अलवर. जिले के सरिस्का बाघ परियोजना में एमपीसीए की ओर से निर्धारित पेज फॉर प्रोटोकॉल के तहत 21 मई से वन्यजीव गणना शुरू होगी, जो 28 मई तक चलेगी. इसमें शाकाहारी और मांसाहारी वन्यजीवों की गणना की जाएगी. इसके लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया गया है, जिसमें वन्यजीव की लाइव डिटेल भरनी होगी. इसके लिए सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं. वन कर्मियों को भी ट्रेंड किया जा रहा है.
सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि साइन सर्वे पद्धति से 21 से 24 मई तक वन्यजीव गणना होगी. 25 से 28 मई तक लाइन ट्रांजेक्ट पद्धति से प्रत्येक बीट में दो-दो ट्रांजेक्ट लाइन पर वन्यजीवों और मवेशियों की गणना की जाएगी. सरिस्का के अधिकारियों की अध्यक्षता में बुधवार को सरिस्का, टहला और अजबगढ़ रेंज के फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया. गुरुवार को तालवृक्ष, अकबरपुर और अलवर बफर रेंज के स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया है. ट्रेनिंग के दौरान वन कर्मियों की ओर से बरती जाने वाली सावधानी और तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है.
सरिस्का में 28 बाघ, बाघिन और उसके शावक हैं. इसके अलावा 500 से ज्यादा पैंथर, नीलगाय, हिरण, बारहसिंघा और मगरमच्छ सहित सैकड़ों वन्यजीव मौजूद हैं. जंगल में पग मार्क के आधार पर वन्यजीवों की गणना की जाती है. इसके लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया गया है, जिसमें ऑनलाइन वन्यजीवों की एंट्री होती है. गूगल के जरिए लोकेशन सहित वन्यजीव के पग मार्क, उसकी फोटो सहित अन्य जानकारियां भी दर्ज की जाती हैं. पहले मांसाहारी वन्यजीवों की गणना होती है, इसके बाद शाकाहारी वन्यजीव की गणना की जाती है. सरिस्का प्रशासन ने कहा वन्यजीवों की गणना की तैयारी शुरू हो चुकी है. बीते सालों की तुलना में इसमें कई बदलाव हो चुके हैं.