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देशभर में दिवाली की धूम तो कुछ बच्चे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने को हैं मजबूर - अलवर दिवाली न्यूज

खुशियों का त्योहार दिवाली सभी के जीवन में नई खुशियां लेकर आता है. इस मौके पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं. मिठाइयां खाते हैं और पटाखे जलाते हैं. इन सबके बीच अलवर के बाजारों में ऐसे बच्चे भी नजर आते हैं जो दिवाली मनाना तो दूर बल्कि अपने दो समय के भोजन का इंतजाम करने में लगे रहते हैं.

अलवर दिवाली न्यूज, Alwar Diwali News
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Published : Oct 25, 2019, 2:36 PM IST

अलवर. दिवाली के मौके पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं. मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को भी राहत मिलने की उम्मीद है. दिवाली के मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां खाते हैं तो पटाखे भी फोड़ते हैं. इन सबके बीच एक ऐसा तबका भी है, जो त्यौहार मनाना तो चाहता है पर दो समय की रोजी रोटी के लिए भी परेशान हैं. हम बात कर रहे हैं अलवर के बाजारों में दुकान लगाने वाले नन्हे बच्चों की.

कई बच्चे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने को हैं मजबूर

जहां लोग खरीदारी के लिए सुबह से शाम तक मार्केट में पहुंचने लगते हैं. ऐसे में बाजार में बड़ी संख्या में बच्चे भी काम कर रहे हैं. बच्चों ने बताया कि वो माता-पिता का सहयोग करने और लोगों को संदेश देने के लिए इस तरह के काम करते हैं. इन बच्चों के जीवन में दिवाली केवल पैसे कमाने का साधन है. इनकी मानें तो बिना काम किए दो वक्त का भोजन तक नहीं मिल पाता है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस दिवाली नहीं रहेगी गरीबों की झोली खाली, क्योंकि टीम निवाला लाया है 'हैप्पी किट'

दिवाली के मौके पर दुकान लगाने वाले बच्चों ने बताया कि उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. अगर वो ईमानदारी से काम नहीं करें तो दो पल का भोजन भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में इन बच्चों के जीवन में दिवाली का कोई खास महत्व नहीं है. बच्चों ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई करते हैं. लेकिन उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. ऐसे में समाज को इनकी मदद के लिए आगे आने की आवश्यकता है.

अलवर. दिवाली के मौके पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं. मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को भी राहत मिलने की उम्मीद है. दिवाली के मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां खाते हैं तो पटाखे भी फोड़ते हैं. इन सबके बीच एक ऐसा तबका भी है, जो त्यौहार मनाना तो चाहता है पर दो समय की रोजी रोटी के लिए भी परेशान हैं. हम बात कर रहे हैं अलवर के बाजारों में दुकान लगाने वाले नन्हे बच्चों की.

कई बच्चे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने को हैं मजबूर

जहां लोग खरीदारी के लिए सुबह से शाम तक मार्केट में पहुंचने लगते हैं. ऐसे में बाजार में बड़ी संख्या में बच्चे भी काम कर रहे हैं. बच्चों ने बताया कि वो माता-पिता का सहयोग करने और लोगों को संदेश देने के लिए इस तरह के काम करते हैं. इन बच्चों के जीवन में दिवाली केवल पैसे कमाने का साधन है. इनकी मानें तो बिना काम किए दो वक्त का भोजन तक नहीं मिल पाता है.

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दिवाली के मौके पर दुकान लगाने वाले बच्चों ने बताया कि उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. अगर वो ईमानदारी से काम नहीं करें तो दो पल का भोजन भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में इन बच्चों के जीवन में दिवाली का कोई खास महत्व नहीं है. बच्चों ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई करते हैं. लेकिन उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. ऐसे में समाज को इनकी मदद के लिए आगे आने की आवश्यकता है.

Intro:खुशियों का त्योहार दिवाली सभी के जीवन में नई खुशियां लेकर आता है इस मौके पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं मिठाइयां खाते हैं वह पटाखे चलाते हैं इन सबके बीच अलवर के बाजारों में ऐसे बच्चे नजर आते हैं जो दिवाली मनाना तो दूर दो पल के भोजन के इंतजाम में लगे रहते हैं।


Body:दिवाली के मौके पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं। मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। दिवाली के मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां खाते हैं। तो पटाखे चलाते हैं। इन सबके बीच एक ऐसा तबका है। जो त्यौहार मनाना तो जो दो समय की रोजी रोटी के लिए परेशान होते हैं। हम अलवर के बाजारों में दुकान लगाने वाले नन्हे बच्चों की बात कर रहे हैं।

जहां लोग खरीदारी के लिए सुबह से शाम तक मार्केट में पहुंचने लगते हैं। ऐसे में बाजार में बड़ी संख्या में बच्चे भी काम कर रहे हैं। बच्चों ने बताया कि वो माता-पिता का सहयोग करने व लोगों को संदेश देने के लिए इस तरह के काम करते हैं। इन बच्चों के जीवन में दिवाली केवल पैसे कमाने का साधन है। इनकी मानें तो बिना काम किए दो वक्त का भोजन तक नहीं मिलता।


Conclusion:दिवाली के मौके पर दुकान लगाने वाले बच्चों ने बताया कि उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है। अगर वो ईमानदारी से काम नहीं करें। तो दो पल का भोजन भी नहीं मिलता है। ऐसे में इन बच्चों के जीवन में दिवाली का कोई महत्व नहीं है। इन लोगों के लिए यदि वाली केवल पैसे कमाने का साधन है। बच्चों ने कहा कि की स्कूल में पढ़ाई करते हैं। लेकिन उनको मजबूरी में यह काम करना पड़ता है ऐसे में समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है व मेहनत करने वाले को।

बाइट- सामान बेचने वाले बच्चे
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