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बानसूर सीएससी में मरीजों को मिल रही निजी अस्पतालों से बेहतर सुविधाएं

अलवर के बानसूर कस्बे के सीएचसी का कायाकल्प होने के बाद से यहां मरीजों को निजी अस्पतालों से भी बेहतर सुविधाएं मिल रही है. यहां वार्डों में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. मरीजों की समय-समय पर देखभाल के साथ ही उनके बिस्तर भी समय-समय पर बदले जाते हैं.

बानसूर सीएससी में मरीजों को मिल रही बेहतर सुविधाएं
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Published : Jul 28, 2019, 9:56 PM IST

बानसूर (अलवर). जिले के बानसूर कस्बे के सीएचसी का कायाकल्प होने के बाद यहां मरीजों को निजी अस्पतालों से भी बेहतर सुविधाएं मिलने लगी है. सरकारी अस्पताल परिसर एवं वार्डों में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. यहां जनरल एवं महिला वार्ड में मरीजों के लिए एसी और म्यूजिक व्यवस्थाएं की है. लोगों ने इसका श्रेय चिकित्सा प्रभारी डॉ. डीआर यादव और पूरे स्टाफ को दिया है.

कायाकल्प के बाद बानसूर का सरकारी अस्पताल निजी अस्पतालों से बेहतर नजर आने लगा है. यहां लेबर वार्ड में 4 एसी और एलसीडी लगाई गई है. बानसूर अस्पताल को सम्मानित भी किया जा चुका है. यहां के नर्सिंग कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर मरीजों की देखभाल की जाती है. साथ ही मरीजों के बिस्तरों की भी समय-समय पर सफाई की जाती है.

बानसूर सीएससी में मरीजों को मिल रही निजी अस्पतालों से बेहतर सुविधाएं

हालांकि सरकारी अस्पताल में कुछ सुविधाओं की कमी है. जिनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, कनिष्ठ विशेषज्ञ(सर्जरी), कनिष्ठ विशेषज्ञ(मिडिसिन), सोनोग्राफी मशीन, इमरजेंसी वार्ड में आधुनिक सुविधाओं के साथ ही वार्डों में बेड की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. जो पूरी होने पर कस्बे एवं आस-पास के क्षेत्रों के मरीजों को कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी.

इसे भी पढ़ें- जयपुर: पुलिस थाने में दुष्कर्म पीड़िता ने लगाई खुद को आग

सीएचसी प्रभारी डॉ. डीआर यादव ने बताया कि अस्पताल के कायाकल्प में भामाशाहों व स्टाफ का अहम योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि 2013 में प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई थी. उस समय अस्पताल में 50 बेड स्वीकृत हुए. फिलहाल अलवर जिले में ओपीडी में बानसूर सीएचसी दूसरे पायदान पर है. वित्तीय स्वीकृति मिलने पर अस्पताल की अधूरी समस्याओं को पूरा करने के प्रयास किये जाएंगे.

बानसूर (अलवर). जिले के बानसूर कस्बे के सीएचसी का कायाकल्प होने के बाद यहां मरीजों को निजी अस्पतालों से भी बेहतर सुविधाएं मिलने लगी है. सरकारी अस्पताल परिसर एवं वार्डों में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. यहां जनरल एवं महिला वार्ड में मरीजों के लिए एसी और म्यूजिक व्यवस्थाएं की है. लोगों ने इसका श्रेय चिकित्सा प्रभारी डॉ. डीआर यादव और पूरे स्टाफ को दिया है.

कायाकल्प के बाद बानसूर का सरकारी अस्पताल निजी अस्पतालों से बेहतर नजर आने लगा है. यहां लेबर वार्ड में 4 एसी और एलसीडी लगाई गई है. बानसूर अस्पताल को सम्मानित भी किया जा चुका है. यहां के नर्सिंग कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर मरीजों की देखभाल की जाती है. साथ ही मरीजों के बिस्तरों की भी समय-समय पर सफाई की जाती है.

बानसूर सीएससी में मरीजों को मिल रही निजी अस्पतालों से बेहतर सुविधाएं

हालांकि सरकारी अस्पताल में कुछ सुविधाओं की कमी है. जिनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, कनिष्ठ विशेषज्ञ(सर्जरी), कनिष्ठ विशेषज्ञ(मिडिसिन), सोनोग्राफी मशीन, इमरजेंसी वार्ड में आधुनिक सुविधाओं के साथ ही वार्डों में बेड की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. जो पूरी होने पर कस्बे एवं आस-पास के क्षेत्रों के मरीजों को कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी.

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सीएचसी प्रभारी डॉ. डीआर यादव ने बताया कि अस्पताल के कायाकल्प में भामाशाहों व स्टाफ का अहम योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि 2013 में प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई थी. उस समय अस्पताल में 50 बेड स्वीकृत हुए. फिलहाल अलवर जिले में ओपीडी में बानसूर सीएचसी दूसरे पायदान पर है. वित्तीय स्वीकृति मिलने पर अस्पताल की अधूरी समस्याओं को पूरा करने के प्रयास किये जाएंगे.

Intro:Body:अलवर के बानसूर
बानसूर कस्बे के सीएचसी हॉस्पिटल की कायाकल्प बदली। मरीजों को सुविधाओं का हैं कुछ अभाव।
दरअसल कस्बे बानसूर के सीएचसी हॉस्पिटल की कायाकल्प को लेकर चिकित्सा प्रभारी डॉ० डीआर यादव एवं पूरे स्टाफ को लोगों ने दीया श्रेय।
इस सीएचसी में जरनल वार्ड एवं महिला वार्ड में मरीजों के लिए एयर कंडीशनर व म्यूजिक की व्यवस्था भी की गई है। परिसर एवं वार्डों में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा हैं।निजी हॉस्पिटलों से बेहतर बानसूर कस्बे का सीएचसी हॉस्पिटल लगती है।लेबर वार्ड में चार एयर कंडीशनर एवं टीवी के लिए एलसीडी लगाई गई है। मरीजों को एक सरकारी हॉस्पिटल जैसा अनुभव नहीं होता हैं।यह एक निजी अस्पताल जैसा लगता हैं। 2017 ,18 को राजस्थान प्रदेश में तीन बार पहले नंबर पर बानसूर सीएचसी हॉस्पिटल को कायाकल्प बदलने पर सम्मानित किया गया था। ईटीवी भारत के मीडिया संवाददाता ने एक प्रसूता से बात कर जानना चाहा तो प्रसूता की जुबानी। हमने सवाल पूछा ? मरीजों के प्रति स्टाफ का कैसा रवैया है। प्रसूता ने जवाब दिया स्टाफ यहां मरीजों की समय-समय पर देखभाल करता है। सवाल नंबर दूसरा लेबर वार्ड में मरीजों के बेड की चाद्दर कितने दिन में बदली जाती हैं जवाब इस लेबर वार्ड में मरीजों के नीचे बिछाने वाली चद्दर समय पर बदल जाती है।सवाल नंबर तीसरा क्या लेबर वार्ड में मौसम के अनुकूल बना रहता है या गर्मियों में ज्यादा गर्म रहता है जवाब अब लेबर वार्ड में चार एयर कंडीशनर लगने से गर्मी का एहसास नहीं होती है। सवाल नंबर चौथा आपको इस सरकारी हॉस्पिटल में कैसा अनुभव करती हैं। जवाब प्रसूता ने कहा यहां सीएससी हॉस्पिटल एक सरकारी हॉस्पिटल नहीं यह निजी हॉस्पिटल से भी बेहतर लगता हैं। यहां स्टाफ के प्रति भी अच्छा वेब देखा गया हम संतुष्ट हैं हमारे कस्बे की सीएचसी हॉस्पिटल में सरकारी होते हुए भी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। समय-समय पर मरीजों डॉक्टर एवं कंपाउंडरो द्वारा देखा जाता इसका श्रेय बानसूर चिकित्सा प्रभारी डॉ. दयाराम यादव, व पूरे सीएचसी स्टाफ को जाता है ।अब फिलहाल हॉस्पिटल में कुछ खामियां रह गई है।
(1) सबसे पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ
(2) सोनोग्राफी मशीन
(3) नेत्र रोग विशेषज्ञ
(4) कनिष्ठ विशेषज्ञ (सर्जरी)
(5) कनिष्ठ विशेषज्ञ (मेडिसिन)
(6) इमरजेंसी वार्ड में हो आधुनिक सुविधाएं
(7) वार्डों में बेड की संख्या बढ़ाई जाए
अगर ये सुविधाएं सीएससी में पूरी हो जाए तो पूरी हो जाए तो मरीजों को कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी
सीएचसी प्रभारी डॉक्टर डीआर यादव पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह सब भामाशाहो व स्टाफ का योगदान रहा है और कहा 2013 में प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई थी उस समय 30 बेड से 50 बेड हुए अगर वित्तीय स्वीकृति जारी हो जाती तो इस सीएससी हॉस्पिटल में सारी सुविधाएं मिलती फिलहाल अलवर जिले में ओपीडी में बानसूर सीएचसी हॉस्पिटल दूसरे पायदान पर आया है ।फिर भी हम पूरी कोशिश कर रहे हैं वित्तीय स्वीकृति मिल जाने पर इन सब अधूरी समस्याओं को पूरा कर सकें

बाइट प्रसूता महिला
बाइट डॉ. डीआर यादव सीएचसी प्रभारी बानसूरConclusion:
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