अलवर. जिले का जनाना अस्पताल जयपुर के बाद महिलाओं का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां प्रतिदिन अस्पताल में आमतौर पर 50 से अधिक प्रसव होते हैं. अलवर के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित आसपास के मेवात क्षेत्र से प्रसूताएं प्रसव के लिए यहां आती हैं लेकिन अस्पताल में सुविधा व संसाधनों का खासा अभाव है. इसी तरह का एक मामला सामने आया है जहां जनाना अस्पताल में दूरदराज से प्रसूताएं प्रसव के लिए आती हैं.
बता दें कि अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के उमरैण तहसील में पढ़ने वाले विजयपुर गांव की रहने वाली रविता के प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे अलवर के जनाना अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां पांच दिनों तक डॉक्टरों ने इसे भर्ती कर रखा था. इस दौरान डॉक्टरों ने रविता की कई जांच कराई व दो से तीन बार सोनोग्राफी भी निजी लैब से कराई गई. इस दौरान सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर ने कहा कि बच्चे की हालत गंभीर है और प्रसव का समय पूरा हो चुका है.
इस पर परिजनों ने जनाना अस्पताल के डॉक्टर से बातचीत की तो उन्होंने रविता का ऑपरेशन करने की जगह उसको छुट्टी दे दी व अन्य किसी जगह पर परिजनों से लेकर जाने के लिए कहा. इसके बाद परिजनों ने इसका विरोध किया तो डॉक्टर ने उनकी एक नहीं सुनी. ऐसे में परिजन खासा परेशान हो रहे हैं क्योंकि कोरोना काल में कोई भी निजी व सरकारी अस्पताल जल्दी से नहीं करता है कि कई तरह की जांच और मल्टी होती हैं. उसमें काफी समय लगता है.
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वहीं, परेशान परिजनों ने उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत कराया. उच्च अधिकारियों के दखल के बाद डॉक्टरों ने फिर से रविता को भर्ती किया. इसके बाद अस्पताल में भर्ती अन्य प्रस्ताव के परिजनों ने कहा कि यहां आए दिन इसी तरह के हालात रहते हैं. लोगों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिलती है साथ ही कहा कि दूरदराज से गांव से आने वाले लोग कई दिन तक परेशान होते हैं. अलवर के जनाना अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ डॉक्टर के व्यवहार को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं. इसके बाद कई बार जाम लगने तक की स्थितियां बन चुकी है. उसके बाद भी अस्पताल की हालत ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है.