बहरोड़ (अलवर). प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन है. वहीं इस लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुएं और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सबकुछ बंद है. साथ ही आवागमन साधन भी बंद है. ऐसे में मुर्गी पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मुर्गी पालक किसानों का कहना है कि मुर्गी दाना नहीं मिलने से रोज सैंकडों चूजे मर रहे हैं. वहीं किसान मुर्गी दाना और पशु आहार की सप्लाई से रोक हटाने की मांग कर रहे हैं.
आज न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व कोविड-19 वायरस से फैली महामारी से प्रभावित हो रहा है. इस समय भारत सरकार व सभी राज्य सरकारों ने इस खतरनाक वायरस को रोकने और नागरिकों को महामारी से बचाने के लिए समुचित प्रयास किए जा रहे हैं. जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण है लॉक डाउन अर्थात् आंशिक कर्फ्यू, जिससे सोशल डिस्टेंस होने से इस वायरस का फैलाव रूक सके. सरकारों ने आवश्यक वस्तुएं और आवश्यक सेवाओं में कोई परेशानी न हो, इसका भी पूरा ख्याल रखा है लेकिन दूसरी ओर डेयरी और मुर्गी पालक आदि किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में विशेष रूप से मुर्गी पालक किसानों को परेशानी हो रही है. पालकों का कहना है कि मुर्गी दाना निर्माता कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया है.
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वहीं मालवाहक साधन बंद होने के कारण मुर्गी दाना की पूर्ति नहीं हो पा रही है. जिससे रोजाना सैकड़ों चूजे मर रहे हैं. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले एक-दो दिन में इन फार्मों पर मुर्गियों की मृत्यु दर बढ़ जाएगी. वहीं मुर्गी पालकों की मांग है कि किसी अन्य प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो, इसके लिए सरकार व प्रशासन मुर्गी दाना और पशु आहार की सप्लाई से रोक हटा दे. जिससे किसानों की इस समस्या का हल निकाल सके. वहीं मुर्गी फार्म मालिकों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इसकी ओर ध्यान देना चाहिए. जिससे मुर्गियों का दाना मंगाया जा सके और इनको मरने से बचा सके.