरिया की किल्लत को लेकर परेशान किसानों को अब राहत मिलती दिखाई दे रही है. किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से ईटीवी भारत ने से दिखाई थी. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और 155 मीट्रिक टन यूरिया सोसाइटी गोदामों तक पहुंचाई.

shortage of urea, बांसवाड़ा न्यूज
कोऑपरेटिव सोसायटी में यूरिया पहुंचने से किसानों को राहत
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Published : Jan 13, 2020, 7:24 PM IST

बांसवाड़ा. आखिरकार ईटीवी भारत की खबर रंग लाई और पिछले 15 दिनों से यूरिया की किल्लत का सामना कर रहे किसानों को सोमवार को राहत मिली. कंपनी द्वारा लैंप्स अर्थात लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज सोसाइटी के गोदामों तक यूरिया सप्लाई कर दी गई है. इसे देखते हुए बड़ी संख्या में किसान सोसाइटी गोदामों तक पहुंचे और मांग के हिसाब से यूरिया ले गए.

कोऑपरेटिव सोसायटी में यूरिया पहुंचने से किसानों को राहत

ईटीवी भारत ने 4 जनवरी को किसानों के इस दर्द को प्रमुखता से उठाया था कि किस प्रकार जिले के काश्तकार यूरिया की तंगी का सामना कर रहे हैं और मार्केट से यूरिया खरीदने को मजबूर हैं. यहां तक कि बाजार में 270 रुपये के कट्टे के 350 से 400 रुपये तक वसूले जा रहे थे. ईटीवी भारत के खुलासे के बाद कोऑपरेटिव सोसाइटीज हरकत में आईं.

कृषि विभाग और कोऑपरेटिव सोसायटी के संयुक्त प्रयासों से आखिरकार सोमवार को कृषिकों ने यूरिया की पहली खेप बांसवाड़ा भेजी. अकेले बांसवाड़ा कोऑपरेटिव सोसाइटी को 30 मीट्रिक टन माल सप्लाई किया गया. वहीं दो अन्य सोसाइटी के लैंप्स पर 125 मीट्रिक टन यूरिया भेजी गई. किसान यूरिया की कमी को लेकर परेशान थे और लैंप्स के चक्कर काटने को मजबूर थे.

जैसे-जैसे यूरिया सप्लाई की खबर पहुंची, गांव से काश्तकार संबंधित लैंप्स पर पहुंचने लगे. कुल मिलाकर किसानों को 155 मीट्रिक टन यूरिया सप्लाई से राहत मिली है. सागथली गांव से आए बसंत लाल ने बताया कि पिछले 10-15 दिन से चक्कर काट रहे थे. हालांकि उन्हें 2 बोरी की जरूरत थी, लेकिन मार्केट में ऊंची दर पर मिलने के कारण यूरिया नहीं लिया और सोसाइटी पर आने का इंतजार कर रहे थे.

पढ़ें- स्पेशल: विद्युत घाटे से उबारने के लिए उठाया सराहनीय कदम, Jen-Aen घर-घर जाकर कर रहे जागरूक, जोड़े 10 हजार नए उपभोक्ता

लोधा गांव से आए जगदीश ने कहा कि वह भी पिछले कुछ दिनों से खाद आने का इंतजार कर रहे थे. अभी फसल को यूरिया की जरूरत है. समय पर खाद मिल गई, इससे उनकी फसल अच्छी होने के आसार बढ़ गए हैं. निचला घंटाला गांव के गौतम ने बताया कि यूरिया के लिए पिछले कई दिनों से बांसवाड़ा आ रहे थे. कोऑपरेटिव सोसाइटी के कर्मचारी आज-कल-आज-कल का आश्वासन दे रहे थे. आज खाद पहुंच गई और उन्हें जरूरत के हिसाब से यूरिया मिल भी गई.

इस संबंध में बांसवाड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव सोसायटी के अकाउंटेंट प्रदीप सिंह ने बताया कि हालांकि डिमांड 2000 मीट्रिक टन की है, लेकिन कंपनी की ओर से फिलहाल 155 मीट्रिक टन खाद भेजी गई है. जिससे किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.

बांसवाड़ा. आखिरकार ईटीवी भारत की खबर रंग लाई और पिछले 15 दिनों से यूरिया की किल्लत का सामना कर रहे किसानों को सोमवार को राहत मिली. कंपनी द्वारा लैंप्स अर्थात लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज सोसाइटी के गोदामों तक यूरिया सप्लाई कर दी गई है. इसे देखते हुए बड़ी संख्या में किसान सोसाइटी गोदामों तक पहुंचे और मांग के हिसाब से यूरिया ले गए.

कोऑपरेटिव सोसायटी में यूरिया पहुंचने से किसानों को राहत

ईटीवी भारत ने 4 जनवरी को किसानों के इस दर्द को प्रमुखता से उठाया था कि किस प्रकार जिले के काश्तकार यूरिया की तंगी का सामना कर रहे हैं और मार्केट से यूरिया खरीदने को मजबूर हैं. यहां तक कि बाजार में 270 रुपये के कट्टे के 350 से 400 रुपये तक वसूले जा रहे थे. ईटीवी भारत के खुलासे के बाद कोऑपरेटिव सोसाइटीज हरकत में आईं.

कृषि विभाग और कोऑपरेटिव सोसायटी के संयुक्त प्रयासों से आखिरकार सोमवार को कृषिकों ने यूरिया की पहली खेप बांसवाड़ा भेजी. अकेले बांसवाड़ा कोऑपरेटिव सोसाइटी को 30 मीट्रिक टन माल सप्लाई किया गया. वहीं दो अन्य सोसाइटी के लैंप्स पर 125 मीट्रिक टन यूरिया भेजी गई. किसान यूरिया की कमी को लेकर परेशान थे और लैंप्स के चक्कर काटने को मजबूर थे.

जैसे-जैसे यूरिया सप्लाई की खबर पहुंची, गांव से काश्तकार संबंधित लैंप्स पर पहुंचने लगे. कुल मिलाकर किसानों को 155 मीट्रिक टन यूरिया सप्लाई से राहत मिली है. सागथली गांव से आए बसंत लाल ने बताया कि पिछले 10-15 दिन से चक्कर काट रहे थे. हालांकि उन्हें 2 बोरी की जरूरत थी, लेकिन मार्केट में ऊंची दर पर मिलने के कारण यूरिया नहीं लिया और सोसाइटी पर आने का इंतजार कर रहे थे.

पढ़ें- स्पेशल: विद्युत घाटे से उबारने के लिए उठाया सराहनीय कदम, Jen-Aen घर-घर जाकर कर रहे जागरूक, जोड़े 10 हजार नए उपभोक्ता

लोधा गांव से आए जगदीश ने कहा कि वह भी पिछले कुछ दिनों से खाद आने का इंतजार कर रहे थे. अभी फसल को यूरिया की जरूरत है. समय पर खाद मिल गई, इससे उनकी फसल अच्छी होने के आसार बढ़ गए हैं. निचला घंटाला गांव के गौतम ने बताया कि यूरिया के लिए पिछले कई दिनों से बांसवाड़ा आ रहे थे. कोऑपरेटिव सोसाइटी के कर्मचारी आज-कल-आज-कल का आश्वासन दे रहे थे. आज खाद पहुंच गई और उन्हें जरूरत के हिसाब से यूरिया मिल भी गई.

इस संबंध में बांसवाड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव सोसायटी के अकाउंटेंट प्रदीप सिंह ने बताया कि हालांकि डिमांड 2000 मीट्रिक टन की है, लेकिन कंपनी की ओर से फिलहाल 155 मीट्रिक टन खाद भेजी गई है. जिससे किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.

Intro:बांसवाड़ा। आखिरकार ईटीवी भारत की खबर रंग लाई और पिछले 15 दिन से यूरिया की किल्लत का सामना कर रहे किसानों को सोमवार को राहत मिली। कंपनी द्वारा लैंप्स अर्थात लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज सोसाइटी के गोदामों तक यूरिया सप्लाई कर दिया। इसे देखते हुए बड़ी संख्या में किसान सोसाइटी गोदामों तक पहुंचे और मांग के हिसाब से यूरिया ले गए।


Body:ईटीवी भारत ने 4 जनवरी को किसानों के इस दर्द को प्रमुखता से उठाया था कि किस प्रकार जिले के काश्तकार यूरिया की तंगी का सामना कर रहे हैं और मार्केट से यूरिया खरीदने को मजबूर है। यहां तक कि ₹270 के कट्टे के 350 से ₹400 तक वसूले जा रहे थे। ईटीवी भारत के खुलासे के बाद कोऑपरेटिव सोसाइटीज हरकत में आई। कृषि विभाग और कोऑपरेटिव सोसायटी के संयुक्त प्रयासों से आखिरकार सोमवार को कृभको द्वारा यूरिया की पहली खेप बांसवाड़ा भेजी गई। अकेले बांसवाड़ा कोऑपरेटिव सोसाइटी को 30 मेट्रिक टन माल सप्लाई किया गया वहीं दो अन्य सोसाइटी के लैंप्स पर 125 मेट्रिक टन यूरिया भेजा गया। किसान यूरिया की कमी को लेकर परेशान थे और लैंप्स के चक्कर काटने को विवश थे।


Conclusion:जैसे-जैसे यूरिया सप्लाई की खबर पहुंची गांव से काश्तकार संबंधित लैंप्स पर पहुंचे लगे। कुल मिलाकर किसानों को 155 मेट्रिक टन यूरिया सप्लाई से राहत मिली है। सागथली गांव से आए बसंत लाल ने कहा कि पिछले 10- 15 दिन से चक्कर काट रहे थे। हालांकि उन्हें 2 बोरी की जरूरत थी लेकिन मार्केट में ऊंची दर पर मिल रहा था इस कारण यूरिया नहीं लिया और सोसाइटी पर आने का इंतजार कर रहे थे। लोधा गांव से आए जगदीश ने कहा कि वह भी पिछले कुछ दिनों से खाद आने का इंतजार कर रहे थे। अभी फसल को यूरिया की जरूरत है। समय पर खाद मिल गया इससे उनकी फसल अच्छी होने के आसार बढ़ गए हैं। निचला घंटाला गांव के गौतम ने बताया कि यूरिया के लिए पिछले कई दिनों से बांसवाड़ा आ रहे थे। कोऑपरेटिव सोसाइटी के कर्मचारी आजकल आजकल का आश्वासन दे रहे थे। इस कारण हर दो-तीन दिन में बांसवाड़ा पहुंच गए थे। आज खाद पहुंच गया और उन्हें जरूरत के हिसाब से यूरिया मिल भी गया। इस संबंध में बांसवाड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव सोसायटी के अकाउंटेंट प्रदीप सिंह ने बताया कि हालांकि डिमांड 2000 मेट्रिक टेंट की है लेकिन कंपनी द्वारा फिलहाल 155 मेट्रिक टन खाद भेजा गया है जिससे काश्तकारों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।

बाइट...... प्रदीप सिंह अकाउंटेंट बांसवाड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव सोसायटी
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