अलवर. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की तरफ से जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के संयुक्त तत्वावधान में सरिस्का पैलेस में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस शुरू हुई है. यह कांफ्रेंस 5 मार्च तक चलेगी. इसके तहत देश-दुनिया के वाइल्डलाइफ से जुड़े डॉक्टर अलवर में जुटे हैं. एक सूअर की डेड बॉडी पर डॉक्टरों ने प्रशिक्षण लिया. इस दौरान बाघों को ट्रेंकुलाइज करने सहित वन्यजीवों के इलाज संबंधित सभी तकनीक के बारे में जानकारी दी जाएगी.
सरिस्का में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस हो रही है. 5 मार्च तक चलने वाली इस कांफ्रेंस के दौरान जंगल में डॉक्टरों को नई तकनीक की जानकारी दी जाएगी. साथ ही बाघों के ट्रेंकुलाइज करने, बाघों का इलाज करने, वन्यजीवों में होने वाली परेशानी से बीमारियों की जानकारी दी जाएगी. साथ ही पैंथर, नीलगाय, हिरण, बारहसिंघा, जरक, जंगली सूअर सहित सभी वन्यजीवों के इलाज से संबंधित जानकारी देने के साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलेगा. सरिस्का पैलेस में चल रही इस कांफ्रेंस में देसी-विदेशी डॉक्टरों के साथ एनटीसी के अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं. डॉ पराग मेग की अध्यक्षता में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है.
सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि समय-समय पर डॉक्टर को तकनीक के बारे में जानकारी दी जाती है. लंबे समय से इस तरह की कांफ्रेंस नहीं हो पाई थी. विदेशों में कई नई तकनीक पर काम चल रहा है. देश में बाघों को बचाने के लिए कई बड़े नवाचार किए गए, तो इसका परिणाम भी सामने है. जंगल व वन्यजीवों के लिए भी देश में कई तरह के विकल्प हैं. इसलिए इस कांफ्रेंस का आयोजन अलवर में रखा गया है. अलवर, दिल्ली-जयपुर के नजदीक है. इस दौरान डॉक्टरों को मिलने वाली ट्रेनिंग का फायदा भी सिरस्का को मिलेगा. सरिस्का के डॉक्टर आधुनिक तकनीक से वन्यजीवों के इलाज करने के साथ ही उनके पोस्टमार्टम, ट्रेंकुलाइज सहित गंभीर बीमारियों के इलाज की जानकारी भी ले सकेंगे.