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राशन वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं, भड़के ग्रामीण सड़कों पर उतरे

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती जा रही है. उपभोक्ताओं को समय पर गेहूं सहित राशन सामग्री का वितरण नहीं किया जा रहा है. वही राज्य सरकार के बीपीएल को रू.1 में गेहूं प्रदान करने की योजना को भी डीलर ठेंगा दिखा रहे हैं.

बारी गांव में राशन डीलर का विरोध करते ग्रामीण
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Published : Apr 21, 2019, 8:03 PM IST

बांसवाड़ा. जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बारी गांव में उचित मूल्य दुकानदार की मनमानी के खिलाफ रविवार को ग्रामीण भड़क गए और सड़क पर उतर गए. सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंसी दुकानदार को महीनों से ग्रामीणों ने नहीं देखा और किसी अन्य व्यक्ति के जरिए दुकान संचालित की जा रही है. जिस आदमी को लगाया गया है उस की मनमानी से लोग परेशान होकर सड़क पर आने को मजबूर हो गए. यहां बड़ी संख्या में महिलाएं गेहूं लेने के लिए भयंकर गर्मी के बीच उचित मूल्य की दुकान पर पहुंच गई लेकिन वहां लाइसेंसी की ओर से रखे गए व्यक्ति ने कथित रूप से उन्हें गेहूं देने से मना कर दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले कई महीनों से 1 महीने का राशन दो दो महीने में वितरित किया जा रहा है.

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती

उपभोक्ताओं के पहुंचने पर कई प्रकार के कारण बता कर उन्हें लौटा दिया जाता है. उपभोक्ताओं के घर पर पहुंचकर अंगूठा लगवा दिया जाता है. लेकिन उन्हें गेहूं का वितरण नहीं किया जा रहा है. फरवरी में अधिकांश उपभोक्ताओं के घर पर पहुंच कर अंगूठा लगवा दिए गए. लेकिन उसका गेहूं अब तक नहीं मिल पाया. यहां तक की बीपीएल परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से एक रुपए किलो गेहूं की कीमत तय कर दी गई. लेकिन यहां पर अब भी पुरानी रेट से कीमत वसूली जा रही है और दो रुपए किलो की दर से गेहूं दिया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप था कि राशन डीलर की शह पर उसका कर्मचारी इस प्रकार मनमानी और वितरण में गड़बड़ी कर रहा है.

बांसवाड़ा. जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बारी गांव में उचित मूल्य दुकानदार की मनमानी के खिलाफ रविवार को ग्रामीण भड़क गए और सड़क पर उतर गए. सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंसी दुकानदार को महीनों से ग्रामीणों ने नहीं देखा और किसी अन्य व्यक्ति के जरिए दुकान संचालित की जा रही है. जिस आदमी को लगाया गया है उस की मनमानी से लोग परेशान होकर सड़क पर आने को मजबूर हो गए. यहां बड़ी संख्या में महिलाएं गेहूं लेने के लिए भयंकर गर्मी के बीच उचित मूल्य की दुकान पर पहुंच गई लेकिन वहां लाइसेंसी की ओर से रखे गए व्यक्ति ने कथित रूप से उन्हें गेहूं देने से मना कर दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले कई महीनों से 1 महीने का राशन दो दो महीने में वितरित किया जा रहा है.

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती

उपभोक्ताओं के पहुंचने पर कई प्रकार के कारण बता कर उन्हें लौटा दिया जाता है. उपभोक्ताओं के घर पर पहुंचकर अंगूठा लगवा दिया जाता है. लेकिन उन्हें गेहूं का वितरण नहीं किया जा रहा है. फरवरी में अधिकांश उपभोक्ताओं के घर पर पहुंच कर अंगूठा लगवा दिए गए. लेकिन उसका गेहूं अब तक नहीं मिल पाया. यहां तक की बीपीएल परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से एक रुपए किलो गेहूं की कीमत तय कर दी गई. लेकिन यहां पर अब भी पुरानी रेट से कीमत वसूली जा रही है और दो रुपए किलो की दर से गेहूं दिया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप था कि राशन डीलर की शह पर उसका कर्मचारी इस प्रकार मनमानी और वितरण में गड़बड़ी कर रहा है.

Intro:बांसवाड़ा। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती जा रही है। उपभोक्ताओं को समय पर गेहूं सहित राशन सामग्री का वितरण नहीं किया जा रहा है वही राज्य सरकार के बीपीएल को ₹1 में गेहूं प्रदान करने की योजना को भी डीलर ठेंगा दिखा रहे हैं। बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बारी गांव में उचित मूल्य दुकानदार की मनमानी के खिलाफ रविवार को ग्रामीण भड़क गए और सड़क पर उतर गए। सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंसी दुकानदार को महीनों से ग्रामीणों ने नहीं देखा और किसी अन्य व्यक्ति के जरिए


Body:दुकान संचालित की जा रही है। जिस आदमी को लगाया गया है उस की मनमानी से लोग परेशान होकर सड़क पर आने को विवश हो गए। बड़ी संख्या में महिलाएं गेहूं लेने के लिए भयंकर गर्मी के बीच उचित मूल्य की दुकान पर पहुंच गई लेकिन वहां लाइसेंसी द्वारा रखे गए व्यक्ति ने कथित रूप से उन्हें गेहूं देने से मना कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले कई माह से 1 माह का राशन दो दो माह में वितरित किया जा रहा है। उपभोक्ताओं के पहुंचने पर कई प्रकार के कारण बता कर उन्हें लौटा दिया जाता है। उपभोक्ताओं के घर पर पहुंच कर अंगूठा लगवा दिया जाता है


Conclusion:लेकिन उन्हें गेहूं का वितरण नहीं किया जा रहा है। फरवरी मैं अधिकांश उपभोक्ताओं के घर पर पहुंच कर अंगूठा लगवा दिए गए परंतु उसका गेहूं अब तक नहीं मिल पाया। यहां तक की बीपीएल परिवारों के लिए राज्य सरकार द्वारा एक रुपए किलो गेहूं की कीमत तय कर दी गई लेकिन यहां पर अब भी पुरानी रेट से कीमत वसूली जा रही है अर्थात दो रुपए किलो की दर से गेहूं दिया जा रहा है। महिलाओं से बदतमीजी तक की जाती है। ग्रामीणों का आरोप था कि राशन डीलर की शह पर उसका कर्मचारी इस प्रकार मनमानी और वितरण में गड़बड़ी कर रहा है। गीता का कहना था कि फरवरी में अंगूठा लगवा लिया गया लेकिन अब तक गेहूं नहीं मिला। बीपीएल परिवारों से भी गेहूं की ₹2 किलो की दर से कीमत वसूली जा रही है। बहादुर सिंह मईडा के अनुसार जब भी कोई व्यक्ति मनमानी के खिलाफ आवाज उठाता है तो आरोप-प्रत्यारोप लगाकर उसे दबा दिया जाता है। इस संबंध में रसद विभाग को भी शिकायत की गई परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं दुकान पर कार्यरत व्यक्ति का कहना था कि राशन समय पर वितरित किया जा रहा है।
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