ETV Bharat / state

तालाब : दम तोड़ रहे राजा-महाराजाओं के समय के तालाब...यही हालत रहे तो आने वाली पीढ़ी को नहीं मिलेगा पीने के लिए पानी

जनसंख्या घनत्व के हिसाब से राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे बड़ा जिला अलवर है. अलवर राजा महाराजाओं और अंग्रेजों की पसंदीदा जगह रही है. इसका मुख्य कारण यहां के जंगल और सुंदरता है. लेकिन समय के साथ अलवर के हालात खराब होते जा रहे हैं. तालाब पूरी तरीके से सूख चुके हैं. ऐसे में गांव में पीने के लिए पानी नहीं बचा है. जानवर भी परेशान हो रहे हैं क्योंकि तालाब से भूमिगत जलस्तर बढ़ता था और इससे कई तरह के फायदे होते थे. ऐसे में अगर समय रहते हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा.

author img

By

Published : Jul 26, 2019, 6:32 PM IST

the-ponds-of-the-times-of-king-maharaj-are-broke

अलवर. जिले में 227 बांध और तालाब हैं. इनमें से केवल सिलीसेढ़ और मंगलसर बांध में पानी है. इसके अलावा अन्य तालाब पूरी तरीके से सूख चुके हैं. ज्यादातर तालाबों पर गांव के लोगों ने कब्जा कर लिया है. कुछ जगह पर तालाब में कूड़ा पटका जाता है तो वहीं तालाबों तक आने वाले पानी को भी रोक दिया गया है.

ऐसे में तालाब दम तोड़ रहे हैं. जिलेभर में इसी तरह के हालात हैं लेकिन ज्यादा स्थिति खराब नीमराणा, बहरोड़ क्षेत्र में है. वहां के तालाब पुराने शाही अंदाज में बने हुए हैं. विशेष तकनीक से बने हुए इन तालाबों में पहाड़ों से पानी आने से लेकर तालाब में नहाने तक के पर्याप्त इंतजाम हैं लेकिन यह तालाब अब समाप्त होते जा रहे हैं.

तालाबों की खराब होती स्थिति का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम नीमराणा क्षेत्र के मांडल में पहुंची. वहां दो तालाब बने हुए हैं. 20 से 25 हजार की आबादी वाले गांव में पानी के कोई इंतजाम नहीं है. ऐसे में तालाब सूखने से गांव के लोगों का जीवन दूभर हो गया है.

दम तोड़ रहे राजा-महाराजाओं के समय के तालाब

गांव के लोगों ने कई बार इस संबंध में प्रशासन से बातचीत करते हुए उनकी समस्या का समाधान करने की मांग कर चुके हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसलिए हालात पहले से ज्यादा खराब हो गए. तालाबों की बनावट से साफ है कि यह तालाब अपने आप में पुरानी राजशाही कला का एक विशेष नमूना है. तालाब के दो तरफ सीढ़ियां, पहाड़ों से तालाब तक पानी आने के लिए नहर, तालाब के पास मंदिर सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारी विरासत दम तोड़ रही है. समय रहते अगर हम नहीं चेते तो आने वाले समय में अलवर में रहना मुश्किल होगा व इस परेशानी से हमारी आने वाली पीढ़ी को जूझना पड़ेगा. इसलिए अभी सब को मिलकर आगे आना होगा और तालाबों को बचाने की पहल करनी होगी.

अलवर. जिले में 227 बांध और तालाब हैं. इनमें से केवल सिलीसेढ़ और मंगलसर बांध में पानी है. इसके अलावा अन्य तालाब पूरी तरीके से सूख चुके हैं. ज्यादातर तालाबों पर गांव के लोगों ने कब्जा कर लिया है. कुछ जगह पर तालाब में कूड़ा पटका जाता है तो वहीं तालाबों तक आने वाले पानी को भी रोक दिया गया है.

ऐसे में तालाब दम तोड़ रहे हैं. जिलेभर में इसी तरह के हालात हैं लेकिन ज्यादा स्थिति खराब नीमराणा, बहरोड़ क्षेत्र में है. वहां के तालाब पुराने शाही अंदाज में बने हुए हैं. विशेष तकनीक से बने हुए इन तालाबों में पहाड़ों से पानी आने से लेकर तालाब में नहाने तक के पर्याप्त इंतजाम हैं लेकिन यह तालाब अब समाप्त होते जा रहे हैं.

तालाबों की खराब होती स्थिति का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम नीमराणा क्षेत्र के मांडल में पहुंची. वहां दो तालाब बने हुए हैं. 20 से 25 हजार की आबादी वाले गांव में पानी के कोई इंतजाम नहीं है. ऐसे में तालाब सूखने से गांव के लोगों का जीवन दूभर हो गया है.

दम तोड़ रहे राजा-महाराजाओं के समय के तालाब

गांव के लोगों ने कई बार इस संबंध में प्रशासन से बातचीत करते हुए उनकी समस्या का समाधान करने की मांग कर चुके हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसलिए हालात पहले से ज्यादा खराब हो गए. तालाबों की बनावट से साफ है कि यह तालाब अपने आप में पुरानी राजशाही कला का एक विशेष नमूना है. तालाब के दो तरफ सीढ़ियां, पहाड़ों से तालाब तक पानी आने के लिए नहर, तालाब के पास मंदिर सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारी विरासत दम तोड़ रही है. समय रहते अगर हम नहीं चेते तो आने वाले समय में अलवर में रहना मुश्किल होगा व इस परेशानी से हमारी आने वाली पीढ़ी को जूझना पड़ेगा. इसलिए अभी सब को मिलकर आगे आना होगा और तालाबों को बचाने की पहल करनी होगी.

Intro:अलवर।
जनसंख्या घनत्व के हिसाब से राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे बड़ा जिला अलवर है। अलवर राजा महाराजाओं व अंग्रेजों की पसंदीदा जगह रहा है। इसका मुख्य कारण यहां के जंगल व सुंदरता है। लेकिन समय के साथ अलवर के हालात खराब होते जा रहे हैं। तालाब पूरी तरीके से सूख चुके हैं। ऐसे में गांव में पीने के लिए पानी नहीं बचा है। जानवर भी परेशान हो रहे हैं। क्योंकि तालाब से भूमिगत जलस्तर बढ़ता था व इससे कई तरह के फायदे होते थे। ऐसे में अगर समय रहते हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा।


Body:अलवर जिले में 227 बांध व तालाब हैं। इनमें से केवल सिलीसेढ़ व मंगलसर बांध में पानी है। इसके अलावा अन्य तालाब पूरी तरीके से सूख चुके हैं। ज्यादा तर तालाबों पर गांव के लोगों ने कब्जा कर लिया है। कुछ जगह पर तालाब में कूड़ा पटका जाता है। तो वही तालाबों तक आने वाले पानी को भी रोक दिया गया है।

ऐसे में तालाब दम तोड़ रहे हैं। जिलेभर में इसी तरह के हालात हैं। लेकिन ज्यादा स्थिति खराब नीमराणा बहरोड़ क्षेत्र में है। वहां के तालाब पुराने शाही अंदाज में बने हुए हैं। विशेष तकनीक से बने हुए इन तालाबों में पहाड़ों से पानी आने से लेकर तालाब में नहाने तक के पर्याप्त इंतजाम हैं। लेकिन यह तालाब अब समाप्त होते जा रहे हैं।

तालाबों की खराब होती स्थिति का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम नीमराणा क्षेत्र के मांडल में पहुंची। वहां दो तालाब बने हुए हैं। 20 से 25 हजार की आबादी वाले गांव में पानी के कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में तालाब सूखने से गांव के लोगों का जीवन दूभर हो गया है।


Conclusion:गांव के लोगों ने कई बार इस संबंध में प्रशासन से बातचीत करते हुए उनकी समस्या का समाधान करने की मांग कर चुके हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए हालात पहले से ज्यादा खराब हो गए। तालाबों की बनावट से साफ है कि यह तालाब अपने आप में पुरानी राजशाही कला का एक विशेष नमूना है। तालाब के दो तरफ सीढ़ियां, पहाड़ों से तालाब तक पानी आने के लिए नहर, तालाब के पास मंदिर सहित सभी सुविधाएं उपलब्धि है।

लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारी विरासत दम तोड़ रही है। समय रहते अगर हम नहीं चेते तो आने वाले समय में अलवर में रहना मुश्किल होगा व इस परेशानी से हमारी आने वाली पीढ़ी को जूझना पड़ेगा। इसलिए अभी सब को मिलकर आगे आना होगा व तालाबों को बचाने की पहल करनी होगी।

बाइट- ग्रामीण
पीटीसी- हिमांशु शर्मा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.