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सरिस्का के जंगल क्षेत्र में बसे गांव के पालतू जानवरों के लगेंगे टैग, होगा ये बड़ा फायदा

सरिस्का के जंगल क्षेत्र में अब भी बड़ी संख्या में गांव बसे हुए हैं. इनमें रहने वाले लोग पशुपालन का काम करते हैं. ग्रामीणों के पशु दिनभर सरिस्का क्षेत्र में घूमते हैं. आए दिन बाघ व पैंथर इन पशुओं पर हमला करते हैं व बारिश के समय में आसपास क्षेत्र के लोग भी सरिस्का क्षेत्र में अपने जानवर चारे के लिए छोड़ कर चले जाते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब सरिस्का प्रशासन को पालतू जानवरों से होने वाली परेशानी से छुटकारा मिलेगा.

pets of the village settled
सरिस्का के जंगल क्षेत्र में होने जा रहा ये काम...
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Published : Apr 1, 2021, 12:03 PM IST

अलवर. सरिस्का व पशुपालन विभाग की तरफ से ग्रामीणों के पालतू जानवरों के टैग लगाए जा रहे हैं. जिससे जानवरों की पहचान होने के साथ ही जानवर व उसके पूरे मालिक का डाटा भी सरिस्का प्रशासन के पास रहेगा.
सरिस्का बाघ परियोजना एवं पशुपालन विभाग की ओर से सरिस्का के कोर एरिया में बसे गांवों में मवेशियों की टैगिंग की व्यवस्था शुरू की गई है. टैगिंग से मवेशी के मालिक का आसानी से पता लगाया जा सकेगा.

सरिस्का के जंगल क्षेत्र में होने जा रहा ये काम...

फिलहाल, सरिस्का कोर एरिया के चार गांवों के मवेशियों को टैग लगाए जाएंगे. सरिस्का के वरिष्ठ पशु चिकित्सक दीनदयाल मीणा ने बताया कि क्षेत्र निदेशक सरिस्का आरएन मीणा एवं डीएफओ सुदर्शन शर्मा के निर्देशन मेंं पशुपालन विभाग के सहयोग से सरिस्का के कोर एरिया में बसे हरिपुरा, किरास्का, डाबली, उमरी, देवरी और अन्य गांवों में मवेशियों को टैग लगाए जाएंगे. इस टैग पर नम्बर लिखे जाएंगे. इसका लाभ यह होगा कि मोबाइल एप पर टैग के नम्बर डालने से मवेशी के मालिक व गांव का आसानी से पता चल जाएगा.

पढ़ें : अलवर में बढ़ी पानी की किल्लत, जलदाय विभाग के सामने लोगों ने किया प्रदर्शन

मवेशियों की इयर टैगिंग का लाभ यह होगा कि जंगल में टाइगर या अन्य किसी वन्यजीव के हमले मवेशी की मौत होने पर टैग के नम्बर से उसके मालिक व गांव का पता चल सकेगा. इससे वन्यजीवों के हमले में मवेशियों की मौत पर उसका मालिक ही मुआवजे का दावा कर सकेगा. टैग के अभाव में कई बार मुआवजे के लिए मवेशी के कई मालिक खड़े हो जाते हैं. इस व्यवस्था के बाद पंचनामे की जरूरत भी नहीं होगी. सरिस्का प्रशासन मवेशी के असली मालिक को आसानी से क्लेम पास कर सकेगा.

वहीं, बारिश के दिनों में बाहर से अवैध तरीके से चराई के लिए आने वाले पशुओं की पहचान भी आसानी से हो सकेगी. यह व्यवस्था गत 26 मार्च से शुरू की जा चुकी है, लेकिन होली त्यौहार के कारण इसे फिर से शुरू किया गया है. फिलहाल, सरिस्का के हरिपुरा, किरास्का, कांकवाड़ी व उमरी आदि गांवों में मवेशियों की इयर टैगिंग की जाएगी.

अलवर. सरिस्का व पशुपालन विभाग की तरफ से ग्रामीणों के पालतू जानवरों के टैग लगाए जा रहे हैं. जिससे जानवरों की पहचान होने के साथ ही जानवर व उसके पूरे मालिक का डाटा भी सरिस्का प्रशासन के पास रहेगा.
सरिस्का बाघ परियोजना एवं पशुपालन विभाग की ओर से सरिस्का के कोर एरिया में बसे गांवों में मवेशियों की टैगिंग की व्यवस्था शुरू की गई है. टैगिंग से मवेशी के मालिक का आसानी से पता लगाया जा सकेगा.

सरिस्का के जंगल क्षेत्र में होने जा रहा ये काम...

फिलहाल, सरिस्का कोर एरिया के चार गांवों के मवेशियों को टैग लगाए जाएंगे. सरिस्का के वरिष्ठ पशु चिकित्सक दीनदयाल मीणा ने बताया कि क्षेत्र निदेशक सरिस्का आरएन मीणा एवं डीएफओ सुदर्शन शर्मा के निर्देशन मेंं पशुपालन विभाग के सहयोग से सरिस्का के कोर एरिया में बसे हरिपुरा, किरास्का, डाबली, उमरी, देवरी और अन्य गांवों में मवेशियों को टैग लगाए जाएंगे. इस टैग पर नम्बर लिखे जाएंगे. इसका लाभ यह होगा कि मोबाइल एप पर टैग के नम्बर डालने से मवेशी के मालिक व गांव का आसानी से पता चल जाएगा.

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मवेशियों की इयर टैगिंग का लाभ यह होगा कि जंगल में टाइगर या अन्य किसी वन्यजीव के हमले मवेशी की मौत होने पर टैग के नम्बर से उसके मालिक व गांव का पता चल सकेगा. इससे वन्यजीवों के हमले में मवेशियों की मौत पर उसका मालिक ही मुआवजे का दावा कर सकेगा. टैग के अभाव में कई बार मुआवजे के लिए मवेशी के कई मालिक खड़े हो जाते हैं. इस व्यवस्था के बाद पंचनामे की जरूरत भी नहीं होगी. सरिस्का प्रशासन मवेशी के असली मालिक को आसानी से क्लेम पास कर सकेगा.

वहीं, बारिश के दिनों में बाहर से अवैध तरीके से चराई के लिए आने वाले पशुओं की पहचान भी आसानी से हो सकेगी. यह व्यवस्था गत 26 मार्च से शुरू की जा चुकी है, लेकिन होली त्यौहार के कारण इसे फिर से शुरू किया गया है. फिलहाल, सरिस्का के हरिपुरा, किरास्का, कांकवाड़ी व उमरी आदि गांवों में मवेशियों की इयर टैगिंग की जाएगी.

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