बांसवाड़ा. जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बारी गांव में उचित मूल्य दुकानदार की मनमानी के खिलाफ रविवार को ग्रामीण भड़क गए और सड़क पर उतर गए. सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंसी दुकानदार को महीनों से ग्रामीणों ने नहीं देखा और किसी अन्य व्यक्ति के जरिए दुकान संचालित की जा रही है. जिस आदमी को लगाया गया है उस की मनमानी से लोग परेशान होकर सड़क पर आने को मजबूर हो गए. यहां बड़ी संख्या में महिलाएं गेहूं लेने के लिए भयंकर गर्मी के बीच उचित मूल्य की दुकान पर पहुंच गई लेकिन वहां लाइसेंसी की ओर से रखे गए व्यक्ति ने कथित रूप से उन्हें गेहूं देने से मना कर दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले कई महीनों से 1 महीने का राशन दो दो महीने में वितरित किया जा रहा है.
उपभोक्ताओं के पहुंचने पर कई प्रकार के कारण बता कर उन्हें लौटा दिया जाता है. उपभोक्ताओं के घर पर पहुंचकर अंगूठा लगवा दिया जाता है. लेकिन उन्हें गेहूं का वितरण नहीं किया जा रहा है. फरवरी में अधिकांश उपभोक्ताओं के घर पर पहुंच कर अंगूठा लगवा दिए गए. लेकिन उसका गेहूं अब तक नहीं मिल पाया. यहां तक की बीपीएल परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से एक रुपए किलो गेहूं की कीमत तय कर दी गई. लेकिन यहां पर अब भी पुरानी रेट से कीमत वसूली जा रही है और दो रुपए किलो की दर से गेहूं दिया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप था कि राशन डीलर की शह पर उसका कर्मचारी इस प्रकार मनमानी और वितरण में गड़बड़ी कर रहा है.