अलवर. जिले में 2021 की आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat in Alwar 2021) शनिवार को लगी. इसमें 64 परिवार टूटने से बचे. पारिवारिक विवादों में पति-पत्नी का समझौता हुआ. ऐसे में बच्चे अब माता-पिता के साथ रह सकेंगे. लोक अदालत में 4 मामलों में सालों से परेशान हो रहे श्रमिकों को न्याय मिला.
लंबे समय से पेंडिंग मामलों का निस्तारण करने के लिए लोक अदालत का आयोजन होता है. अलवर में शनिवार को इस साल की आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत लगी. इसमें परिवार से संबंधित 110 मामले आए. साथ ही 60 मामले लेबर विभाग से जुड़े हुए थे.
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इनमें से 64 परिवार के मामलों में आपस में समझौता हुआ. पति-पत्नी ने साथ रहने का फैसला लिया. लोक अदालत के न्यायाधीश ने बताया की परिवारिक मामलों में सबसे ज्यादा कष्ट बच्चों व बुजुर्गों को देखकर होता है. क्योंकि जब परिवार टूटता है तो सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चा होता है. इसके अलावा बुजुर्ग होते हैं. लोक अदालत की मदद से परिवार बच सके इसके प्रयास किए जाते हैं. ऐसा ही कुछ इस लोक अदालत में भी हुआ. 64 परिवार एक हुए पति पत्नी ने साथ रहने का फैसला लिया. इस पर बच्चों के चेहरे खिले हुए नजर आए बच्चों ने न्याय व्यवस्था को धन्यवाद दिया. साथ ही लंबे समय से पेंडिंग चल रहे चार मामलों में श्रमिकों को न्याय मिला. उनको बकाया भुगतान दिया गया.
परिवार का टूटना दुखद: न्यायाधीश
परिवारिक न्यायाधीश एसएन टेलर ने बताया कि पारिवारिक मामलों में परिवार का टूटना बड़ा ही दुखद होता है. न्यायालय में बच्चे व बुजुर्ग नहीं आते हैं. सबसे ज्यादा तकलीफ बच्चों को होती है. बच्चों का जीवन माता पिता पर निर्भर होता है. अगर माता-पिता अलग होते हैं तो बच्चे का जीवन भी खराब होता है. जिसमें उसका कोई दोष नहीं होता है. इसलिए ज्यादा ज्यादा प्रयास किए जाते हैं कि परिवार ना टूटे. इसके लिए काउंसलिंग होती है. लोगों को समझाया जाता है. उन्होंने कहा कि अलवर की ब्रांच सबसे ज्यादा मामलों का निस्तारण करती है.